एक नही आधा दर्जन भावी इंजिनीयरों को पुलिस ने गिरफ़्तार किया वो भी चोरी-चकारी,मारपीट या रैगिंग के आरोप मे नही बल्कि गैंग रेप के आरोप में।ये भावी इंजिनीयर वैलेंटाईन डे पर अपने मंगेतर के साथ कालेज कैम्पस के पास घूम रही एक युवती पर भेड़ियों के समान टूट पड़े और उसे उसके मंगेतर के सामने नोच डाला।उसकी इज़्ज़त को तार-तार कर दिया।
ये दिल दहलाने वाली घटना हुई रायपुर के पास ही विंध्य इंजिनीयरिंग कालेज के कैम्पस के पास।अब वे आधा दर्जन भावी इंजिनीयर पुलिस कि गिरफ़्त में है,उन्हे बर्खास्त करने की तैयारी चल रही है और कालेज परिसर में तोड़-फ़ोड़ के बाद उस इलाके के ग्रामीण हास्टल बंद कराने की मांग को लेकर अड़ गये हैं।
इस घटनाक्रम मे सबसे ज्यादा भौंचक्क है परिजन।क्या कोई भी मां-बाप अपने बच्चे को कालेज,हास्टल या शहर पढने के लिये इसलिये भेजता है कि वो बलात्कारी बने?कालेज भेजते समय क्या-क्या सपने नही देखते मां-बाप मगर पता नही किसकी बुरी नज़र लग गई है इस देख की युवा पीढी को जो इस तरह के अपराध को भी रोमांच मान बैठी है?
अब सवाल ये उठता है कि वंहा गैंग रेप की नौबत क्यों आई?क्या सूनसान इलाके में वैलेंटाईन मनाने जाना उस प्रेमी जोड़े की गलती थी या सूनसान ईलाके मे एक युवती को देख कर अपने आप को ना संभाल पाना उन युवकों की? इस बात पर भी लम्बी-चौडी बहस हो सकती है और इस बात पर भी कि वैलेंटाईन डे जैसे विदेशी त्योहारों का बहिष्कार ठीक ही है?
छ्त्तीसगढ जैसे शांतिप्रिय इलाके में पढे-लिखे इंसान रूपी भेड़ियों का नंगा नाच पहली बार नही हो रहा है।यंहा गैंग रेप की घटनायें बढ रही हैं और प्रोफ़ेशनल कालेज के छात्रों के अपराध में शामिल होने की घटनाये भी।इससे पहले एनआईटी के एक छात्र को ह्त्या जैसे गंभीर मामले में पकड़ा जा चुका है,लूट और डकैती में भी छात्र लिप्त मिले हैं।
अब सवाल उठता है कि आखिर ये छात्र क्यों ऐसा कर रहे हैं?इस बात पर गंभीरता से विचार करना ज़रूरी है।क्या उन्हे वंहा खर्च के लिये ज़रूरी रकम नही मिलती?क्या उनके खर्च अनाप-शनाप हैं?क्या उनकी संगत गलत है?या उन्हे अपराध करने में मज़ा आता है?समय आ गया है सभी पालकों को इन सवालों पर गंभीरता से विचार करना होगा और इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि सिर्फ़ हास्टल भेज देने भर बस से उनकी ज़िम्मेदारी पूरी नही हो जाती बल्कि और बढ जाती है।मेरा तो यही मानना है,आपको क्या लगता है बताईगे ज़रूर्।
15 comments:
पैसे की जरुरत में डकैती और लूट आदि के मामले सामने आ सकते हैं मगर गैंग रेप??
इन सब के मूल में नशे की आदत ही सबसे बड़ी नजर आती है मुझे. रोमांचवश/जवानी के आवेश में शराब का सेवन फैशन बनता जा रहा है. फिर शराब के लिए पैसे जुटाने लूट/डकैती करते हैं और अक्सर उसी नशे में धुत आवेशवश हत्या और रेप जैसे जघन्य अपराध कर बैठते हैं.
मुद्दा अक्सर ही नशाखोरी पर जाकर रुकेगा, यह तय जानियेगा जब इन्सान पाशविक हो उठता है और उसे सही/गलत का कोई अंदाजा नहीं रह जाता.
बस, इसी प्रवृति पर अंकुश लगाने की जरुरत है जो शराब की दुकानें बंद करने या नशाबंदी कानून से नहीं आयेगी, यह भी तय है.
अति विचारणीय मुद्दा!!!
संयम की कमी हो रही है । वज़ह है नेट पर और मिडिया में सेक्स एक्सपोजर । और हमारा कंजर्वेटिव समाज । परिणाम फ्रस्ट्रेशन ।
इसीलिए पहले गुरुकुल में रहकर छात्रों को शिक्षा दी जाति थी । वहां उन्हें २५ साल तक ब्रहम्चारी रहने का पाठ पढाया जाता था ।
लेकिन अब तो हाथ में ही सारा संसार आ गया है , मोबाईल के रूप में ।समाधान के लिए समाज को ही बदलना पड़ेगा ।
शर्मनाक घटना !
इन बच्चों के माँ बाप ने औलादों को पैदा कर छोड़ दिया ! सिखाया कुछ नहीं अथवा शायद यही ....
शुभकामनायें आपको
नैतिकता का पतन है..घोर पतन..
बिलकुल आपसे सहमत हूँ। इसके लिये सब से पहले जरूरी है बच्चों को संस्कार देना फिर तब तक उन संस्कारों का संऱाण करना जब तक कि बच्चे अपनी पढाई समाप्त नही कर लेते। लूट डकैती हिंसा छात्रअपने नाज़ायज़ खर्चे और नशे आदि के लिये ही करते हैं। इस लिये माँ बाप को कालेज मे भी उनकी गतिविधियों पर नज़र रखनी पढेगी। धन्यवाद।
मां बाप बच्चों को हास्टल में यह समझ कर छोडते हैं कि दोस्तों के साथ रहकर पढाई का माहौल मिलेगा और वे अच्छा पढेंगे लेकिन दोस्तों के साथ उन्हें कई तरह के माहौल मिलते हैं। हास्टल का जीवन स्वच्छंद होता है और यहीं से छात्र नशे की गिरफत में आते हैं, कई तरह के कुव्यसन घेर लेते हैं और फिर इस तरह की वारदात सामने आती है।
मां बाप का क्या वे तो पहले भी बेचारे थे अब भी बेचारे हैं। पहले बच्चों को इंजीनियरिगं में दाखिला दिलाने खर्च किए और अब उन्हें जेल से छुडाने खर्च करेंगे।
मां बाप बच्चों को हास्टल में यह समझ कर छोडते हैं कि दोस्तों के साथ रहकर पढाई का माहौल मिलेगा और वे अच्छा पढेंगे लेकिन दोस्तों के साथ उन्हें कई तरह के माहौल मिलते हैं। हास्टल का जीवन स्वच्छंद होता है और यहीं से छात्र नशे की गिरफत में आते हैं, कई तरह के कुव्यसन घेर लेते हैं और फिर इस तरह की वारदात सामने आती है।
मां बाप का क्या वे तो पहले भी बेचारे थे अब भी बेचारे हैं। पहले बच्चों को इंजीनियरिगं में दाखिला दिलाने खर्च किए और अब उन्हें जेल से छुडाने खर्च करेंगे।
Bahut Gambhir Bat Likha bhaiya Apne
BAchho Ko Bachpan Se Hi Achhe Sanskar De To Ye Din Dekhne Ko Nahi Milega. Bachho Ki Life To Kharab Hua Hi Ab Maa Bap Ko Ko Bhi Kahi Ke Nahi Chhode.
Khas Taur Se Ye Videshi Tyouhar Se Hame Duri Banayr Rakhna Hi Sahi Hai.
बलात्कार जैसे अपराध के लिए कोई भी जरुरत या मजबूरी नहीं हो सकती..ये सिर्फ और सिर्फ नैतिक पतन है .संस्कारों की कमी.
बेहद चिंतनीय ...
जवानी हम पर भी आई थी, पैसो की जरुरत हम लोगो को भी होती थी, लेकिन हमे उस जमाने मे मां बाप पुरा समय देते थे, ओर अच्छी अच्छी कहानी बचपन मे सुनाया करते थे जिस से हम लोगो मे अच्छॆ संस्कार आते थे, ओर आज कर राखी को देखा, मुन्नी के संग नाचे तो संस्कार भी शीला की जवानी की तरह से बदनाम ही आयेगे ना, यह गलती मां बाप की हे जो बच्चो को पुर समय ना दे कर पेसो के पीछे भागते हे, ओर बच्चे बिगड जाते हे...
प्रेम का कोमल प्रदर्शन और भेड़ियों के कर्मों में जमीन आसमान का अन्तर है। अधिकतम दण्ड दिया जाये।
एक तरफ हम युवाओ को देश का भविष्य कहते है और जब युवाओ को ऐसी घिनौनी/कुकर्म में लिप्त होते हुए सुनते है तो दिल एक दम झकजोर जाता है ...एक जानवर भी अपने हद पे रहता है लेकिन इस तरह इंसानियत का शर्मसार होना समाज के लिए बुरा संकेत है ...
जब मैं उस मासूम पीड़ित बच्ची के बारे में सोंचता हूँ तो मैं एक दम भयावह हो जाता हूँ, क्या होगा उस बच्ची का भविष्य ? वर्तमान में उसकी मानसिक स्थिति कैसी होगी ....
कानून को थोड़ी शख्त होना जरुरी है और इस तरह की गेंग रेप कुकर्मी को उम्र कैद या फांसी जैसे सजा देनी चाहिए ताकि ऐसे मानसिकता वाले लोगो के जेहन में कुछ तो डर हो...
bade pade likhe logo ne bahut bade-2 baatne khai per kya wo joda jo waha ghum raha tha uski koi galti nahi .... her apraad k liye police jemmedaar nahi hoo sakti..aadmi ko apni surakcha ka dhayan hona chaiye ..kyon gye the aap us sunsaan jagye per..her aadmi k bhitar ek jaanwar hota hai joo kabhi bhi jaag sakta hai..agar ye apraad un ladko ne kiya hai to unko uksaya kisne ye sochne ka mudda hai....
समाज में जिम्मेदारी की सीमा तय करना मुश्किल है, परिवार के लिए भी अभिभावक हों या छात्र किसी एक को जिम्मेदार नहीं माना जा सकता और फिर पूरी तरह नहीं तो प्रथमतः और अधिकतम जिम्मेदार तो कृत्य करने वाला ही है.
yah paschaty sanskriti..kisi ko bhi happy nahi rakh sakati....yah isi ka ek natija hai...kathor saja milani chahiye....
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