Sunday, February 27, 2011
बारात में बैण्ड वाले धुन बज़ाते है शादी बन गई है उमर कैद की सज़ा,शादी के मण्डप से तू खूद को भगा!कमाल है!
बारात मे अगर बैण्ड बाज़ा ना हो तो फ़िर बारात का मज़ा ही क्या!और जब हो तो जम कर डांस और हंगामा!एक से एक फ़िल्मी धुने।कभी बैण्ड वाले बारात की शान हुआ करते थे और उनकी बज़ाई खास धुनों की फ़रमाईश भी होती थी।यंहा रायपुर के मशहूर सिदीक बैण्ड वाले क्लारनेट पर जब बहारों फ़ूल बरसाओ मेरा मेहबूब आया है बजाते तो घरों मे बैठे लोग समझ जाते थे कि बारात मण्डप तक पंहुच गई है।ये देश है वीर जवानो का अलबेलों का,इस धुन के बजते ही बड़े-बुज़ुर्ग समझ जाते थे दुल्हे की मित्र मण्डली अब जोश(बीयर-शीयर)से लबरेज़ होकर आ गई है।बारात निकलने से लेकर बारात मंडप तक पंहुचने तक़ की धुने चुनी हुई होती थी। और अब!अब तो हैरान हो जाते है जब बैण्ड वाले साथ मे चल रही गाड़ी पर लदे हुये स्पीकर बाक्सेस के दम पर अनाप-शनाप धुन बज़ाते हैं वो भी सिंथेसाईज़र के भरोसे।अभी हाल ही में एक बारात मे गया था और उसमे बैण्ड वाले घुन बज़ा रहे थे ज़ोर का ज़टका हाय ज़ोरो से लगा,शादी बन गई है उमर कैद की सज़ा,मत करना शादी,ये है बरबादी और एक और लाईन इसी गाने की जो है वो और खतरनाक है,शादी के मण्डप से तू खुद को भगा।पूरा का पूरा गाना शादी विरोधी और बैण्ड वाले बज़ा रहे थे उसे शादी में।बताओ है ना कमाल!एक और गाना बड़ी धूमधाम से बज़ रहा है आज कल शीला,शीला की जवानी अब इससे ज्यादा इस गाने और इसकी धुन की तारीफ़ करने के लिये मेरे पास शब्द ही नही है। वैसे मैंने जब इस बात पर आपत्ति की तो साथ मे चल रहे दोस्तों ने कहा अगर अच्छा लग रहा है तो सुनो,बहुत अच्छा लग रहा है तो डांस करो नही तो चलो आगे चल कर पी-पुआकर आयेंगे तब पता ही नही चलेगा क्या बज़ रहा है क्या नही?उनका ये भी कहना था कि जब बारातियों को और घरातियों को कोई आपत्ति नही तो तुम को उधर ध्यान देन की ज़रूरत नही है? मुझे उन लोगों की बाते जमी मगर पूरी बारात में बार-बार बज़ती शादी के मण्डप से तू खुद को भगा,ये धुन मुझे खलती रही।आप भी अगर अबकी बारात जायें तो ध्यान से सुनियेगा इस गाने की धुन को और क्या लगता है मुझे बताईगा ज़रुर्।
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9 comments:
सीख तो सही देता है, लेकिन कोई माने तब न..
इन दिनों शीला की जवानी और मुन्नी की बदनामी सुनते हुए ही वरमाला मंच पर दुल्हनों के दर्शन होते हैं.
एक गाना और भी है - तुझे दुल्हा किनने बनाया ओ भूतनी के
कुछ दिन पहले मंच पर दुल्हा दुल्हन बैठे थे और पार्श्व मे गाना बज रहा था...
मरजानी मरजानी, खासमा नू खानी मर जानी ....
हद है भाई ....
यह धुन सुनकर बड़ा आश्चर्य होता है।
हा हा हा,आप चिंता न करें मैने सीख ली है और अभी तक़ इससे बच हुआ हूं।
हा-हा-हा
सभी आखिरी वक्त तक चेताते हैं फिर भी दूल्हें नहीं सुनते और फंस जाते हैं :)
प्रणाम
अगर अच्छा लग रहा है तो सुनो,बहुत अच्छा लग रहा है तो डांस करो नही तो चलो आगे चल कर पी-पुआकर आयेंगे तब पता ही नही चलेगा क्या बज़ रहा है क्या नही?
बात तो सही कही है ।
आजकल शादियों में कौन किस की परवाह करता है ।
कभी आन फिल्म का गाना शादी में खूब चलता था-
दिल में छुपा कर प्यार का तूफ़ान ले चले
हम आज अपनी मौत का सामान ले चले )
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