Sunday, May 15, 2011
चुनाव के बाद पेट्रोल के दाम बढाना,क्या ये चुनावी धांधली नही है?
शनिवार की रात से पेट्रोल की कीमत पांच रूपये प्रति लीटर और बढा दी गई।अभी डीज़ल और रसोई गैस के भी दाम बढने है।ऐसा करने के लिये तेल वितरण कंपनियों पर काफ़ी पहले से दबाव था लेकिन खुद को सुनियोजित तरीके से मूल्य नियंत्रण से अलग रखने की फ़र्ज़ी घोषणा कर चुकी सरकार अभी भी परोक्ष रूप से मूल्य नियंत्रण अपने हाथ मे रखे हुये है।और ठीक चुनाव निपट जाने के बाद पेट्रोल के दाम बढा देना क्या एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा नही नज़र आता।पांच राज्यों के चुनाव तक़ बड़ी होशियारी से मूल्य बढाने के प्रेशर को टाला गया और अब सिर्फ़ पेट्रोल के दाम बढा दिये हैं,फ़िर कुछ दिनो बाद डीज़ल के और फ़िर रसोई गैस के दाम बढाये जायेंगे।ऐसा लग रहा है कि सरकार जनता के साथ ठगी कर रही है। दम होता तो बढाती दाम चुनाव के पहले सरकार या फ़िर उसकी कठपुतली तेल वितरण कंपनियां।मगर ऐसा करती तो शायद चुनावी नतीज़े हो सकता है कुछ और ही होते।चलो मान किया कि कोई फ़र्क़ नही पड़ता चुनावी नतीजों पर तो फ़िर काहे नही बढाये गए दाम पेट्रोल के।अब जनता साली लाख चिल्लाये,कर भी क्या सकती है वो।उसके हाथ का ब्रम्हास्त्र तो चलवा ही लिया ठगों ने। हद हो गई है बेशर्मी की और जनता को ठगने की।और सीनाज़ोरी देखिये है कि कह रहे हैं पिछले घाटे को पूरा करने के लिये दाम बढाये गये हैं।ये पिछ्ला घाटा बढने ही क्यों दिया तेल कंपनियों नें?क्या पांच राज्यों के चुनाव निपटाने थे इसलिये दाम नही बढाये जा रहे थे?क्या इसी बहाने जनता के वोट लूट्ने थे?बूथ कैप्चरिंग का शायद ये सबसे लेटेस्ट तरीका है।ईवीएम मशीन से छेडछाड से तो एक ही बूथ पे गड़बड़ होती है,इस मूल्य नियंत्रण से तो सारे देश मे चुनावी बूथ प्रभवित हो जाते।बात-बात मे चिल्लाने वाली ममता भी खामोश ही रहेगी,क्योंकि इस मूल्य नियंत्रण का सबसे ज्यादा लाभ शायद उन्हे ही मिला है और इसमे कोई शक़ नही कि इस नई बूथ लूटू मूल्य नियंत्रण प्रणाली पर उनकी भी सहमती होगी ही। खैर जनता एक बार फ़िर ठगी जा चुकी है और आगे भी ऐसा ही होता रहेगा।सरकार जिसकी रहेगी वो इस हथियार का इस्तेमाल करेगा और जिसे फ़ायदा होना होगा वो मज़े मे रहेगा जिसका नुकसान होगा वो चिल्लायेगा और मरेगी सिर्फ़ आम जनता।क्योंकी खास आदमी को सरकारी अफ़सरों को और ठगी से बन रहे नेताओं को इससे कोई फ़र्क़ नही पड़ने वाला क्योंकी दाम बढे या ना बढे उनके बाप का क्या जाता है सरकारी माल से खरीदा जाता है सब कुछ,मेहनत की कमाई तो जाती है आम आदमी की,जिसकी चिंता करने का सरकार के पास टाईम ही नही है।उन्हे तो बस जनता को ठगने की तिकडम करना आता है और कर रहे हैं।
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13 comments:
चुनाव गीता पाठ के संपन्न होने के बाद अब कांग्रेस निष्काम भाव से कर्म कर रही है फ़ल की चिंता किये बिना किस आधार पर आप ऐसे परम संतो की आलोचना कर रहे हैं बड़े भाई
ये त्तो होना ही था!
जनता तो इस देश की, निपट नपुंसक मूढ़.
नेता लोमड़-भेड़िये, इस पर हैं आरूढ़..
धांधली का दूसरा नाम ही तो पालिटिक्स है :)
अनिल भाई,
एक दिन इस देश से वेलफेयर स्टेट की अवधारणा बिल्कुल खत्म हो जाएगी...जैसे पेट्रोल कंपनियों को सरकार ने मनमाने ढंग से दाम बढ़ाने की छूट दी है, एक दिन हर चीज़ में यही हाल दिखेगा...किसानों की सारी ज़मीन पर कब्ज़ा कर एक्सप्रेस-वे, हाई राइज़ बिल्डिंग, मॉल बना दिए जाएंगे...हर तरफ कंक्रीट का जंगल होगा...फिर खाने को भी बस ईंटें मिलेंगी...अन्न पैदा करने के लिए तब ज़मीन ही कहां बचेगी...
चार-चार दिग्गज अर्थशास्त्री (मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम, प्रणब मुखर्जी, मोंटेक सिंह अहलूवालिया) सरकार में होने के बावजूद वाह री देश की व्यवस्था...
जय हिंद...
ठगने के दिन गए अब तो ज़माना लूट का है
रहस्यमयी ये भारत देश, पता नहीं चल किस भरोसे रहा है, भगवान के या जुगाड के?
हम हमेशा ही रुल किये जा रहे हैं , पहले राजा फिर अंग्रेज और अब नेता
- अविनेश सिंह
This is the "Ram raj". Ruling & main opposition both are supporting this policy. Now ATF became 2.81 rupees cheaper then petrol!
भोले भाले ओर सीधे साधे लोग एक आध बार लालच मे आ कर ठगे जाते हे, बार बार नही जो बार बार ठगा जाये उसे क्या कहेगे?
आप के लेख से सहमत हे जी
अरे चुनाव का जो बजट तेल कम्पनियों ने दिया था !
पता नहीं पर लग तो रहा था।
अनिल भाई,
निश्चित तौर पर आपने जो भी लिखा है अक्षरशः सत्य है..
आप तो जानते ही हैं कि पेट्रोलियम का मूल्य विश्व में नीचे की ओर जा रहा है, फिर भी सरकार बाज़ नहीं आती...
यूँ ही लिखते रहें..
संजय गुप्ता
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