Tuesday, June 28, 2011

इस सादगी पर कौन ना मर जाये प्रणबदा,दाम बढाता है केन्द्र और कम करने को कहते हो राज्य सरकारों से!

केन्द्र सरकार में एक से बढकर एक हीरे हैं।अरे नहीं मैं राजाओं की बात नही कर रहा हूं,दिल के राजाओं की बात कर रहा हूं।अब देखिये केन्द्र सरकार ने पेट्रोलियम प्रोडक्ट के दाम बढाये तो महंगाई तो बढनी तय है और इसका असर गरीबों पर पड़ना भी तय है।और अगर गरीबों के लिये केन्द्र सरकार की ओर से कोई कदम ना ऊठाया जाये तो फ़िर वो गरीबों के साथ कैसे कहलायेगी?सो केन्द्र के राजा नही बल्कि दादा गरीबों के पक्ष में सामने आ गये।एक राजा ने तो तय कर लिया है कि वे आरएसएस,बीजेपी या भगवा जैसी बड़ी ताक़तो के अलावा महंगाई , भ्रष्टाचार, विदेशी धन,विदेशी मूल जैसी छोटी-मोटी समस्याओं पर अपना मुंह नही खोलेंगे।                                                अब किसी न किसी को तो गरीब के फ़ेवर मे आगे आना था केन्द्र की ओर से,सो दादा आगे आ गये।दादा बड़े भोले हैं ,उन्हे पता ही नही चला कि दाम कैसे बढ गये हैं या बार-बार दाम क्यों बढ जाते हैं?बेचारे वैसे ही परेशान है आजकल लोग बेवजह बुढापे में उन पर नज़र रख रहे हैं।ठीक है प्रधानमंत्री बनने की इच्छा किसकी नही होती?खैर जाने दिजिये।दादा को लगा कि दाम बढने से सारे देश में हल्ला मचना शुरु हो गया है।बीजेपी को भी बैठे-बिठाये रामदेव के बाद नया मुद्दा मिल गया है।सो वे आगे आ गये गरीबों को नही केन्द्र को बचाने के लिये।दादा बड़े भोले हैं एक तीर से दो शिकार करने वाले वेटरन खिलाड़ी हैं।अब वे अपने तरकश से तीर निकाल कर राज्यों सरकारो पर चला चुके हैं,गरीब भी सोचने लगा है कि चलो कोई तो आया केन्द्र की तरफ़ से उनके हक़ मे आगे,बाकी तो सब मैम के लिये ही लड़ते-झगड़ते हैं,चाहे दूसरों से हो या आपस में,उनकी लड़ाई अगर है तो सिर्फ़ और सिर्फ़ मैम के लिये।                                                                                                                                 अब दादा ने राज्य सरकारों को चिट्ठी लिख मारी है कि स्थानीय टैक्स हटाकर पेट्रोलियम प्रोडक्ट के दाम घटाकर आम जनता को राहत दें।इससे दो फ़ायदे नज़र आये दादा को।एक केन्द्र का फ़ेवर करने की फ़ार्मेलिटी भी पूरी हो गई और दूसरे लगे हाथ् रूटीन मे हर बार की तरह दाम बढने के दर्द को भूल रही जनता और विपक्ष के घाव को भी ढंग से कुरेद दिया।अब लग जायेगी बीजेपी उनके इस बयान का जवाब देने में जिसका निशाना वो ना होकर मैम या मैन ही होंगे।और करवाओ जसूसी दादा की।                                                                 दादा इतने सीधे-सादे भोले-भाले हैं कि उनकी सादगी पर शेर नही पूरा दीवान लिखा जा सकता है।इस सादगी पर कौन ना मर जाये प्रणबदा,अगर गरीबों के लिये आम जनता के लिये कुछ करना ही था,तो केन्द्र को भी एकाध चिट्ठी लिख देते की अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार मे तेल के मूल्यों में गिरावट के साथ-साथ यंहा भी दाम घटाने की व्यव्स्था करें,जैसे दाम बढाते हैं,वैसे घटायें भी।मगर दादा बहुत सीधे हैं,भोले हैं,उन्हे पता है अगर ऐसा किया तो केन्द्र सरकार में बवाल मच जायेगा,एक नम्बर बनने के चक्कर में बहुत से खार खाये लोग उनकी खटिया खड़ी कर देंगे।अभी तक़ तो सिर्फ़ जासूसी ही हुई है,कोई बड़बोला उन्हे जासूस ही ना साबित कर दे।बस यही सब सोच के प्रणब दा ने जनता के हित में राज्य सरकारों को खत लिखा है कि टैक्स घटा कर दाम कम करो।अब उनकी चिट्ठी का कितना असर होता है ये देखना है।हो सकता है कुछ जान-पहचान वाले उस पर ध्यान देने की फ़ार्मेलिटी कर दें या फ़िर हो सकता है कई तो नकचढी खूबसुरत लडकियों की तरह किसी गरीब लड़के के पहले-पहले लव-लैटर की तरह उसे अपनी सैंड़ल तले कुचल दे।और दादा के चिट्ठी लिखने के बावज़ूद दाम न घटे और गरीब गाता ही रहे दिल के अरमां आसंओ में बह गये।दादा चिट्ठी लिख के अपना कर्तव्य पूरा कर गये।

5 comments:

Arunesh c dave said...

सही है भैया चिठ्ठी लिख सोचते हैं कि कर्तव्य पालन हो गया मुझे तो यह समझ मे ही नही आता कि सोनिया के पास कोई सलाहकार ढंग का है कि नही

AK SHUKLA said...

अनिल भाई , एकदम सही सवाल उठाया है | केन्द्र में कोई भी सरकार हो ऐसा ही करती है | यूपीए ने यह रिक्वेस्ट राज्यों से दूसरी बार की है | भाजपा नीट सरकार भी पहले ऐसा एक बार कर चुकी है | सरकारें कोई भी हों , काम एक जैसा करती हैं |

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

गरीबों के साथ है, उनका हाथ. और आपकी ऐसी बात.

प्रवीण पाण्डेय said...

सब कुछ न कुछ कर ही रहे हैं।

Madhur said...

अनिल भैया , आपकी लेखन शैली का मै दीवाना हूँ | हैलो रायपुर के जून द्वितीय में आपका लेख "अच्छा किया मैडम डीज़ल,कैरोसिन और रसोई गैस के दाम बढा दिये!" पढ़कर मेरे साथियों ने खूब मज़े लिए