Monday, August 15, 2011

,हमें भी अपने देश के लिये कुछ करना चाहिये।बस ये कुछ क्या है?शायद यही समझ नही पाये और इसलिये कुछ भी नही कर पाये।

स्वतंत्रता दिवस पर एक ईमानदार कन्फ़ेशन।जैसी भी हो,हमे अपनी आज़ादी प्यारी है।स्कूल में निबंध लिखने से लेकर कालेज में परेड देखने और अब खुद झण्डा फ़हराने तक़ का समय यही सोचते-सोचते गुज़र गया कि आज़ादी का जश्न मनाना ही काफ़ी नही है,हमें भी अपने देश के लिये कुछ करना चाहिये।बस ये कुछ क्या है?शायद यही समझ नही पाये और इसलिये कुछ भी नही कर पाये।एक बार फ़िर झण्डा फ़हराने का समय आ गया है।कल फ़िर झण्डे को सलाम करूंगा और सोचुंगा कि देश के लिये कुछ लिये करना चाहिये।शायद जब तक़ कुछ करुं अगला स्वतंत्रता दिवस आ जायेगा।देश की बदहाली के लिये कुछ ढढने वाले कुछ लोगों की तरह कुछ-कुछ मैं भी ज़िम्मेदार हूं,शायद।

7 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

केवल राम said...

हम सब सामूहिक रूप से जिम्मेवार हैं .....! लेकिन दोष किसको दें ...!

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

sahmat...स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत शुभकामनाएँ

Smart Indian said...

बहुत गहरी बात कही है। यह दुविधा अनेक सज्जनों की है जिस से अकेले लडने के बजाय मिलकर विचार-विमर्श और कार्यांवयन होना चाहिये। अलग-अलग भटकने और अफ़सोस करने के लिये एक जीवन बहुत छोटा है।

vijai Rajbali Mathur said...

स्वाधीनता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।

प्रवीण पाण्डेय said...

सबको यही सोचना चाहिये।

Rahul Paliwal said...

बहुत खूब कहा. योगदान छोटा ही सही, देना ही होगा.
--आजादी के मायने और असली आजादी. - http://goo.gl/Q8I6M