Friday, August 19, 2011

मैं जैसा भी हूं,ठीक ही हूं।

अगर भ्रष्टाचार का विरोध करना,या उसके लिये अन्ना के आंदोलन का समर्थन करना,या फ़िर किसी भी आंदोलन को कुचलने की कोशिश का विरोध करना,नागरिक अधिकारों का समर्थन करना,या उसकी बहाली के लिए किसी भी सरकार का या पार्टी का विरोध करना आरएसएस का समर्थक होना है?क्या विदेशी हाथों में खेलना है?क्या साम्प्रदायिक तत्वों को बढावा देना है?क्या ये अपने देश की लोकतांत्रिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाना है?अगर कोई ऐसा समझता है तो ठीक है मैं जैसा भी हूं,ठीक ही हूं।

2 comments:

Anonymous said...

राशिद अल्वी और मनीश तिवारी जैसे लोगों की कम्पनी में होते कांग्रेस को दुश्मनों की दरकार नहीं है! :)

Arunesh c dave said...

ये साले तो खुद ही विदेशी मम्मी के चेले हैं इनकी बात का क्या कहें