Wednesday, August 31, 2011

राजनैतिक महत्वकांक्षाओं को पूरा करने या राजनैतिक हथियार बनाने के लिये रिटायर नेता को आब्लाईज़ करना जरूरी है

राज्यपालों की भूमिका एक बार फ़िर चर्चा में है।चाहे कर्नाटक हो या गुज़रात,या फ़िर और कोई राज्य,राज्यपालों के फ़ैसले राजनैतिक विवादो का कारण बनते जा रहे हैं।इस बर तो मामला संसद तक़ जा पंहुचा है।इतने सारे विवादों को देखते हुए क्या राज्यपाल के पद पर गैर राजनैतिक,पूर्व न्यायधिपति,अफ़सरशाह या समाजसेवक की नियुक्ति नही की जा सकती?जब अन्य महत्वपूर्ण पदो पर उनकी नियुक्ति की जा सकती है तो सिर्फ़ राजनैतिक महत्वकांक्षाओं को पूरा करने या राजनैतिक हथियार बनाने के लिये रिटायर नेता को आब्लाईज़ करना जरूरी है?

5 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

क्यों रिटायर लोगों के पीछे पड़ गये हैं..

अजित गुप्ता का कोना said...

जब ऐसे नेताओं को मुख्‍यधारा से हटाना होता है तब उन्‍हें राज्‍यपाल बना दिया जाता है। राजस्‍थान में कमला बेनीवाल कहीं मुख्‍यमंत्री की दावेदार नहीं बन जाएं इसलिए उन्‍हें राज्‍यपाल बना दिया गया।

हितेन्द्र सिंह said...

"तो सिर्फ़ राजनैतिक महत्वकांक्षाओं को पूरा करने या राजनैतिक हथियार बनाने के लिये रिटायर नेता को आब्लाईज़ करना जरूरी है?"

भैया, जरूरी है तभी तो इस संवैधानिक पद को मजाक बनाकर रख दिया गया है। अब एस.एम. कृष्णा और आंध्र के रोसैया को राज्यपाल बनाया गया। ये लोग तो कितने सक्रिय हैं राजनीति में।

-हितेन्द्र

Arunesh c dave said...

राज्यपाल चयन प्रक्रिया मे सुधार बेहद आवश्यक है। कोई राज्यपाल सही काम भी करे तो उस पर आरोप लगा दिये जते हैं। और काम भी पार्टी द्वारा चुने गये राज्यपाल उल्टापुल्टा ही करते हैं

अंकित कुमार पाण्डेय said...

इस व्यवस्था में हर पद भ्रष्ट लोगों द्वारा हित्सधने का माध्यम बनता जा रहा हिया तो राज्यपाल का पद अलग कैसे होगा ???

ज्ञान , धन और समाज के लिए ज्ञान का महत्त्व
http://nationalizm.blogspot.com/2011/09/blog-post.html