Thursday, October 6, 2011
।नक्सल समस्या पर भी बड़बोले नेताओं को बुलाकर गर्मागरम बहस करा कर तो दिखाये साहब।
आज की सबसे बडी खबर बताई गई मुम्बई में आटो वालों की पिटाई और एक आटो रिक्शा को जलाने की घटना।देश का ठेका खुद ही ले लेने वाले चैनल वाले भाईयों ने आज फ़िर जनता का चैन छीन लिया।सुबह से बिना थके रात तक़ बस एक ही सवाल आखिर मुम्बई में राज किसका है?जय हो मेरे देश के स्वयंभू ठेकेदारो अरे भाई एक आटो रिक्शा जला है और जो आधा दर्ज़न मारपीट हुई उसमे भी कोई गंभीर रूप से घायल नही हुआ,मर्ना तो बहुत दूर की बात है।बस चढ बैठे राज ठाकरे पर।मैं भी मराठी हूं लेकिन राज ठाकरे के तरीके से सहमत नही हूं। मेरा सवाल ये है कि जब एक आटो के जलाये जाने पर आप महाराष्ट्र में सरकार नही होने की बात कह सकते हो।मुम्बई की सड़को पर राज ठाकरे का राज बता सकते हो।तो फ़िर इस बारे में भी आपकी बहुमूल्य राय जानना चाहुंगा कि जंहा आये दिन आटो से कई गुना बड़ी गाड़ीयां जलाई जाती हो,एक नही कई लोग मार दिये जाते हो,जंहा रात को रेलगाड़ी नही चलाई जा सकती हो।उस पर तो कुछ कहिये साहब्। यंहा छत्तीसगढ में तो आये दिन डम्पर,डोज़र,टिप्पर,ट्रक,ड्रिलिंग रिग और जाने क्या-क्या जला दिये जाते है।एक नही दर्ज़नों बल्कि सैकडो आटो आ जायेंगे उसकी किमत पर।इसके अलावा नक्सली आये दिन किसी न किसी की जान ले ही रहे हैं।उन्होने साल भर से ज्यादा समय पहले हावड़ा-मुम्बई रेल लाईन पर दौड रही शालीमार एक्स्प्रेस को गिरा दिया था।दर्ज़नो लोग मारे गये थे।और उस घटना के बाद मेरा मुम्बई जाना भी टल गया।शालीमार एक्स्प्रेस के गिरा दिये जाने के बाद आज तक़ उस मार्ग पर रात को रेल नही चलाई जाती है। क्या रेलमार्ग पर सरकार की मर्ज़ी के मुताबिक नही बल्कि नक्सलियों की मर्ज़ी के मुताबिक रेलों को निर्धारित समय पर ना चला कर घण्टो देर से चलाया जाना शायद नज़र ही नही आता भाई लोगों को।आज तक़ नही बुलाया इस विषय पर किसी विशेषज्ञ को बहस के लिये।क्यों?क्या डर लगता है।यंहा छत्तीसगढ में आये दिन मुठभेड होती है नक्सलियों सेआये दिन लोग मरते है?क्या इस मामले पर बहस नही होनी चाहिये?क्या यंहा बिज़ली के टावर गिरा कर सात-सात दिनों तक़ इलाके को अंधेरे में डुबो देने वाले तो आपकी नज़र में निर्दोष है,उन्हे सर्टिफ़िकेट की भी ज़रुरत नही सब कुछ प्रायोजित। कभी इस बारे मे भी कुछ कहिये जनाब्।नक्सल समस्या पर भी बड़बोले नेताओं को बुलाकर गर्मागरम बहस करा कर तो दिखाये साहब।
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5 comments:
गंभीर मसला पर बेबाकी से बात की आपने।
मुंबई की एक आटो को जलाने की घटना पर मीडिया की इतनी हायतौबा और यहां रोज बडी वारदातें हो रही हैं... इन वारदातों को देखकर कहीं से नहीं लगता कि सरकार नाम की कोई चीज है पर मीडिया खामोश है... क्या यहां वो टीआरपी नहीं मिलती जो मुंबई में मिलेगी.... ज्ञानेश्वरी ट्रेन हादसे के बाद से रात को गाडियां नहीं चल रही हैं... सरकार नक्सलवाद के सामने नतमस्तक है....
आज ही की एक खबर है जो कल के अखबारो की सुर्खियां बनेंगी.... आज रात को आठ बजे कुछ हथियारबंद लोगों के राजनांदगांव जिले के मोहला ब्लाक के कांग्रेस अध्यक्ष को घर से बाहर निकालकर गोली मार दी। गोली की आवाज सुनकर जब तक घर के लोग बाहर निकलते वो लाश बन चुके थे...
ये खबर शायद ही राष्ट्रीय मीडिया में जगह पाए....
मीडिया का ये रूप सच में अखरता है
नेताओं में दम नहीं कि वे इस मुद्दे पर बहस कर सकें और ईलेक्ट्रानिक मीडिया को नक्सलियों में कुछ मिल नहीं रहा कि वे इसका कवरेज करें, अगर इनको कुछ वहाँ बेचने वाली खबर या फ़िर पैसे मिलें तभी ये जायेंगे या कोई हाईप्रोफ़ाईल व्यक्ति नक्सली बन जाये।
आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।
उफ़्फ वोट के लिए कोई क्या क्या करवा सकता है...वेचारे स्कूटर वाले.
घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने. दम है तो अपने पैसे से मराठियों को पढ़ा-लिखा कर काम-धंधा देने का काम क्यों नहीं करते ये MNS के जोकर...
ise kahte hain khari-khari vo bhi anil pusadkar style... no doubt..
vijayadashmi ki badhai aur shubhkamnayein baiya...
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