Sunday, November 6, 2011

इस देश पर नियंत्रण किसका है?सरकार का है नियंत्रण है या तेल कंपनियों का?तेल कंपनी का है या बाज़ार का?

पेट्रोल के दाम बढने के बाद शुरू हुये बयानबाज़ी के दौर ने एक कन्फ़्यूज़न भी पैदा कर दिया है।अब तो समझ मे ही नही आ रहा है कि इस देश पर नियंत्रण किसका है?सरकार का है नियंत्रण है या तेल कंपनियों का?तेल कंपनी का है या बाज़ार का?बाज़ार का है तो कौन से बाज़ार का?देश के बाज़ार का या अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार?अगर सरकार का है तो कौन सी सरकार का कांग्रेस कि यूपीए सरकार का या बिना ममता की  तृणमूल वाली यूपीऐ सरकार का?प्रधानमंत्री का या हाईपावर मंत्रियो के समूह का?प्रधानमंत्री का कांग्रेस पार्टी का?कांग्रेस पार्टी का या गांधी परिवार का?और अगर कांग्रे पार्टी का नियंत्रण है तो फ़िर कांग्रेस पार्टी सरकार से पेट्रोल के दाम वापस लेने की अपील क्यों कर रही है,सीधे उसे आदेश क्यों नही दे रही है कि दाम वापस लिये जाये।कांग्रेस कह रही है सरकार से कि दाम वापस ले लिये जाये।सरकार कह रही है कि दाम वापस नही होंगे।अब ये समझ में नही आ रहा है  कि सरकार कांग्रेस के नियंत्रण में है या कांग्रेस सरकार के नियंत्रण में है।ममता अलग राप आलाप रही है तो डीएमके का अलग।तेल कंपनियों का राग अलग है तो सरकार का अलग।कांग्रेस का भोंपू अलग अलग राग आलाप रहा है तो प्रधानमंत्री अलग।अब बताईये भला ये कोई बात हुई कि देश का प्रधानमंत्री ये कहे कि तेल का भाव बाज़ार तय करेगा!अरे भैया जब सब कुछ बाज़ार ही तय कर लेगा तो इस देश में सरकार की या आपकी ज़रुरत ही क्या है?बेच दो अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में इस देश को जनता समेत फ़िर करते रहेगा बाज़ार सब कुछ तय।पता नही इतना गैरज़िम्मेदाराना बयान कैसे दे देते हैं।फ़िर विपक्ष भी अपने फ़ायदे की बातों पर ध्यान देता है।किसी भी सरकार का निरंकुश या अनियंत्रित बर्ताव कमज़ोर विपक्ष के कारण ही संभव हो पाता है।अब इस देश में विपक्ष है भी या नही,ये भी समझ में नही आ रहा है?अगर विपक्ष है तो फ़िर साधु-संतो को हड़ताल करने की ज़रूरत क्यों पड़ी?क्यों समाजसेवी सड़क पर उतर रहे हैं?क्या जनता का विश्वास विपक्ष से उठ गया है?या फ़िर सरकार और विपक्ष एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं?बहुत कन्फ़्यूज़िया गया हूं।समझ में नही आ रहा है।चलो बाज़ार ही घूम आऊं क्या पता कल को बाज़ार ही देश चलाये!

5 comments:

Human said...

जागरूक करता आलेख !

Alpana Verma said...

जिन सवालों को आप ने उठाया है..वे हम सभी 'आम भारतीयों' के दिमाग में हैं परंतु आश्चर्य है कि 'खास भारतीयों' की सोच कहाँ गयी है?

संगीता पुरी said...

क्या पता कल को बाज़ार ही देश चलाये ??

Atul Shrivastava said...

विचारणीय पोस्‍ट।

दीपक 'मशाल' said...

ऐसा ही लगता है..