Monday, November 7, 2011
मेरी कमीज़ से तेरी कमीज़ साफ़ क्यों,आ थू आ थूऊऊऊऊऊऊऊ बस यही कर हैं,देश के नेता।कोई भी अपनी कमीज़ साफ़ नही कर रहा,दुर्भागय है इस देश का।
बस यही करो?देखो की विरोधी क्या कर रहा है?और उसकी कुंडली बनाओ और उस पर टूट पड़ो।बस यही है आज की राजनीति।ये किसी एक पार्टी का मूलमंत्र नही है,सभी इसे फ़ालो कर रही हैं।कोई अपनी मैली,गंदी या दागदार कमीज़ नही धो रहा है,बस सीधे विरोधी की कमीज़ पर थूक रहा है और चिल्ला रहा है मेरी कमीज़ से उसकी कमीज़ ज्यादा गंदी है।उसे अब गंदगी के बारे में बोलने का कोई हक़ नही क्योंकि उसकी भी कमीज़ गंदी है।यानी सब की कमीज़ो पर थूको,सबकी कमीज़ गंदी कर दो और फ़िर मज़े से देश में गंदगी करो,गंदगी फ़ैलाओ।गंदगी फ़ैलाने में तो सुअरों को भी मात दे रहे हैं नेता।कभी मुझसे किसी ने कहा था कि सुअर से कभी मत लड़ना।आप अगर उससे जीत भी गये तो पाओगे कि आप गंदगी से तरबतर हो गये हैं,और उसे यानी सुअर को गंदगी से तरबतर होने में मज़ा ही आता है।आज वो किस्सा याद आ गया है।जिस पार्टी को देखो गंदगी फ़ैलाने में लगी है।गंदगी कम करने या खतम करने की दिशा में काम कोई नही कर रही है।उलटे कोई अगर गंदगी के खिलाफ़ सामने आ भी रहा है तो शुरू ,आ थू,आ थू आआआआअ थूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ।समझ में नही आ रहा है कि राजनीतिक पार्टियां साबित क्या करना चाह रही हैं।मैं किसी एक पार्टी की बात नही कर रहा हूं।नही तो पता चला यंहा भी आ थू आक्थूऊऊ।खैर मेरा कहना ये है कि अगर राजस्थान के दौरे पर राहुल गांधी के साथ मोटर साईकिल पर कोई बैठ गया,और अगर उसका रिकार्ड खराब है तो चिल्ल-पों क्यों?इसका मतलब ये तो नही कि राहुल ने उसे गलत काम करने का परमीट दिया था।या उससे इस्के एवज़ में वसूली करते थे।वही हाल आडवाणी की रथयात्रा मे हो रहा है।मंच पर अपराधी चढ गया।आ थू।अपराधी की होटल में रूके आ थू।क्या आडवाणी का उस होटल में शेयर है?क्या?क्या उनके संरक्षण में अपराध कर रहा है?कुछ देखना नही बस आ थू।आडवाणी पर कुछ कहना है तो येदुरप्पा को लेकर थूकिये।राहुल पर थूकना हो तो राजा,मारन और कन्निमोई या डीएमके से गठबंधन को लेकर थूकिये।वो नही बस आ थू ,आ थू।वो सब करेंगे तो सभी एक समान है सो निकल पड़े है अपनी कमीज़ से दूसरों की कमीज़ को ज्यादा मैली करने,और उसके लिये सबसे बढिया है आ थूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ।कुछ लोग तो आ थू के एक्स्पर्ट हैं।और आजकल तो प्रवक्ता भी उसकी थूकने की स्पीड़ और उसके निशाने में निपुणता को देख कर रखा जा रहा है।सभी लग गये हैं आ थू में।बेचारे अन्ना एण्ड पार्टी पर लगे हुये हैं आ थू करने में।कुछ को थूक थूक कर बेहाल कर दिया और अपनी कमीज़ धोने में ही बिज़ी कर दिया है।और थूको नेताओं पर। लो अब धोते रहे हो इस जनम के दाग।वो साफ़ कर भी लोगे तो हो सकता है कि पिछ्ले जन्म के दाग सामने ल दें।अन्ना अभी तक़ बचे हुये हैं।मगर कब तक़ बापू की गंदगी प्रूफ़ खादी उन्हे देश को खा लेने वालो से बचायेगी।इस आ थू आथू के कम्पीटिशन में जनता बेहाल है।सारे देश में गंदगी फ़ैली हुई है।उसे खतम करने के उपाय ढूंढने की बजाय नेता एक दूसरे पर थूक रहे हैं।और हमारी बिरादरी भी यही देख रही है किसने किस पर थूका और उसके थूकने का क्या असर हुआ।उसके बाद उसने किस पर थूका,कैसा थूका,फ़िर किसने थूका।बस यही रह गया है।जनता उम्मीद से देख रही है कि महंगाई कब कम होगी,भ्रष्टाचार कब कम होगा,खतम होने की तो उम्मीद कर भी नही सकते इस देश में क्योंकि जिन हाथो में देश चलाने कि ज़िम्मेदारी है,वे हाथ कम मुंह ज्यादा चला रहें है और वो भी अपने बारे में कुछ साफ़-सुथरा कहने में नही बस आ थू करने में।क्या किया जा सकता हि सिवाय इसके कि राजनीति की तो मां की आथूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ।
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6 comments:
अब जनता ही थूकेगी इन पर थूके ही नही पीटे होश ठिकाने ले आये
जिस दिन जनता थूकने लगेगी.... सबकी औकात सामने आ जाएगी।
केवल थूकने से काम न चलेगा।
बहुत खूब..बहुत ही खूब..
राजनीतिक मसला ......बहुत खूब
अब राजनीती नही हो रही है, देश सेवा और भावना कहाँ है, चरित्र कहाँ है, बहुत हि घोए परिवर्तन हो गया है...जहां से पंडित दीनदयाल उपाध्याय चुनाव जीतते थे वहाँ से मुख़्तार अंसारी, और जहां से डॉ राजेन्द्र प्रसाद चुनाव लड़ते थे वहाँ से शःबुदीन चुनाव लड़ते हैं... एक विद्वान कि जगह एक खूंखार अपराधी ने ले ली है. देश को और राजनितिक दलों को चला कौन रहा है व्यपारी...और उद्योग पति... दूसरे हांथों से चलने वाले लोग कठपुतली सा व्यहवार हि करते हैं
बहुत हि सार्थक लेख धन्यवाद!
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