Thursday, November 10, 2011

क्या इस देश में समाचारो के नाम पर ऐश्वर्या का मां बनना,सैफ़ करीना का प्यार, ही बाकी रह गये हैं?

क्या इस देश में समाचारो के नाम पर ऐश्वर्या का मां बनना,सैफ़ करीना का प्यार,सलमान खान की शादी,सचिन का महाशतक,शाहरुख की रावण,रणजीत का राकस्टार,कोटला कि पिच,राहुल की ताज़पोशी,सामना का संपादकीय,और गुज़रात के दंगे ही बाकी रह गये हैं?

4 comments:

Atul Shrivastava said...

.... और यदि कुछ समय बच गया तो बिग बास के घर में बिग डाग अग्निवेश.....

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

यह वरिष्टों को ही शोभता है कि छुटभइयों को समझाएं कि -'भइये अक़्ल से कुछ तो काम लो... या ये बस लालाओं की ही तूती बजाने के लिए रख छोड़ी है'

प्रवीण said...

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सही लिखा है अनिल जी,

कुछ इसी तरह का सवाल सबके मन में उठता है, अंग्रेजी मीडिया तो कुछ हद तक विचारित्प्रेरक मुद्दों को उठाता है अब भी... पर अपना हिन्दी मीडिया एक सर्कस जैसा हो गया है।


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Asha Joglekar said...

यही सब देख कर लगता है कि पहले के दूरदर्शन समाचार ही अच्छे थे । पर हमारी हालत तो सांप मेंढक और लठ्ठे की कहानी के मेंढक जैसी हो गई है ।