Friday, December 23, 2011

कुछ् सांसदो का रवैय्या देख लगा कि वे कह रहे हो कि पहले सब मिलकर अन्ना और उसके लोकपाल से निपट लें,फिर बाद में मिल बांट कर देश को बेच खायेंगे

कुछ् सांसदो का रवैय्या देख लगा कि वे कह रहे हो कि पहले सब मिलकर अन्ना और उसके लोकपाल से निपट लें,फिर बाद में मिल बांट कर देश को बेच खायेंगे.शर्म भी नही आती,सारा देश देख रहा है,अखिर क्या संदेश देना चाह्ते हैं,कि भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की किसी भी कोशिश का यही अंज़ाम होगा?

4 comments:

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

आगे देखिए... यह रवैया सभी सांसदों का लगेगा :(

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

कोई शक?

रंजना said...

इन व्यक्त बेशर्मी परक उद्गारों के बीच साइलेंट सा एक उदगार यह भी था " चलो पहले चलकर बुढऊ को ठीक ऐसे निपटा आयें जैसे अभिमन्यू निपटाया गया था, ससुर ने जीना हराम कर रखा है"...

हम हैं महान लोकतान्त्रिक देश के दंभ से उबजुबाये नागरिक...

अनूप शुक्ल said...

सत्यवचन! मूंछों की लड़ाई का भी मामला बना दिया गया। :)