Tuesday, January 3, 2012
कम से कम अपने राजनयिक पर हमले के विरोध में ही सही चीनी सामानो का बहिष्कार होना चाहिये
चीन में हमारे राजनयिक पर हमला हुआ।हमारे दो भाई वंहा बंधक हैं।चीनी व्यापारी उन्हे रिहा नही होने दे रहे हैं,कोर्ट से रिहाई के आदेश के बावज़ूद्।चीन पहले से हमारी ज़मीन के एक बड़े हिस्से पर कब्ज़ा जमाये बैठा है।वो पहले भी हमारे देश पर हमला कर चुका हैं।नार्थ इस्ट मे उसकी गतिविधियां किसी से छुपी नही है।सीमापार उसकी हरक़तें संदिग्ध है और हमारे लाख विरोध जताने के बावज़ूद उस पर कोई असर भी होता नही दिखता।इन सब के बावज़ूद सोचिये क्या हम चीन को उतना कोसते है जितना पाकिस्तान को।क्या सिर्फ़ पाकिस्तान ही हमारा दुश्मन है?क्या चीन उससे बड़ा खतरा नही है?और सोचिये हम कर क्या रहे हैं?चीनी सामान खरीद रहे हैं?हमारे देश के बाज़ार चीनी उत्पादों से अटते जा रहे हैं?वंहा से स्मगल्ड सामान खरीद कर सोचिये क्या हम चीनी लाल दैत्य को और मज़बूत नही कर रहे हैं?क्या हमे उसका सामान खरीद कर उसे और मज़बूत करना चाहिये?क्या सस्ते के चक्कर में हमें अपने देश के दुश्मन को यंहा पनपने देना चाहिये?छोडिये और कारणो से ना सही कम से कम अपने राजनयिक पर हमले के विरोध में ही सही चीनी सामानो का बहिष्कार होना चाहिये या नही?और कुछ तो नहि कम से कम इसी तरह देश के दुश्मन को मज़बूत ना करके देश की थोड़ी बहुत सेवा करना चाहिये।
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लाल दैत्य
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8 comments:
एकदम उचित कहा. होना चाहिए.लेकिन यहाँ के उद्यमियों का क्या, जो चीन के मार्केट में आने से पहले तक मन-माफिक दामों पर चीजें बेचते रहे और चीन को एंट्री मिलते ही दाम घटा दिये. मैं बिलकुल चीन के सामान के साथ नहीं हूँ, लेकिन यहाँ के व्यापारियों को भी अपनी सोच बदलनी चाहिए अन्यथा इसी प्रकार देश का धन बाहर जाता रहेगा.
सहमत,,,
चीनी सामान बहिस्कार करना चाहिए,समान खरीदकर
हम चीन की मदद क्र रहे है,.....
"काव्यान्जलि":
Nice post.
हक़ीक़त को पाने के लिए गहरी नज़र, कड़ी साधना और निष्पक्ष विवेचन की ज़रूरत पड़ती
है।
और ज़्यादा तफ़सील जानने के लिए देखें-
http://vedquran.blogspot.com/2012/01/sufi-silsila-e-naqshbandiya.html
सूफ़ी
साधना से आध्यात्मिक उन्नति आसान है Sufi silsila e naqshbandiya
sach hai , jaise ke sath taisa , ya tit for tat wali baat humne nahi bhulni chaiye, hume cheeni saman ka bahishkaar karna chaiye
चीनी सामान का बाहिष्कार तो कर दे ,पर पहले भारतीय उस सामान के समान चीज़ें तो बनाएं
ये कहने में अतिश्योक्ति नहीं होगी की कम कीमत में चीनी सामान बहुत ही अच्छी फिनिश के साथ मिलता है जिस से बच्चे व अभीभावक आकर्षित होते हैं ..
सही है ..भारतीय कलाकारों को उनका सामान बेचने का मूल्य मिलना चाहिए ,परन्तु समय आ गया है की हम चीनी सामान से अच्छा सामान बनाएं जिस से कोई आकर्षित ही न हो..
kalamdaan.blogspot.com
'चीनी' वस्तुओं का बहिस्कार आज नहीं तो कल करना ही पड़ेगा,सो देर नहीं करनी चाहिए.. . उत्तम लेख.
----अजी हम तो सभी दुश्मनों को पनाह देने में सिद्धहस्त हैं जी....वो चाहे कसाब हो या पाकिस्तानी झन्डा लहराने-फ़हराने वाले...
---अब नयी पीढी को क्या कहिये जो क्वालिटी-क्वालिटी चिल्लाने में लगी है, भारतीय चीज़ें तो उन्हें कूडा लगती हैं....जब आप अमेरिका-योरोप के लिये बाज़ार खोलेंगे तो चीन को क्यों मना करेंगे?
----हां यह सत्य है ...राजनयिक के बहाने हम चिल्ला कर विरोध प्रदर्शन तो कर ही सकते ही हैं, यदि इच्छा शक्ति हो तो......--सार्थक पोस्ट...
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