खरी-खरी
रुपया क्या तुम भी नेता हो गए हो ?
रुपया गिर रहा है। गिर क्या रहा है लगातार गिरते जा रहा है
और कब तक गिरेगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। गिरने में
रुपया रोज नया रिकॉर्ड बना रहा है और अपने ही बाजार
रिकॉर्ड को ध्वस्त करता जा रहा है। गिरना, ठोकर खाकर भी
नहीं संभलना बल्कि और गिरते चले जाना, ये तो रुपए की फितरत न थी।
पता नहीं अचानक ऐसा क्या हुआ है जो रुपए ने गिरना शुरु किया है,
और संभलने का नाम तक नहीं ले रहा है। कहीं रुपया भी तो नेता
नहीं हो गया?
हाल के सालों में जिस तरह से राजनीति में गिरावट आई है और
बड़े-बड़े नेताओं की दूध से धुली छवि पर कालेधन का कालिख पुती
है, उससे ऐसा लगता है रुपया भी जनता की तरह सरकार से नाराज
हो गया है। अब रुपया याने जनता का ही प्रतिनिधि है वरना नेताओं को
लाल-हरे नोटों का ही पता है। सो जनता का रुपया नेताओं लाल-हरे
नोट प्रेम से नाराज होकर लुढ़क रहा है शायद।
अब वे कोई जनता तो है नहीं जो गुस्सा होकर दिखाए। हड़ताल करे।
धरना दे। विरोध प्रदर्शन करे। सरकार के रवैये पर भी शायद रुपए
की बारीकी से नजर थी। वो देख रहा था कि सरकार जनता के गुस्से
को न केवल देख रही है बल्कि समझ भी रही है लेकिन उस पर कोई
कार्रवाई नहीं कर रही है। लिहाजा रुपया समझ गया कि सरकार
पर कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ गुस्सा दिखाने से कुछ होने
वाला है नहीं। फिर राजा को जमानत, कलमाड़ी को जमानत, येदुरप्पा
को जमानत, चारा घोटाला में कुछ नहीं, टू जी में कुछ नहीं,
हवाला में कुछ नहीं और कालेधन पर कुछ नहीं हो रहा है तो
किया क्या जा सकता है?
फिर राजनीति के रोज गिरते स्तर को देख शायद रुपए ने सोचा होगा
जब भाई लोग इतना नीचे गिर सकते है तो फिर मुझे गिरने में क्या
दिक्कत है। बस रुपए ने गिरना शुरु कर दिया और नीचे गिरने में वो
भी नेताओं की तरह रोज नया रिकार्ड बनाए जा रहा है। जनता की न
तो नेताओं को परवाह है और न ही रुपया परवाह कर रहा है।
तेल महंगा हो जाएगा और उसी के साथ सब कुछ महंगा होगा। इस पर
इसकी चिंता है किसे?
11 comments:
आपकी चिन्ता में समूचे देश की चिन्ता शामिल है भाईजी.....सटीक आलेख
Girte girte kaha jayga kuch pata nahi .. Meri bet 65 tak ki hai ... Aap kya sochte hain ...
आपकी पोस्ट 24/5/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा - 889:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
गंभीर काल चिन्तन, बेहतरीन प्रस्तुति.
ब्लाग पर आना सार्थक हुआ । काबिलेतारीफ़ है प्रस्तुति । बहुत सुन्दर बहुत खूब...बेहतरीन प्रस्तुति
हम आपका स्वागत करते है..vpsrajput.in..
क्रांतिवीर क्यों पथ में सोया?
bahut achha vyang.
जब आपूर्ति अधिक होती है, दाम गिर जाता है।
गया काम से यह भी.....
शुभकामनायें आपको !
खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है
रूपये को तो गिरना ही था
पतनशील युग में क्या-क्या रुकेगा!
वाह, खूब्सूरण सिमिली दी है.
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