Thursday, October 25, 2012

पहले खास को बचा ले काली सफेद टोपी वाले फिर...

राबर बाबू को बचाने के लिये सफेद और करचोरी भाऊ को बचाने के लिये काली टोपी वालो की गैंग सामने आ रही है.बहुत अच्छी बात है मगर राबर बाबू और करचोरी भाऊ ने ऎसा किया क्या है जो देश की नं वन और नं टू गैंग उन्हे बचाने के लिये जी जान से जुट गई है?ऎसा क्या किया है कि लोग पीछे ही पड गये हैं बेचारे भोले भाले राबर और करचोरी भाऊ के?अब अगर किसी ने उन्हे उधार दे भी दिया या धंधा खडा करने के लिये मदद कर भी दी तो इसमे उनका क्या दोष?सज़ा देना ही है तो उनको दो ना भाई जिन्होने मदद के नाम पर लाखो करोडो रूपये देकर भोले भाले शरीफ लोगों को बिगाडा.उनको तो कोई कुछ कह नही रहा है बस पीछे पड गये दोनो के?अब ऎसे मे राबर बाबू को बचाने क लिये पूरी ताक़त से सामने आई सफेद टोपी गैंग की तरह ही करचोरी भाऊ बचाने के लिये काली टोपी गैंग सामने आ गई है.फिर दोनो ने ऎसा किया है भाई किसी को चाकू दिखाकर लूटा है क्या?किसी का बच्चा उठा कर लूटा है?किया क्या है?वैसे भी अपने देश में दान की बछिया के दाँत नही गिने जाते?अब अगर कोई मंदिर में जाकर दानपेटी में कुछ डालता है तो क्या वो अपराध है?और अगर है भी तो देने वाले को पकडो ना,मंदिर पर क्यों ऊंगली ऊठा रहे हो?अच्छा तरीका है सीधे सादे लोगों को तंग करने का.अब ऎसे में शरीफ लोगो को बचाने के लिये सामने आना तो सफेद और काली टोपी गैंग का परम कर्तव्य है.आखिर उन्होने गैंग बनाई ही है किसी भी मुसीबत के मारे की मदद करने के लिये क्या कहा मुसीबत में फंसे आम आदमी को कौन बचायेगा?बहुत सवाल करते हो यार.मालूम नही है क्य ये देश है वीर जवानो का,जो सीधे तोड फोड की बात करते हैं.कैमरा तोड देंगे,मुंह तोड देंगे जो सर ऊठेगा उनके खिलाफ उस की गर्दन मरोड देंगे.समझे कि या नही.अब ये झगडा आज का नही है.शुरु से ही सफेद औ काले का झगडा रहा है.और अभी भी मेन झगडा ब्लैक ऎण्ड व्हाईट का ही है.समझे पहले ज़रा राबर बाबू और करचोरी भाऊ को बचा ले ये सफेद और काली टोपी गैंग फिर फुरसत मिलेगी तो बचायेंगे मुसीबत में फंसे आम आदमी को.महंगाई और भ्रष्टाचार की चक्की में पहले पिस तो लेने दो सालों को,तब बचायेंगे उनको़.अभी तो उनको आंदोलन की सुझ रही है ना तो करे आंदोलन,बचायेंगे वो भगवा धारी या रंगबिरंगे लोगो की गैग.साले जानते है कि देश के सबसे बडे गैंग अभी अपने प्यारे राबर बाबू और दुलारे करचोरी भाऊ को बचाने में बिज़ी है तो फिर शांत रहना चाहिये ना.वैसे भी आज़ादी के बाद से सालो को मिला क्या है?एकाध साल और सह लेंगे तो मर तो नही जायेंगे?ना साले खुद कमाते है और ना ही दूसरो को कमाने देते हैं?बस यही काम तो बचा नही है आम आदमी,आम आदमी,अबे पहले खास को तो बचा लें?फिर सोचेंगे आम आदमी के बारे में.और दोबारा मुंह खोला तो मुंह तोड देंगे समझे ना.वो माफी फाफी ढकोसला है समझे ये मत समझ लेना कि सब सुधर गये हैं.

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