Wednesday, July 31, 2013

जम्मू और कश्मीर,नाम में ही दो राज्य है,इन्हे क्यों अलग नही करते........

जब मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ,उत्तर प्रदेश से उत्तराखण्ड,बिहार से झारखण्ड के बाद अब आंध्रप्रदेश से तेलंगाना अलग किया जा सकता है तो फिर जम्मू और कश्मीर से जम्मू अलग क्यों नही किया जा सकता?भारत का वह एकमात्र राज्य है जिसके नाम में और शब्द के साथ ही दो राज्यों का उल्लेख्य है.इस नाते जम्मू और कश्मीर को अलग अलग होने का सबसे ज्यादा हक़ है.फिर जब गोरखालैण्ड के लिये आंदोलन हो सकते है,तेलंगाना के लिये हो चुके है तो फिर जम्मू के लिये तो आंदोलन की भी जरुरत नही है.उसका तो नामकरण पहले ही हो चुका है.वैसे जम्मू को अलग कर देने से बहुत सारी समस्यायें अपने आप समाप्त हो जायेंगी.मैं ये सब सिर्फ और सिर्फ चुनाव के समय तेलंगाना को अलग राज्य का दर्ज़ा देने के आपराधिक और राजनैतिक षडयंत्र के विरोध में कह रहा हूं.मै तो सिर्फ और सिर्फ एक देश एक राज्य के ही पक्ष में हूं और वो है अखण्ड भारत.विकास तो इच्छाशक़्ति और कार्यक्षमता से होता है,खेत्रफल के आधार पर नही.वर्ना अमेरिका,चीन और कभी सोवियत संघ के बडे आकार के मुक़ाबले छोटा सा जापान भी काफी विकास कर चुका था,वो भी विश्वयुद्ध में बुरी तरह तबाह होने के बावज़ूद.यही हाल जर्मनी का है.उनमें इच्छा शक़्ति है,राष्ट्रप्रेम है इसलिये तरक़्क़्क़ी की राह में आकार उनका रोडा नही बना और ना ही बहाना.ये सब सिर्फ हमारे ही देश मे होता है.गलती राजनिती की और दोष भुगोल को.

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

अभी जनभावनायें हिलोर लेंगी..

ताऊ रामपुरिया said...

बात तो सौ टके की है.

रामराम.

पूरण खण्डेलवाल said...

सही कहा है !!