किश्तवाड पर सियासत गलत और गोधरा पर सही!वाह रे धर्मनिरपेक्षता!
कुछ नेतागण और हमारे मीडिया वाले भाई बंधू ये सवाल उठा रहे है कि किश्तवाड पर सियासत क्यों?ठीक बात है ऎसे मामलों में सियासत होनी भी नही चाहिये.पर मेरा ये सवाल है कि सियासत का सवाल सिर्फ किश्तवाड के लिये ही क्यों?गोधरा और गुजरात के लिये क्यों नही?वंहा अगर सियसत जायज है तो फिर किश्तवाड में क्यों नही? और अगर किश्तवाड में गलत है तो फिर गोधरा और गुजरात में सही क्यों?सवाल तो ढेर सारे है मगर ऎसे समय ऎसे वैसे सवाल भी गलत ही है.
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