Tuesday, January 11, 2011
अगर सरकार भी यही सब करने लगी तो देश का बंटाधार तय ही है!
एक माईक्रोपोस्ट है जिसमे बहुत बड़ा विषय छिपा हुआ है।बेहद अफ़सोस के साथ ये कहना माफ़ करियेगा लिखना पड़ रहा है कि सरकार या कहें कि सरकारी कंपनिया भी व्यापार की अंधी दौड़ मे पागल हो गयी है तो गलत ना होगा।बात बहुत छोटी सी है मगर है बहुत खतरनाक।एक एसएमएस मोबाईल पर लोगों को मिल रहा है जिसमे लोगों को लड़कियों से दोस्ती करने या उन्हे दोस्त बनाने के लिये एक नम्बर पर एसएमएस करने के लिये कहा जा रहा है।नम्बर के बाद एफ़ लिखा है और लड़कों को दोस्त बनाने के लिये उसी नम्बर के साथ एम लिख कर एसएमएस करने को कहा गया है।अब बताईये भला सरकारी मोबाईल कंपनिया अगर लड़कियों से दोस्ती के नाम पर एसएमएस मंगाये और उन्हे 5 लड़कियों से दोस्ती और जी भर कर बातें करने का लालच दे तो क्या कहा जाये?यही ना कि देश का बंटाधार तय है! क्या लगता है आपको बताईयेगा ज़रूर।
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13 comments:
सही कह रहे हैं.. मुनाफे का खेल जो न कराये वो कम..
अनिल भाई,
क्या सरकारी? और क्या गैर सरकारी सभी मुनाफा कूटने में लगी हैं।
आपकी पीड़ा समझता हूँ। दिनेश भाई सही कह रहे हैं। सिर्फ़ इतना जोड़ना चाहूँगा कि सरकारी कंपनियों का मुनाफ़ा अफ़सरों की जेब में जाता है जबकि निजी कंपनियों का मुनाफ़ा उस कार्पोरेट ढाँचे में नई नई शक्लों में पहुंचता है जिसे विकास कह कर हमें दिखाया जाता है, दरअसल होती वह मृगमरीचिका ही है।
अगर बात दोस्ती तक सीमित हो.
अनिल भाई ,
शुक्र कीजिये कि मामला बातचीत तक सिमट गया है और इससे आगे के आयोजन के मैसेज नहीं आ रहे हैं ! मादक द्रव्यों से पैसा कमाने वाली सरकारें अगर इस धंधे में भी उतर जायें तो हैरानी नहीं होगी :(
दुखद दिशा।
भारतीय संस्कृति और सभ्यता को तार तार करने पर लगे हैं ये लोग.
बिकनी फोटो और हॉट वीडिओ के विज्ञापन भी आ रहे हैं, बच्चों को भी बी एस एन एल का सिम दिया हुआ है. उसका ये हाल है..
इसपर केवल लिखिए नहीं ट्राई पर शिकायत करें. मैं भी आप के साथ रहूँगा.
सरकार कुंवारों की सुध ले रही है! :)
... banthaadhaar to chal hi rahaa hai ... charam kyaa hogaa, yah sochane vaalee baat hai !!
Anil Bhiya,
Kabhi Kabhi bada gussa ata hai . Jab kotwal he chori karne lage . Aur ham kuch nahe kar sake tab.Anurag Agrawal
बात तो सही लिखी है सर आपने..
हमने तो "डु नॉट डिस्टर्ब" चालु कर रखा है इसलिए ऐसे एस.एम्.एस नहीं आते हैं पर युवाओं को बहकाने का इससे बेहतर उपाय सरकार नहीं निकाल सकती..
पहले अशिक्षा फैलाओ और फिर उनमें ऐसी प्रवृत्ति को जागृत करो.. सरकार काम से लगी हुई है..
अब शायद हमें भी काम से लग कर इस का विरोध करना चाहिए...
@कमल भाई, ट्राई तो कहेगी कि डू नाट डिस्टर्ब इसका विकल्प है, फिर भी ट्राई, बीएसएनएल एवं संबंधित मंत्रालय में शिकायत तो करना ही चाहिए.
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