नक्सलवादियों से आतंकवादियों से,अलगाववादियों से,अलग कश्मीर मांगने वालों से और तो और पाकिस्तान से भी बात कर सकती है सरकार बस अन्ना को छोड कर?क्यों?
जिस तरीके से सरकार अन्ना के अनशन की अनदेखी कर समय टाल रही है उससे लगता है कि वो भ्रष्टाचार खतम करे या ना करे अन्ना को तो खतम करके ही रहेगी।ना रहेगा अन्ना और ना रहेगा फ़िर किसी अनशन-फ़नशन का टेनशन।बस समय काटो बयानबाज़ी में और तबियत खराब से और ज्यादा खराब करो को अन्ना की,और कुछ गड़बड़ हुई तो सारा दोष डाल दो उनकी टीम और मीडिया पर।सब मंज़ूर है बस भ्रष्टाचार के खिलाफ़ कोई आवाज़ तक़ नही।
6 comments:
भईया सरकार का रवैया चिन्ताज़ंक है...
देर से सही अभी खबर आई है की प्रणव मुखर्जी सरकार की और से बात करेंगे शाम ७ बजे...
उम्मीद है सकारात्मक नतीज़ा आयेगा...
सादर...
इन्कलाब जिन्दाबाद।
लोकतन्त्र है जिससे मन होगा बात करेंगे..
इतना महीन शिष्टाचार बन गया है ये भ्रष्टाचार। सरकार इस शिष्टाचार को बनाए रखना चाहती है।
सही कहा आपने।
बिल्कुल बडा अपराध है। बाकी तमाम लोगों से सरकार बात कर सकती है, क्योंकि उनकी करतूतों से आम लोगों को नुकसान होता है, ये नेताओं के करीबी ही होते हैं कहीं न कहीं...... पर अन्ना.. ये तो इस तरह के नेताओं के दुश्मन हैं, और अन्ना जो कर रहे हैं वो इन भ्रष्टाचारियों की कब्र पर कील साबित हो सकते हैं, ऐसे में अन्ना से ये क्यों बात करेंगे........!!!!!
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