राजधानी रायपुर से 80 कि.मी. दूर धमतरी में 2 फीट लंबे अजीब से प्राणी का अवशेष मिला है। जंगल विभाग के अफसरों के मुताबिक उन्होंने इस तरह का जानवर नहीं देखा है। डॉयानोसोरस से मिलता-जुलता प्राणी कौन सा है और कितना पुराना है ? इसका पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग परीक्षण के लिए सागर की लेबोरेटरी भेजा जाएगा।
धमतरी शहर के बाहरी इलाके में रहने वाले राजेन्द्र शर्मा का पुराना मकान तोड़ा जा रहा था। अचानक नींव में अजीबो गरीब प्राणी का अवशेष मिलने से मजदूर भौचक रह गए। तत्काल डॉयानोसोरस जैसे प्राणी का अवशेष मिलने की ख़बर वहां फैल गई। कुछ लोगों ने इसे खरीदना चाहा, लेकिन मकान मालिक ने तत्काल वन विभाग को सूचित कर दिया। प्राणी के हव्यिों का ढांचा सही सलामत है और उस पर चमड़ी सूखकर चिपकी हुई है। प्राणी के दाँत माँसाहारी जीवों की तरह ही नुकीले है। उसकी दुम पतली और शरीर से लंबी है। उसकी पिछली टांगे लंबी और मजबूत तथा सामने की टांगे काफी छोटी है। कंगारूओं से भी उसकी टांगे मिलती है।
वन विभाग ने प्राणी के अवशेष को अपने कब्ज़े में ले लिया है और उसे परीक्षण के लिए मध्यप्रदेश के सागर ज़िले की प्रयोगशाला में भेजा जा रहा है। डॉयानोसोरस से ही मिलती-जुलती आकृति होने के कारण कुछ लोग इसे डॉयनोसोरस ही मान रहे हैं। वैसे इस क्षेत्र में पहले इस तरह के प्राणी के मिलने की कोई घटना सामने नहीं आई है। अलबत्ता जबलपुर में ज़रूर डॉयनोसोरस जीवाश्म मिले हैं। जबलपुर से ही मिलती-जुलती भौगोलिक संरचना, पहाड़ और जंगल घाटियाँ धमतरी से बस्तर की ओर मिलती है। ऐसे में अगर ये प्राणी डॉयनोसोरस निकलता है तो जीव एवं भू-वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय बन सकता है।
धमतरी शहर के बाहरी इलाके में रहने वाले राजेन्द्र शर्मा का पुराना मकान तोड़ा जा रहा था। अचानक नींव में अजीबो गरीब प्राणी का अवशेष मिलने से मजदूर भौचक रह गए। तत्काल डॉयानोसोरस जैसे प्राणी का अवशेष मिलने की ख़बर वहां फैल गई। कुछ लोगों ने इसे खरीदना चाहा, लेकिन मकान मालिक ने तत्काल वन विभाग को सूचित कर दिया। प्राणी के हव्यिों का ढांचा सही सलामत है और उस पर चमड़ी सूखकर चिपकी हुई है। प्राणी के दाँत माँसाहारी जीवों की तरह ही नुकीले है। उसकी दुम पतली और शरीर से लंबी है। उसकी पिछली टांगे लंबी और मजबूत तथा सामने की टांगे काफी छोटी है। कंगारूओं से भी उसकी टांगे मिलती है।
वन विभाग ने प्राणी के अवशेष को अपने कब्ज़े में ले लिया है और उसे परीक्षण के लिए मध्यप्रदेश के सागर ज़िले की प्रयोगशाला में भेजा जा रहा है। डॉयानोसोरस से ही मिलती-जुलती आकृति होने के कारण कुछ लोग इसे डॉयनोसोरस ही मान रहे हैं। वैसे इस क्षेत्र में पहले इस तरह के प्राणी के मिलने की कोई घटना सामने नहीं आई है। अलबत्ता जबलपुर में ज़रूर डॉयनोसोरस जीवाश्म मिले हैं। जबलपुर से ही मिलती-जुलती भौगोलिक संरचना, पहाड़ और जंगल घाटियाँ धमतरी से बस्तर की ओर मिलती है। ऐसे में अगर ये प्राणी डॉयनोसोरस निकलता है तो जीव एवं भू-वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय बन सकता है।
15 comments:
khabar sachmuch vismaykari hai,intzar kijeye ki kya report aati hai,fir baantiyega...
भैय्या आप से भी भला हम क्या बचना चाहेंगे ? जब चाहो आप हमे मुर्गा बना सकते हो , ये डायनासोर की पोस्ट रोचक है .बधाई ...
मिलता जुलता है तो डायनासोर नहीं तो उस का बंधु-बांधव तो होगा ही।
kya kabar dee hai aapne,abh abhi mai lost World padh chuki hoon. lagta to ye jeev Diano jaisa hi hai. Thanks
बढ़िया ख़बर है . जानकारी के लिए जबलपुर के आसपास डायनासोर के अवशेष पाए गए है और जबलपुर साइंस कालेज की प्रयोगशाला में सुरक्षित रखे है . जबलपुर की पहाडियो में और भी डायनासोर के अवशेष पाए जाने की संभावना है .
रोचक है। कार्बन डेटिंग की रपट देखी जाये। और अगर चमड़ी चिपकी होने से यह ज्यादा पुराना न निकला तो डायनासोर के विलुप्त होने की थ्योरी में भी परिवर्तन हो सकते हैं।
Anilji, ek rochak aur satya samachar dene ke liye dhanywad. jankari badhanewala hai yah samachar.
बहुत रोचक समाचार ! धन्यवाद ! मैं तो आपके ब्लॉग के आस पास इस्सी फिराक में मंडराता रहता हूँ की आप हमेशा रोचक और ताजातरीन जानकारी देते हैं !
बहुत शुभकामनाएं !
अनिल भाई,
जानकारी बेशकीमती है.
छग पर बड़ी रोशनी के दरवाजे
खुलते जा रहे हैं आपकी प्रस्तुति से.
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शुभकामनाएँ
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
कमाल की खोज कर के लाते हे आप,लेकिन बहुत ही उपयोगी भी, धन्यवाद
यह ख़बर आगे क्या रूप लेती है इसकी उत्सुकता है. आप तो पत्रकार हैं कुछ समय बाद पुराने पड़ जाने पर भी इस ख़बर की ख़बर तक पहुँच तो सकते हैं
nice information
पता चल जाए तो बातियियेगा
many thanks for this post
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