छत्तीसगढ़ की शिक्षा पद्धति का हाल-बेहाल है। पिछली सरकार ने प्राइवेट यूनिवर्सिटी की बाढ़ झेल चुका छत्तीसगढ़ इस बार प्राइवेट कॉलेजों की बाढ़ झेल रहा है। नतीजा क्वालिटी की तो बात करना ही बेकार है। स्थिति ये है कि पीएमटी की परीक्षा में ज़ीरो यानि शून्य अंक पाने वाले को प्रवेश के लिए काउंसिलिंग में बुला लिया गया।
अभी ये हाल है तो और 5 मेडिकल कॉलेज खुल जाने के बाद क्या हाल होगा। रविवार को ही मेडिकल यूनिवर्सिटी का उद्घाटन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने किया है। इससे पहले छत्तीसगढ़ में रायपुर, जगलपुर और सिम्स मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं। रायगढ़ में मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास हो चुका है और 5 मेडिकल कॉलेज खुलने को सरकारी मंजूरी मिल चुकी है। हालात ये है कि इस साल पीएमटी यानि प्री मेडिकल टेस्ट में शून्य अंक हासिल करने वाले को भी काउंसिलिंग में शामिल कर लिया गया था। निजी कॉलेज मनमानी फीस वसूल रहे हैं। उस पर नियंत्रण का कोई प्रयास हो नहीं रहा है।
इससे बुरी हालत तो इंजीनियरिंग कॉलेजों की है। भा.ज.पा. सरकार के सत्ता में आते ही राज्य में धड़ाधड़ निजी इंजीनियरिंग कॉलेज खुल गए। 5 दर्जन से ज़्यादा इंजीनियरिंग कॉलेजों में 300 सीटें आज भी खाली है। प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज वाले लुभावने विज्ञापन और होर्डिंग का मायाजाल बिछाकर ही छात्र नहीं फंसा पा रहे हैं। प्रवेश के लिए स्पेशल पैकेज और तगड़ी छूट उन्हें छात्रों को बटोरने में मनवांछित सफलता नहीं दिला पाती है।
नरसिंह कॉलेज का तो और बुरा हाल है। सरकारी और निजी मिलाकर इनकी संख्या 26 हो गई है। इन कॉलेजों में सीटें खाली पड़ी हैं। 2 कॉलेजों में तो गवर्नमेंट कोटा का तो खाता तक नहीं खुला है। 6 कॉलेजों में अब तक प्रवेश लेने वालों की संख्या 10 भी नहीं पहुंची है। हालत ये है कि इन कॉलेजों में प्रवेश के लिए फिर से काउंसिलिंग हो रही है। 18 तारीख को फिर से काउंसिलिंग होगी। 17 को फिजियोथैरेपी कॉलेज की भी काउंसिलिंग होनी है जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश है कि 30 सितंबर को प्रवेश की आखिरी तारीख माना जा रहा है।
मेडिकल कॉलेजों की हालत और बुरी है। इनको ट्रेन टीचर नहीं मिल रहे हैं। नतीजन कांट्रेक्ट पर टीचर रखकर काम चलाया जा रहा है। सिम्स मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर तो हर समय तलवार लटकते रहती है। इसी भरोसे पर सरकार ने छत्तीसगढ़ में बेहतर चिकित्सा सुविधा देने का वादा किया है। कॉलेज तो ठीक से चल नहीं पा रहे हैं। चिकित्सा व्यवस्था क्या ठीक करेंगे। इस मामले में अक्सर नवभारत अख़बार के वरिष्ठ पत्रकार चंदन साहू चिंता जाहिर करते रहते हैं और लगातार शिक्षा विभाग की बखिया उधेड़ते रहते हैं। उनके जुझारूपन से ज़रूर इन मुद्दों पर बहस छिड़ती है लेकिन कोई सार्थक पहल होती नज़र नहीं आ रही है।
18 comments:
shikhsa ko private hatho me dekar shiksha mafiaon ko khuli chhoot de di hai, iske saath is par bhi khoj ki jaaye ki jo log in college me 18-20 lakh donation dete hain unke source of income kya hain
sir aap to sachhai bayan kar rahe he
yahi hal indore me bhi he
naam bade darshan chote
regards
अनिल जी बड़ा सही लिखा आपने ! अब यहाँ से जो डाक्टर्स और इंजीनियर्स निकलेंगे , उनका क्या स्तर होगा ? बड़ा चिंतनीय मुद्दा है !
छत्तीसगढ़ी मैडिकल कॉलेजेज ऑफ नीमहकीमोलॉजी! :)
क्या हो रहा है इस देश मै, मुझे तो चक्कर आ गये आप का यह लेख पढ कर, भारत मे जब कोई बिमार हो जाये ओर ऎसा ड्रा० मिल जाये तो उसे भगवान भी नही बचा सकता, एक आंखे खोलने वाली है यह लेख.
धन्यवाद
एक चीज समझ में नहीं आती, अगर जोगी सरकार ने यूनिवर्सिटी को चना-भाजी के समान खोलने के अनुमति दे दी थी पर ये भाजपा सरकार तो खुद ही खोले जा रही है ऐसे कॉलेज और यूनिवर्सिटी।
न इंफ्रास्ट्रक्चर, न स्टाफ़, बस चुनावी नौका चलाए जा रहे हैं।
और राज्य में विपक्ष तो मानों सो रहा है अपने कोषाध्यक्ष की तरह ही जो हर मीटिंग में बस सोते ही नज़र आते हैं।
क्या ऐसा नही लगता कि एक जागरूक विपक्ष वाली बात अब सिर्फ़ इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह गई है।
Bandu ek to afsos is baat ka hai ki jab ham medical men jana chahte the tab chhatisgadh nahin bana tha nahin to kya pata ham bhi docto hote. dusari baat, ab aap koi do char bhukhand kharid kar rakh lijiye kyonki jaise hi deshbhar men yah samachar pahunchega jo aapne bataya hai to vahan bheed badhne wali hai. Bangalore men medical admission ke liye lakhon ki sankhya men application aati hain aur kuchh hazar ko hi chance milta hai, baki nirash lotate hain. aap aise samachar aur do char denge to hamen bhi vahin aakar basane ki ichha hone lagegi.
क्या ये कोर्स मान्यता प्राप्त हैं -इनकी क्या अहमियत है -क्या ऐसे डाक्टर मानव स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगे?
पैसे की माया है, जो अनपढ़ को डॉक्टर बनाया है।
इसी को देख कर लगता है कि पैसा बोलता है।
आप काफी संजीदगी से मुद्दे उठाते हैं, काफी मेहनत का काम होता होगा। सूचनाओं को संवेदनापरक बनाने में आपका जवाब नहीं।
रही बात शिक्षण संस्थानों की, भविष्य को खतरनाक दिशा की ओर ले जाने का काम चल रहा है यहॉं।
जिनके खिलाफ लिखा वही सम्मानित कर रहे हैं, बधाई हो। रायपुर ज़िले के किसी गांव में आज एक महिला सती हो गई, आपने कुछ लिखा नहीं। कल इंतज़ार रहेगा।
isi bahane doctor to ban jayegein!!!
गंभीरतापूर्वक आपकी बातों पर विचार करने और ख़ुद रायपुर, बिलासपुर, भिलाई जैसे बड़े नगरों और जंगलों में मची लूट को देखकर लगता है की यह क्षेत्र मध्य प्रदेश में ही ठीक था. २००१ के बाद से संसाधनों की लूट बेतहाशा बढ़ चुकी है, हालत बद से बदतर ही हुए हैं. विकास के नाम पर शहरों को ही कुछ नहीं मिला तो जंगलों की बात तो बेमानी है. छतीसगढ़ बना ही लूट के लिए था, लुटना इसकी नियति है. आज मेरी बात लिख कर रख लीजिये, यह प्रदेश अगला बिहार है, हालात इस कदर काबू से बहार जाने वाले हैं.
अब वक्त आ गया है कि कुछ किया जाए..
यह सब अब देखना पड़ रहा है, काफ़ी शर्म की बात है हम सबके लिए..
हा हा हा .....
घोर अंधेरा भाग रहा है, छत्तीसगढ अब जाग रहा है ।
अरे वाह, क्या बात है। पर आपने उन कालेजों का पता तो दिया नहीं। अब भला इत्ते बडे छत्तीसगढ में हम कहाँ कालेज खोजते फिरेंगे? इसलिए फिलहाल मैं डाक्टर बनने का इरादा मुल्तवी कर रहा हूं।
आप सत्य कह रहे है !! यहा की शिक्षाव्यस्था निश्चीत ही चिंतित करने वाली है !आप ही देखिये सरकारी स्कुल के शिक्षक अपने बच्चो को खुद प्राइवेट स्कुल मे पढाते है!!
ठीक हो जायेगा जी. सब ठीक हो जायेगा. ये सरकार जाने दीजिये. नई सरकार आने दीजिये. सब ठीक हो जायेगा. बाकी, अगर केन्द्र से सहायता की ज़रूरत पड़ेगी तो भी समस्या नहीं है. अब तो भारत में न्यूक्लीयर पॉवर भर गया है. सारी समस्याओं का खात्मा अब होकर रहेगा. बस थोड़ा सब्र की ज़रूरत है. विपक्ष को सत्ता में आने दीजिये.
एक बार मंत्री जी शिक्षा की हालत पर चिंता व्यक्त कर देंगे तो समस्या ख़त्म.
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