Thursday, October 30, 2008
मालेगावं,मालेगावं,मालेगावं।क्या मालेगावं के अलावा कहीं धमाके नही हुए?
मालेगावं,मालेगावं,मालेगावं।क्या मालेगावं के अलावा देश में कहीं और धमाके नही हुए?क्या दुसरे शहरों मे हुए धमाकों की जांच मे ये तेजी नज़र आई?क्या मालेगावं के धमाकों मे हिन्दूवादी संगठन से जुडे लोगों पर शक होने से बाकी शहरों में हुए धमाको का पाप धुल सकता है?मालेगावं की गल्ती क्या बाकी गल्तियों को कम साबित कर सकती है?क्या बाट्ला हाऊस काण्ड की न्यायिक जांच की मांग करने वालों को इस मामले मे जांच की जरुरत नज़र नही आती?क्या मालेगावं काण्ड का शक हिन्दू उग्रवाद जैसी धारणा बनाने के लिये काफ़ी है?अगर काफ़ी है तो फ़िर इस्लामिक उग्रवाद पर आपत्ति क्यों?मालेगावं धमाके की जांच को जितनी प्राथमिकता से सार्वजनिक किया जा रहा है,क्या अन्य धमाको की जांच को सार्वजनिक किया गया?क्या मालेगावं के धमाको के तार एक साध्वी से लेकर सेना के अफ़सर तक जोडने वाले एटीएस के अफ़सरो ने दूसरें शहरों के धमाको के तार सिमी के बाद आगे कहीं किसी से जोड कर दिखाये थे?इसका मतलब ये नही है कि मालेगावं के धमाके जायज हैं,वो भी उतने ही नापाक थे जितने दूसरे शहरों मे हुए धमाके।मगर दोनो धमाकों को अलग-अलग नज़रिये से देखने-दिखाने का षडयण्त्र बंद होना चाहिये।कुछ सवाल ऐसे है जिनके ज़वाब ढूंढना ज़रूरी है?वर्ना इस्लामिक उग्रवाद की उग्रता को कम करने के लिये हिन्दू उग्रवाद,मराठी अलगाववाद की तपिश को कम करने के लिये उल्फ़ा और हुज़ी और उल्फ़ा और हुज़ी को छिपाने के लिये पता नही किस-किस का सहारा लेना पडेगा?देशवासी सब देख रहे हैं और समझ रहे हैं,उन्हे नेता बहुत ज्यादा समय तक अंधेरे मे नही रख सकते हैं।
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20 comments:
बिलकुल सही कहा आप ने,अब जनता को ही जागना चाहिये, कोई तो भगत सिहं फ़िर से पेदा होगा.
धन्यवाद
बहुत अच्छा िलखा है आपने । देश के मौजूदा हालात को बहुत यथाथॆपरक ढंग से दशाॆया है । कई सवाल भी खडे िकय है ।
मैने भी अपने ब्लाग पर एक किवता िलखी है । समय हो तो पढें और प्रितिकर्या भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
नहीं...अनिल जी ..! लेकिन एक अलग तरह की चुनौती के लिए हमें बेहतर तैयारी के साथ तैयार होना होगा.
हुये होंगे और जगह भी लेकिन जो मजा मालेगांव के धमाकों में है वो और कहां!
सही मुद्दा उठाया है |
सही कह रहे हैं.
क्या बात करते हैं अनिल जी ....पहली बार कोई ऐसी घटना घटित हुई है हिंदुस्तान मैं...कश्मीर मैं आजतक कोई नहीं मारा गया ...न हीं वहां किसी का बलात्कार हुआ...दिल्ली,जयपुर.सूरत,गोधरा,बैंगलोर,और अब आसाम ये सब भी बहुत सुरक्षित हैं वहां कभी कुछ नहीं हुआ..आजादी के बाद से एक ही तो आतंकी घटना घटित हुई है ..हिंदुस्तान मैं मालेगांव मैं ....मीडिया तो यही कहता हैं
बहुत विचारणीय है !
"ya very well said, ab na jane kaun krishan aayega....jhan dekho khun khraba, blast.... ek jaise rotine ka hissaa bn gya hai.."
Regards
sir kabhe raipur k nalayk mahapor k baray may likhay mayra newadan hay aap bahoot sunder liktay hay aap ko subhkamnay
Sahi kaha aapne. Male gaon ke dhamke karne walon ko uchit nahin thahraya ja sakta parantu dogli mansikta kyon? jaisi janch is mamle men ho rahi hai vaisi hi anya mamlon me ho, utni hi tezi se ho, usi prakar se media me details dee jayen. Agar koi hindu atank ki asanka dikhti hai to uski pushti ke pahle hi sab kuchh kah diya jata hai aur dusare mamlon men saf saf sare taar jude dikh jate hain tab bhi dabe swar se kewal asanka batai jati hai. Hindu aur Muslim atankwad ko ek nazar se kyon nahin dekha jata.Mujhe lagta hai yah dohra nazaria hi dheere dheere Hinduon ko ekjut kar raha hai aur aane wale samay men Hinduon ki galat harkaton ko bhi hindu jayaj thahrayenge. Kyonki unhe lagta hai ki unki nishpakshta ka galat fayda uthaya ja raha hai.
बिलकुल सही कहा आपने .सिमी पर कार्यवाही मुस्लिमो का उत्पीडन माना जाता है . और हिन्दू इतना बट गया है एक एक करते मारते जाओ कोई फर्क नहीं पड़ेगा
hindoo virodh ke alawa kuchh aur dikhta hi nahi, kyonki hindoo virodh bikta hai, hindoo virodh par paisa milta hai, aur hindoo itna bewakoof hai ki joota khane ke baad bhi joota maarne walon ke aage pichhe ghoomta hai, hindoo ko apne hindoo hone par garv nahi sharm aati hai, aisa lagta hai ki kisi islami mulk me hindoo ghus aaye the, dheere dheere itne badh gaye aur phir in becharon par atyachar karne lage. ye jab maarte hain to julm ke khilaf awaj uthane ke liye bomb rakhte hain. darasal sadhvi ko isiliye fansaya gaya ki simi ke kaaran huye nuksaan ko equate kiya ja sake aur hinduon ke hit ko kahne waalon ko niicha dikhaya ja sake.
त्यौहारों की रानी दिवाली पे ये मिठाइयां और उनका स्वाद ,माँ पिताऔर घर के बुजुर्गों के स्नेह और उनकी याद को दुगुना कर देतें हैं उनका आशीर्वाद हम पे बना रहे इसलिए भी इन्हे मैं बनती हूँ
अनिल जी...साध्वी का मालेगांव धमाकों मे हाथ आना कई बातों की तरफ इशारा करता है। पहला तो ये कि अगर ये बात सच है तो जाहिरन हिंदू समाज का विश्वास इस्लामी आतंकवाद से लड़ते-2 डोल गया है जिसने साध्वी जैसे लोगों को ऐसे काम करने को उकसाया है। दूसरी बात ये कि हिंदू समाज जो अबतक अपनी सरकार के भरोसे बैठा था,वो उससे निराश हो चुका है।मौजूदा सरकारें सिर्फ वोट बैंक के लिए इस्लामी आतंकवाद को नहीं कुचल रही..वरना ये कोई बड़ी समस्या नहीं।दुनिया के हर मुल्क ने अपने अपने तरीके से इसे कुचला है।तीसरी बात ये कि अगर ये सिलसिला शुरु हो जाएगा तो देश की आगे बड़ी क्षति होने वाली है...और बेशक इससे मुसलमानों का फायदा नहीं होनेवाला। देश का हिंदू समाज धीरे-धीरे इस्लामी कट्टरता की प्रतिक्रिया में कट्टर बनता जा रहा है...और ये हमारी नई सोंच और नए आविष्कार करने की भावना को कुंद कर देगी और हम दुनिया के साथ कदमताल नहीं कर पाएंगे। असम को कश्मीर बनाने की तैयारी जारी है,जिससे वहां के हिंदू भी तालिबानी बनते जा रहे हैं।लगता है कि उपमहाद्वीप का इस्लाम अपने साथ हिंदूओं का भी बंटाधार करने पर आमादा है। लेकिन सवाल ये है कि क्या इस्लाम का आधुनिकीकरण नहीं किया जा सकता?क्या इस दिशा में काम हो सकता है?
शत-प्रतिशत सहमत हूँ मैं आपसे.
एक ब्लाग पर मांग की जा रही है - "अब हम कह सकते की बैंगलोर और अहमदाबाद से लेकर गुवाहाटी तक के सभी बम विस्फोटों की फाइल एक बार फिर खोली जाए अथवा इनकी दोबारा जांच की जाए की इन धमाकों के लिए ज़िम्मेदार कौन है? असल मुजरिम कौन है?"
मैंने इस पर टिपण्णी पोस्ट की पे ब्लाग के सूत्रधार ने चाप नहीं. आप देखिये:
"आपकी मांग जायज है. अब इसे केन्द्र सरकार तक पहुंचाइए. लेकिन बैंगलोर और अहमदाबाद से लेकर गुवाहाटी तक के बम विस्फोटों की ही क्यों, आजादी के बाद हिन्दुस्तान में जितने भी गोली या बम धमाके हुए हैं आप को सब की जांच की मांग करनी चाहिए (इस में जम्मू & कश्मीर भी आता है). बैसे आप जांच एजेंसी का नाम अपनी मांग में शामिल न करके भी एक गलती कर रही हैं. आप को यह भी बताना चाहिए कि किस जांच एजेंसी में आपको यकीन है. अगर दिल्ली या यूपी पुलिस जैसी किसी एजेंसी को जांच का काम सौंप दिया गया तो सारी मेहनत बेकार हो जायेगी.
मैं सोचता हूँ कि जांच काफ़ी लम्बी हो जायगी. इस के लिए मेरा प्रस्ताव है कि केन्द्र में एक जांच मंत्रालय बनाना चाहिए, या अल्पसंख्यक आयोग को यह काम सौंप देना चाहिए. एक नई जांच एजेंसी का गठन भी किया जाना चाहिए, जिसके लिए अल्पसंख्यक आयोग से सिफारिश देने को कहा जाना चाहिए.
एक नए कानून की जरूरत भी होगी. जांच में जो दोषी पाया जाय उसे सीधा फांसी पर लटका दिया जाय. इस के ख़िलाफ़ कोई अपील किसी अदालत में सुनवाई पर पाबंदी होनी चाहिए.
आप जब मांग पत्र तैयार कर लें तो मैं भी उस पर हस्ताक्षर करना चाहूँगा."
आतंक कोई भी हो, कैसा भी हो, किसी भी प्रकार का हो। चाहे वह बम का हो, नाम का हो, प्रान्त का हो, सब पर लगाम लगाना चाहिए।
बेशक
सही कहा आपने
भाटिया जी ने भी ठीक कहा पर भाटिया जी ये तो सब कहते हैं कि भगत सिंह पैदा हो पर अपने नहीं पड़ौसियों के घर
गुप्ता जी कहना भी सही है
यदि वै निष्पक्ष थे तो उन्हें इनकी टिप्पणी सादर प्रकाशित करनी चाहिये थी
ch ch ch bahut bura lag raha hai na?
sabhi ko bura lagta hai jab har baar police kisi ko bhi giraftaar karti hai aur bina sach tak pahunche har koi aira gaira natthoo khaira aatankvaadi aatankvaadi kosne lgta hai.
sabhi ko bura lagta hai jab bhale hi kitna achchha record ho jara si community ki bhalayi ki baat karte hi wo desh drohi ho jata hai.
chaliye pragya doshi ho na ho par aapko to pata chala ki jabardasti aatankvadi ka tag kaisa khalta hai
lekin aap abhi bhi nahi maan payenge
बहुत सुंदर श्रीमान सत्य का प्रवाहित वर्णन
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