मालेगांव बम धमाकों को लेकर सारे देश में चिल्ल-पो मची हुई है। हर कोई अपने-अपने हिसाब से चीख-चिल्ला रहा है। पुलिस की जांच तो सीआईए और की जांच को मात कर रही है। पुलिस जिस स्टाइल में काम कर रही है, उसे देख एक पुराना किस्सा याद आ गया।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुलिस की गुणवत्ता और श्रेष्ठता स्थापित करने के लिए एक स्पर्धा का आयोजन अफ्रीका के घने जंगलों में हुआ। सारी दुनिया की जानी-मानी पुलिस वहां अपना सिक्का जमाने पहुंची और हमारे देश से भाग लेने के लिए एटीएस को वहां भेजा गया। प्रतियोगिता की शुरूआत के दौर में बहुत सारे देशों की पुलिस कट गई और प्रारंभिक जांच के नतीजों के आधार पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रही एटीएस भी अंतिम दौर में पहुंच गई है।
अंतिम दौर में मुकाबला था अमेरिका,ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, फ्रांस जैसे देशों की पुलिस से एटीएस का। अंतिम मुकाबला शुरू हुआ और अफ्रीका के घने जंगलों में कुछ भेडि़ये छोड़ दिए गए। स्पर्धा जीतने के लिए कम से कम समय में उन भेडियों में से हर एक देश की पुलिस को एक भेडिया ढूंढकर लाना था। सुबह शुरू हुई प्रतियोगिता के प्रतिभागी दोपहर तक एक-एक कर वापस भेडिये के साथ लौट आए सिवाय एटीएस के। शाम होते-होते स्पर्धा के आयोजक चिंता में डूब गए।
अब सारी दुनिया की पुलिस इकट्ठा होकर एटीएस की टीम को ढूंढने जंगल में घुसी और थोड़ी ही दूर पहुंचते ही उन्हें एटीएस की टीम मिल गई। सारे लोग उन पर फट पड़े कि क्या तमाशा है अभी तक लौटे क्यों नहीं। एटीएस की टीम के कप्तान से बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि बस लौटने ही वाले थे। बाकि लोगों ने पूछा भेडिया कहां है। कप्तान ने बताया कि हमारे कुछ जवान उसका टेस्ट कर रहे हैं और रिपोर्ट आते ही आपके सामने पेश कर देंगे। सारे लोग हैरान रह गए। सबने पूछा कि भेडिए का कौन सा टेस्ट हो रहा है। कप्तान बोला टेस्ट तो एक ही हो रहा है लेकिन उसकी रिपोर्ट सही नहीं आ रही है इसलिए बार-बार टेस्ट करना पड़ रहा है।
सारी दुनिया के जाने-माने पुलिसवाले हैरान थे एटीएस की जांच से। तंग आकर उन्होंने पूछा भेडिया कहां है। कप्तान उन सबको पेड़ों के पीछे ले गया। वहां सब हैरान रह गए। सबने देखा एटीएस के जवान एक लकड़बग्घे को कूट रहे थे और उसे बार-बार कह रहे थे बोल मैं भेडिया हूं। सारे पुलिसवालों ने कहा ये क्या कर रहे हैं ये तो लकड़बग्घा है, भेडिया कहां है। एटीएस के जवान बोले सर इसकी नार्को रिपोर्ट आ रही है और उसमें इसने कबूल कर लिया है कि ये भेडिया है।
यही हाल है हमारे देश की पुलिसिया जांच का। जब तक पुलिस को मनमाफिक रिपोर्ट नहीं मिलती, तब तक जांच होती रहती है और मनमाफिक रिपोर्ट मिलने के बाद तो लकड़बग्घा क्या कुत्ते तक को भेडिया या शेर बता देती है पुलिस। मामला जब अदालत में आता है तब पता चलता है कि सच क्या है और झूठ क्या है।
21 comments:
एकदम सच्ची बात बयॉं की है आपने।
पुलिस की इन हरकतों की वजह से ही लोगों में उनके प्रति ऐतबार नहीं रहा है।
सटीक लिखा है आपने, ज्यादातर मामलों में पुलिस सिर्फ़ बलि का बकरा ढूंढ़ती है और पीट-पीट कर उससे वो सब कुछ उगल्वालिया जाता है या जबरदस्ती स्वीकार करा लिया जाता है जिसकी पुलिस को जरुरत होती है |
जब तक पुलिस को मनमाफिक रिपोर्ट नहीं मिलती, तब तक जांच होती रहती है और मनमाफिक रिपोर्ट मिलने के बाद तो लकड़बग्घा क्या कुत्ते तक को भेडिया या शेर बता देती है पुलिस।
अनिलजी यही हकीकत है ! सटीक लिख रहे हैं ! आपकी कमी अखरती है ! चुनाव निपटाकर जल्दी पुराने वाले फार्म में आईये ! शुभकामनाएं !
बहुत प्यारा व्यंग्य लिखा है भाई
इस साल की शुरूआत में हेमन्त करकरे की नियुक्ति ही चुनावों के देखते हुये की गई थी जबकि इस पोस्ट पर सही दावा तो मारिया का था. इसी हेमन्त करकरे ने सदिंग्ध विदेशी केन हेवुड को जानबूझ कर भाग जाने दिया था ताकि इन्डियन मुजाहिदीन की ईमेल्स का खुलासा न होने पाये.
और यदि नार्को टेस्ट के भरोसे पकड़ धकड़ करनी थी तो सबसे पहले शरद पवार और छगन भुजबल को पकड़ कर इनका नार्को कराना चाहिये क्योंकि तेलगी ने अपने नार्को में इन दोनों को अपनी जालसाजी में शामिल बताया था.
जब कार्यपालिका राजसत्ता के चुनावी खेल में शामिल हो जाती है तो इसके नतीजे बहुत भयावह निकलते हैं.
मजेदार किस्सा है पर भारत के सन्दर्भ में और बार बार हो रहे नार्को टेस्ट के सन्दर्भ में हालत चिन्ताजनक है।
यह ठीक है पर क्या आपको यह नही लगता कि कांग्रेस की लुटिया डूब रही है -यह केवल मुसलमानों को रिझाने की कवायद है
yahi haal to hakikat hai.
क्या बात है भारत की पुलिस की, ;)
बहुत ही सटीक लेख लिखा है आप ने,
धन्यवाद
देश के मौजूदा हालात को बडे प्रभावशाली तरीके से अिभव्यक्त िकया है आपने ।
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यह जांच अगर बैठ गयी अपने अन्तर्विरोध से तो क्या होगा?
कोई आश्चर्य नहीं की सभी आरोपी अदालत में छूट जाते हैं
hmmmmmmm per bouth he aacha vake yaad karvaa diyaa aapne bomb damko se per ye bomb damke band he to nahi hote na
visit my site shyari,recipes,jokes and much more vice plz
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हालात गम्भीर है, मगर पढ़ कर मुझे तो हँसी ही आई...ऐसी है पुलिस है जी. पहले किसी और ने कबूला था की समौझोता में उन्होने विस्फोट करवाया था, अब पुरोहित कबूल रहा है. पुलिस चाहे तो भगवान से भी यही कबूलवा ले :)
बिल्कुल ठीक लिख रहे हैं सर, एटीएस अब अपने ही बयान से पलट रही है, लिखना बन्द कर दें हिन्दू हितों के पक्ष में, कहीं ऐसा न हो कि पुरोहित की तरह हम-आप भी उठा कर बन्द कर दिये जायें, बाद में नार्को या नारकीय टेस्ट के जरिये हम लोग खुद ही मान लेंगे.
ATS का नया धमाका : साध्वी प्रज्ञा अमेरिका में 9/11 के हमले में भी शरीक थी… असल में जो हवाई जहाज ट्विन टावर से टकराया था उसके टायर का निर्माण इन्दौर-उज्जैन की एक फ़ैक्ट्री में हुआ था और इसीलिये या तो प्रज्ञा ठाकुर या फ़िर कोई साधु उस हवाई जहाज की दिशा टावर की ओर मोड़ने का दोषी है, आखिर इतने महान साधक हैं ये लोग कि चार-चार नार्को टेस्ट में भी "झूठ" बोल लेते हैं… तो क्या एक जहाज की दिशा नहीं मोड़ सकते?
कप्तान उन सबको पेड़ों के पीछे ले गया। वहां सब हैरान रह गए। सबने देखा एटीएस के जवान एक लकड़बग्घे को कूट रहे थे और उसे बार-बार कह रहे थे बोल मैं भेडिया हूं। सारे पुलिसवालों ने कहा ये क्या कर रहे हैं ये तो लकड़बग्घा है, भेडिया कहां है। एटीएस के जवान बोले सर इसकी नार्को रिपोर्ट आ रही है और उसमें इसने कबूल कर लिया है कि ये भेडिया है।
" well pdh kr hansee bhee aa rhee hai, magar ye ek sach bhee hai polce aise hee jhut ko sach or sach ko jhu sabit krtee hai.... mar mar kr bol ye jurm maine kiya hai.. ah!...enjoyed reading it, wonderful example.."
Regards
चुटकुला अच्छा है, पर मुझे लग रहा है कि इसे गलत समय पर पोस्ट किया गया है।
खरी-खरी और वह भी बहुत ही रोचक अंदाज में।बहुत बड़ी बात कह दी है आपने ।
बहुत दिलचस्प अंदाज़ में आप ने एय.टी.एस. की पोल खोल दी है...और कहने को अब बचा ही क्या है?
नीरज
सर इसकी नार्को रिपोर्ट आ रही है और उसमें इसने कबूल कर लिया है कि ये भेडिया है।
kya baat hai anil g
saadhuwad
धन्यवाद......अब मिलते रहेंगे,
बढ़िया है.....
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