Tuesday, August 11, 2009

गरीबों और पिछड़ों के प्रदेश मे एक बिरादरी ऐसी भी जंहा कोई भी गरीब नही है

छत्तीसगढ को पिछडा राज्य कहा जाता है।यंहा की ज़मीन रत्नगर्भा वसुन्धरा है।धरती जितनी अमीर है लोग उतने ही गरीब्।फ़िर भी इसी प्रदेश मे एक बिरादरी ऐसी है जिसमे कोई गरीब नही है। और मज़े की बात तो ये है कि गरीबो की समस्या का निदान उन्ही लोगो को करना है और गरीबो की दुर्दशा पर रोना भी वंही लोग रोते है।जी हां मै बिल्कुल सच कह रहा हूं।छत्तीसगढ की विधाय्क बिरादरी का एक भी सदस्य गरीब नही है।गरीबी से तो कोसो दूर है इस गरीब धरती के अमीर विधायक और उनमे से यानी यानी 90 मे से तेईस तो करोड़पति है।यानी पच्चीस परसेंट का तो गरीबी से दूर-दुर का रिश्ता नही है।एक विधाय्क 106 करोड़ के आसामी है।

अब बताईये भला ऐसे मे अगर छत्तीसगढ मे गरीबो की नही सुनी जाती तो क्या गलत है।साले गरीब भी तो है अकल के अंधे।अमीरो को ही अपना प्रतिनिधी चुनते है तो उनकी सुनेगा ही कौन?तेईस विधायक एक करोड़ से ऊपर है और ये उनकी घोषित सम्पत्ति है और अगर अघोषित हो तो वो अलग है।

गरीबो की बदहाली का सबसे ज्यादा रोना ये लोग ही रोते हैं।गरीबी दूर करने का नारा देने वाली कांग्रेस के तो तेईस मे से सोलह विधायक हैं।आखिर गरीबी दूर करने का ठेका तो उनके पास आज़ादी के बाद से है और इस खानदानी धंदे मे अगर उसके ज्यादा अमीर हो गये तो इसमे नाराज़ होने वाली कोई बात नही होनी चाहिये।भाजपा भी उन्से बहुत पिछे नही है उसके भी सात विधयक है यानी आधे से कुछ कम है ।खैर उनको राजनीति मे आये कांग्रेस से कम समय मिला है।दे देंगे वे भी टक्कर,जिस स्पीड से चल रहे है उससे तो लगता है कि आगे भी निकल सकते हैर ॥और हां यंहा अल्पसंख्यको के पिछडेपन का रोना या उनके साथ अन्याय होने की फ़र्ज़ी बाते भी नही हो सकती।सारी तिस्ता,यंहा के चार मे से तीन अल्पसंख्यक विधायक करोडपती है यानी पचहत्तर प्रतिशत्।32 आदिवासी मे से सात करोडपती हो चुके है इसलिये उन्हे भी अति पिछडा नही कहा जा सकता।ये कहा जा सकता है कि वे विकास की मुख्यधारा से लगता है धीरे धीरे जुड रहे हैं।।

हमारे गणमान्य नब्बे विधायको मे से मात्र चार ऐसे है जिनहे पचास हज़ार से पांच लाख की श्रेणी मे रखा गया है।यानी ये भी लखपती है और ईश्वर ने चाहा तो दो चार बार और टिकट मिल जायेगी फ़िर ……………।पांच से पचास लाख वाले 41 है और पचास लाख से एक करोड वाले 11 ।खैर ये तो अच्छी बात है कभी कोई अमीरी पर डिंग हांके तो उसको टक्कर देने के लिये हम गरीब छत्तीसगढियों के पास भी वंडरफ़ुल रिकार्ड वालो का ग्रूप है।इस नय्र तथ्य के सामने आने के बाद लगता है अपने ब्लाग का नाम बदलकर अमीर धरती अमीर विधायक या अमीर लोग रख लूं।क्यों कैसा रहेगा ,अपनी राय ज़रूर दिजियेगा।

22 comments:

संगीता पुरी said...

आपके ब्‍लाग का नाम 'अमीर धरती गरीब लोग' ही ठीक है .. इसमें विधायकों को क्‍या जोडना .. जहां तक टक्‍कर वाली बात है .. इससे भी अधिक वंडरफुल रिकार्ड आपको हर प्रदेश में मिल जाएगा .. कहीं कम नहीं है ऐसी अमीरी !!

डॉ महेश सिन्हा said...

मिसल वर्तमान नाम में ही मिलती है

Ashok Pandey said...

देश के अधिकांश प्रांतों की यही स्थिति है। सच तो यह है कि अपनी अमीरी को खानदानी बनाने के लिए ही राजनेताओं ने अंगरेजों के भारत छोड़ने के बाद भी अंगरेजी को जाने नहीं दिया था। उनकी मंशा पूरी हुई और गरीब जनता की अशिक्षा, बेवकूफी और गरीबी बरकरार रही।
दें।
आपके ब्‍लॉग का नाम हमें बहुत पसंद है। कृपया इसे पहले जैसा ही रहने दें।

Arshia Ali said...

सार्थक व्यंग्य
{ Treasurer-T & S }

अनिल कान्त said...

रोना वो इसलिए रोते रहते हैं कि सबको यूँ ही बेवकूफ बनाये रखें...बाकी तो ऐश है

दिगम्बर नासवा said...

AISAA TO HAR PRADESH MEIN MIL JAAYEGA..... SHAYAD CHATISGARH SE BHI JYAADA..... YE RAAJNEETI SHAYED SABSE AASAAN TARIKA HAI KARORPATI BANNE KAA....

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सही लिखा आपने.

रामराम.

sanjay vyas said...

आपकी बेबाकी का कायल हूँ. विधायक विधायक बनते ही लोग कहाँ रह जाते हैं?वे शासक हो जाते है.

अजित वडनेरकर said...

आपकी चिन्ताएं जायज़ हैं।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

पहले अपनी गरीबी तो दूर कर लें तभी तो जनता की दूर करेंगे.

दिनेशराय द्विवेदी said...

छत्तीसगढ़ पिछड़ा राज्य नहीं है। उसे पिछड़ा रखा गया जिस से कुछ लोगों की संपन्नता पर आँच न आए और वह बढ़ती रहे। छत्तीसगढ़ को ही इस बीमारी का तोड़ निकालना पड़ेगा।

शेफाली पाण्डे said...

आपकी चिंताएं तो जायज़ हैं ...लेकिन आप अपने ब्लॉग का नाम मत बदलिए...

P.N. Subramanian said...

इन आंकडों को जानकार ख़ुशी हुई. चलिए हम लोग भी पीछे नहीं हैं.. भले बहुसंख्यक गरीब रहें, कुछ तो हैं. नाक नहीं कटेगी.

डॉ .अनुराग said...

आपकी गलती है फ़ौरन सुधार ले नाम बदल ले .....

ajay saxena said...

भाऊ आपके ब्लॉग का नाम टीक है ...लेकिन विधान सभा का नाम ' धनवान सभा' और लोक सभा का नाम ' नोक-झोक सभा ' रख दिया जाना चाहिए ...अरे यह तो कार्टून का कमेन्ट हो सकता है ..बनता हु फटाफट ...

ajay saxena said...

भाऊ आपके ब्लॉग का नाम टीक है ...लेकिन विधान सभा का नाम ' धनवान सभा' और लोक सभा का नाम ' नोक-झोक सभा ' रख दिया जाना चाहिए ...अरे यह तो कार्टून का कमेन्ट हो सकता है ..बनता हु फटाफट ...

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

ameer dhrti ameer neta aur janta ameeri se koso dur

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

राजनीति में कदम रखना गरीब आदमी के बस की बात कहाँ हैं। यहां तो वो ही पहुंचेगा जो कि पहले से करोडपति है ओर आगे अरबपति बनने के ख्वाब पाले बैठा है।

NIRBHAY said...

Yehan par "Karodpati" log vidhayak nahi banenge toh koun "Maie ka Lal" banega? Aakhir Election ke festival me Garibon ke liye "Chepti kee ganga" koun bahaega, aise "Bhagirathi" ko "karodpati" hona padega.

वाणी गीत said...

टिकट मिलने और चुनाव जीतने की महत्वपूर्ण शर्त ही यही है ...
सच्ची रचना ..!!

Akanksha Yadav said...

Rajniti ka asli chehara filhal yahi hai...har taraf dhanpati !!

"वन्देमातरम और मुस्लिम समाज" को देखें "शब्द-शिखर" की निगाह से...

Anonymous said...

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