गतांक से आगे।बापू खराब लग रहा है ना देश की हालत जान कर।आपके समय ज़रूर ये भूखे-नंगों का देश रहा होगा आज तो ये खूनियों-दंगों का देश हो गया है।चलिये छोडिये खून-खराबे को और क्या बताऊं?आपका दलित प्रेम बापू आजकल हाई-प्रोफ़ाईल ड्रामे मे बदल चुका है।जिन्हे आप हरि का जन कहते थे ना अब कहोगे तो बुक हो जाओगे।उन्के लिये अब आपकी ज़रूरत नही है।उनके लिये आपसे भी महान और असली गांधी लगे हुये है उनका मसीहा बनने मे।जैसे आपको टक्कर मिल रही है,वैसे ही बाबासाहेब को भी बहनजी टक्कर दे रही है।आपके और बाबासाहेब के पुतलों से ज्यादा पुतले लगा कर रहेंगी वो।
ये क्या कह रहा तू।ये तो प्रोब्लम है बापू जब मै सच बोल रहा हूं तो आप बार-बार सवाल खड़े कर रहे हैं।सच कह रहा हूं अब हरि के जनो को वो नही कह सकते जो आप कहा करते थे।उसे अब गाली ही मान लिया गया है।सोचो बापू जब आपका दिया गया नाम ही बदल दिया गया तो आपको क्यों नही बदलेंगे।अब आपकी जगह उनकी सेवा के लिये असली गांधी सामने आये हैं।ऐसा लगा कि बापू भी गुस्से मे अपनी इश्टाईल मे बोलेंगे क्या बक़ रहा है बे तू!पर नही बापू तो बापू हैं।इतना होने पर भी शांत राहे और उन्होने मुझसे सवाल किया असली गांधी वो है तो क्या मैं नकली गांधी हूं?
मैने कहा देखो बापू फ़िर वही सच के चक्कर मे……………मैं आपका दिल नही दुखाना चाहता बापू।बापू ने कहा नही कोई बात नही तू बता वो असली कैसे और मैं नकली कैसे?तो सुनो बापू आपका कोई बेटा इस देश का प्रधानमंत्री बना?बापू ने कहा मैने इसलिये………ये डायलागबाजी नही बापू,मैने उनकी बात बीच मे ही काट के कहा।आप तो सिर्फ़ ये बताओ कि क्या आपका कोई बेटा प्रधानमंत्री बना?नही।आपके बेटों मे से किसी का बेटा महामंत्री बना?नही।आप प्रधानमंत्री बने?नही।तो फ़िर आप ही बताओ आप असली कैसे हो सकते हैं।असली तो वो लोग हैं।पहले अम्मा जी बनी,फ़िर भैया जी बने और आप देख लेना कुछ ही दिनो की बात है बाबा भी बन जायेंगे। आखिर इस देश की जनता मूर्ख तो है नही।एकाध बार धोका हो सकता है,मगर तीसरी पीढी तक़्………।क्या सोच रहे हो बापू।कुछ नही तू आगे बोल्।
बोलूंगा।बिल्कुल बोलूंगा।मैने कहा और उनसे सवाल किया कि आप के बेटों को ही ठीक से नही जान्ते अधिकांश लोग तो उनके बेटों के बारे मे क्या जानेंगे।बापू मैने सुना था इसी कारण आपका एक बेटा आपसे बहुत नाराज़ था।ये क्या उल्टी-सीधी बात कर रहा है तू।सारी बापू,मेरा इरादा आपका दिल दुखाने का नही था,मगर जाने दिजिये आप नही बतायेंगे तो क्या मैं नही जानता,सारा देश जानता है।एक आप थे और एक ये हैं।देश का पट्टा लेकर रहेंगे।ये ही असली गांधी है और अब तो वो दलितों की सेवा के हाई-प्रोफ़ाईल ड्रामे भी कर रहा है।उसका हर ड्रामा सुपर हिट हो रहा है।कभी खाई थी आपने रोटी किसी दलित के घर?तू नही जानता क्या?बापू ने मुझसे पूछा।मैने कहा मै तो जानता हूं मगर सवाल ये है कि दुनिया क्या जानती है।बापू आपने अपना जीवन खपा दिया,मै मानता हूं।मगर ऐसी पब्लिसिटी क्या आपको कभी मिली थी?साल मे एकाध बार याद आते है दलित असली गांधियों को।और उसके बाद जो फ़ोटो सेशन और इंटरव्यूह होते हैं,कभी देखा है आपने।
अरे वो तो वो उनके चंगूउ-मंगू भी उनके फ़रमान पर दलितो की सेवा मे भीद गये हैं।आपने देखी है ऐसी दलित सेवा?बकरा कट रहा है,हलवाई खाना बना रहे हैं,मिनरल वाटर से धुले बरतनो मे खाना सर्व हो रहा है।अरे हां बापू मैने सुना था आपको बकरी से बडा प्यार था,वो क्या कहते है पुअर मैन्ज़ काऊ।कंहा है आपकी बकरी?नही है ना।खा गया हो गया कोई आप ही का अनुयायी खादीधारी।क्या बोलते हो बापू ऐसी दलित सेवा देखी है आपने?इसे कहते हैं असली लोगों की असली सेवा।आपने किया ही क्या है उनके लिये?बापू सच बोलूं?बोल।बापू की आवाज़ कुछ थर्थराई सी थी।मैने कहा बापू दलितो-पिछडो के उत्थान के नाम पर इस देश मे आज़ादी के बाद से इतना धन खर्च किया गया है कि अगर उसे सीधे-सीधे उन लोगो मे बांट दिया जाता तो हर किसी का उत्थान हो जाता।बापू दलित आज भी दलित ही बन हुआ उन्हे दबाने वाले और उनके उत्थान के नाम पर दलाली करने वाले लोग ज़रूर लाल हो गये।बापू खामोश थे।मैने पूछा बापू क्या बात है मज़ा नही आ रहा है क्या?बोर हो रहे हो तो टापिक चेंज़ करूं।बापू ने कहा ठीक है अगर तू चाहता है तो बदल ले।फ़िर किस टापिक पर चर्चा हुई,बताऊंगा कल्।इंतज़ार करियेगा और बताईयेगा ज़रूर की बापू से बातचीत कैसी लगी।
17 comments:
अनिल भाई, मैंने मान लिया आप भी मान लो, दौर कल भी गांधी का था...दौर आज भी गांधी का है...बस मोहन दास कर्म चंद की जगह राहुल ही तो जुड़ गया है गांधी के साथ...
जय हिंद...
अनिल भाई हतप्रभ हूं....आपकी कल्पना शक्ति की तो दाद देनी पडेगी..बापू से इन प्रश्नों को यूं इस तरह पूछना..शैली, अंदाज़..सब निराला है...एक सांस में पढ गया..और अगली का इंतज़ार है...बहुत ही गजब
बहुत सही...सटीक!! मजा आ गया पढ़ कर.
काश गाँधी मेरे पीछे भी लगा होता तो अपुन भी १० जनपथ न सही १८ जनपथ पर तो रहा करता . वैसे कुछ साल बिना गाँधी के १८ जनपथ पर रहा हूँ
धीरु भाई, जिसके पास जो चीज है वही तो देगा। आपके पास बुद्धिमानी है इसलिए आप दूसरों को बुद्धिमत्तापूर्ण विचार देते हैं और जिनके पास गंदगी है वे दूसरों के यहाँ गंदगी फैलाते हैं।
मॉडरेशन सक्षम कीजिए और कचरा टिप्पणियों को 'रौंद डालिए'।
anil ji
bahut acha lekh chal raha hai . padhkar to bahut acha laga hai . aap isko print me avashya dena ..
regards
vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com
gajab likha hai
अनिल भाई,कल रात को जब आपकी पोस्ट आई तो मै सत्सँग से आया ही उसी समय आप की पोस्ट ब्लाग वानी पर नमुदार हुई,पुरी पढने के बाद टिप्प्णी करने के लिये बाक्स खोला ही था कि विचार आया नही-नही,
ये का्म सुबह करना,कही और कुछ लिख गया तो बापु सो्चेन्गे कि एक तो पीछे पड़ा है दुसरा और आ गया, रात को भी सोने नही देते,इसलिए अब सुबह हुई तो आपकी बापु से सीधी बात की बधाई दे दुँ सोचा-आपकी बातचीत बढिया रही बधाई,
मजा आ गया पढ़ कर
लाज़वाब
हरि के जनों को पुकार कर बुक होने से बचे 'नकली' गांधी के साथ हुई अगली बकबक का इंतज़ार
बी एस पाबला
आज अगर बापू वास्तव में भी आ जायें तो भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला भाई लोग उनको भी निपटा देंगे . अरे कौन बापू वोई टोपीवाला, जिसके पुतले के नीचे रोज अंडे का ठेला और ठंडे पानी का पाउच बिकता है. इन लोगों ने तो उनको जीते जी निपटा दिया था गद्दी के चक्कर में आज तो मजबूरी में सलाम करना पड़ता है . अत्यंत सशक्त और प्रभावशाली प्रस्तुति
बेचारे बापू......अच्छा हुआ जो ये सब देखने से पहले दुनिया से उठ गए....
बिलकुल सटीक बातचीत !!!
अनिल जी , आप ने तो बापू कि भी नींद खराब कर दी... एक बापू का आसरा था, लेकिन बापू भी डर गया... इन आज के ??? नेतओ से.
बहुत अच्छा लगा आप का आज का यह लेख,
अगर आप ने शादी की होती तो आप को भी कहते कि आप को करवाचौथ की हार्दिक शुभकामनाये :),
लेकिन अब क्या कहे राम राम
एकदम सच। नेता अब उन्हें बापू नहीं कहते, कभी ध्यान से सुनिएगा- वो कहते हैं- बाप हूं। लगता ऐसा है जैसे कहा हो-बापू। ये वाकई बाप और 'भाई' हैं। विज़िट पर दलित के घर में किराए के गद्दे, पंखे और हलवाई ख़ूब चल रहे हैं, भईया।
lazawab..
अच्छा हुआ आपने बापू को हरि के जनो का मतलब समझा दिया वरना वे ढूँढते ही रह जाते क्योंकि ये सब जने तो पुतले लगाने मे लगे है और असली दलित अभी वही का वही है । बापू इन के शर्मनाक समौझोतो को देख कर फिर वापस चले जाते ।
वैसे अनिल भाई यह बताओ आजकल क्या खाकर यह सब लिख रहे हो हमे भी तो बताओ , ताकि हम भी कुछ ऐसा ही कर सके ?
अरे वो तो वो उनके चंगूउ-मंगू भी उनके फ़रमान पर दलितो की सेवा मे भीद गये हैं।आपने देखी है ऐसी दलित सेवा?बकरा कट रहा है,हलवाई खाना बना रहे हैं,मिनरल वाटर से धुले बरतनो मे खाना सर्व हो रहा है।अरे हां बापू मैने सुना था आपको बकरी से बडा प्यार था,वो क्या कहते है पुअर मैन्ज़ काऊ।कंहा है आपकी बकरी?नही है ना।खा गया हो गया कोई आप ही का अनुयायी खादीधारी।क्या बोलते हो बापू ऐसी दलित सेवा देखी है आपने?इसे कहते हैं असली लोगों की असली सेवा।आपने किया ही क्या है उनके लिये?बापू सच बोलूं?बोल।बापू की आवाज़ कुछ थर्थराई सी थी।मैने कहा बापू दलितो-पिछडो के उत्थान के नाम पर इस देश मे आज़ादी के बाद से इतना धन खर्च किया गया है कि अगर उसे सीधे-सीधे उन लोगो मे बांट दिया जाता तो हर किसी का उत्थान हो जाता।बापू दलित आज भी दलित ही बन हुआ उन्हे दबाने वाले और उनके उत्थान के नाम पर दलाली करने वाले लोग ज़रूर लाल हो गये।बापू खामोश थे।मैने पूछा बापू क्या बात है मज़ा नही आ रहा है क्या?बोर हो रहे हो तो टापिक चेंज़ करूं।बापू ने कहा ठीक है अगर तू चाहता है तो बदल ले।फ़िर किस टापिक पर चर्चा हुई,बताऊंगा कल्।इंतज़ार करियेगा और बताईयेगा ज़रूर की बापू से बातचीत कैसी लगी.....
hahaaha.waaqai mein khaa gaya........ ab is desh ko kha rahe hain...........
bahut achchi lagi yeh charcha..... chintan ko majboor karti hai aapki yeh rachna......... gr8.....
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aur deri se aane ke liye maafi chahta hoonnn..... darasal thoda sa busy tha....
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