Tuesday, November 3, 2009

एक बहुत ही कठीन सवाल पूछ रहा हूं आपसे जो मुझसे पूछा गया था और जिसका जवाब मैं अभी तक़ खोज रहा हूं।

आज सुबह-सुबह मुझसे एक सवाल पूछा गया।सवाल एकदम साधारण सा था लेकिन जब मैने उसका जवाब देना चाहा तो मेरे होश उड़ गये।मुझे तबसे लेकर अबतक़ उसका जवाब सूझा नही है।इसलिये उस सवाल को आप लोगो के लिये ट्रांसफ़र कर रहा हूं ।दो दिनो की छुट्टी के बाद आज सुबह जब स्कूल के लिये हलचल मची तो घर मे रोना-गाना भी शुरू हो गया।क्लास थर्ड़ की स्टूडेंट मेरी भतीजी पारूल जिसे घर मे युती पुकारते हैं स्कूल जाने से साफ़ इंकार कर रही थी और उसकी मां उसे स्कूल भेजने पर तुली हुई थी।रोना गाना सुन कर मैने पूछा क्या हुआ?तो बहु ने कहा देखो भैया ये स्कूल नही जाऊंगी बोल रही है।मैने पूछा क्या हुआ युती?तो उसका जवाब था मुझे उल्टी जैसा लग रहा है।मेरे दिमाग मे तत्काल दो दिनो से चल रही उसकी बातचीत घूम गई।वो दो दिनो से कह रही थी कि मेरा स्कूल जाने का मूड नही होता आजकल्।उसे देख कर छोटे मियां यानी दूसरे भाई के चिरंजीव ओम भी उसी सुर मे गाना गाने की तैयारी मे दिखे।मैने तत्काल कहा गलत बात युती बहाना नही बनाते,स्कूल जाओ।उसने कहा बाबा मै सच कह रही हूं।मैने फ़िर कहा कि बहाना नही।अब उसके तेवर बदल गये और उसने मुझसे पूछा मैं बहाना कर रही हूं?मैने कहा हां।उसने पूछा आपको कैसे पता चला कि मैं बहाना कर रही हूं?मैंने जवाब देने की भरपूस कोशिश की मगर वो यही पूछती रही आप कैसे जानते हैं ये बहाना है?बस फ़िर मेरे पास उसका सपोर्ट करने के अलावा कोई चारा नही रहा और वो फ़िलहाल सो रही है। छोटे मियां को स्कूल जाना ही पडा और मै अब तक़ यही सोच रहा हूं कि मुझे कैसे पता चला कि वो बहाना कर रही है।है ना कठीन सवाल ,आपको जवाब मालूम हो तो बताईगा ज़रूर्।

34 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

haan bhaiya......... bahut kathin sawaal hai...... ab yeh koi kaise bataye ki bahana hai?

hehehe


ab iska jawab to hai hi nahi.........

khair! main soch raha hoon.........

jawab mil jayega to fauran bataunga........

Unknown said...

बढ़िया,
बोतल मे हाथी याद आ गया, तुम्हे भी याद होगी वो कहानी...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

हा-हा-हा... बच्चे दी ग्रेट !!
आप भी कह देते कि बहाना बनाते वक्त इंसान के माथे पर लकीरे, और नाक के नथुने फूलते है इसलिए वही लक्षण तुम्हारे चेहरे पर भी नजर आ रहे है जो दिखता है कि तुम बहाना बना रही हो................ !

Unknown said...

अनिल जी,

बहुत सुन्दर पोस्ट!

आपने युति के साधारण क्रिया-कलापों तथा बातों से ही जाना कि वह बहाना कर रही है। इस प्रकार की बातें सामान्य मनोविज्ञान के अन्तर्गत आती हैं। हो सकता है कि मनोविज्ञान कभी भी आपका विषय न रहा हो किन्तु आपने अपने अनुभवों से बहुत कुछ मनोविज्ञान की शिक्षा प्राप्त कर ली है। ठीक वैसे ही जैसे कि कोई सब्जी-भाजी बेचने वाली औरत को कभी गणित की शिक्षा न मिली होने के बाद भी हिसाब करना आ जाता है।

युति का यह पूछना कि "आपको कैसे पता चला कि मैं बहाना कर रही हूं?" सिद्ध करता है कि वह बहुत तेज दिमाग की है!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

ये आजकल के बच्चे हमारे से ज्यादा सयाने है।
और इनसे पार पाना भी मुस्किल है। वो अपना समय नही है अनिल भाई-जब हम लोग डर से ही स्कुल चल देते थे।

Abhishek Ojha said...

सवाल तो बिलकुल सही है ! जवाब मिले तो हमें भी बताइयेगा :)

Arvind Mishra said...

बाल मनोविज्ञानी हैं आप और क्या ?

संगीता पुरी said...

सचमुच बहुत कठिन प्रश्‍न है .. अपनी महत्‍वाकांक्षा के कारण खेलने कूदने और मनमानी करने की उम्र में बच्‍चों के शारीरिक तकलीफ को भी नहीं समझ पाते हैं हम .. उन नादानों पर क्‍या इतना शक करना जायज है !!

Unknown said...

भाईजी !
सब जानते हो, फ़िर भी पूछते हो...........

अब हम चोर की दाढ़ी में तिनके की मिसाल देंगे तो आपको मिर्ची लग जायेगी .....भले ही मिर्ची न लगे, आइस क्रीम ही लगे, पर वो शोभनीय नहीं होगा..........इसलिए हम यों कहेंगे श्रीमान कि आपने लाड़ली युति के रूप में ख़ुद को देखा है, जब उसने कहा कि उलटी आने को है..तब आपको वे सब बहाने याद आ गए होंगे जो आप किया करते थे । वरना क्या मजाल कि बच्चा बोले - तबीयत ठीक नहीं और घर के बड़े उसे बहाना समझ लें..........

वैसे कहना मत किसी से.........अगर किसी दिन युति मुझे मिल गई तो भैया ऐसे ऐसे मौलिक बहाने सुझाऊंगा उसे कि आप तो क्या "कोड़ा" को पकड़ने वाले भी नहीं पकड़ पाएंगे,,,,,,,,,अपनी मास्टरी है इस में...........हा हा हा हा हा

बेटा "युति ! आ रहा हूँ बच्चा अगले महीने "

अनिल कान्त said...

बहुत कठिन सवाल पूंछ लिया युती ने

दिनेशराय द्विवेदी said...

यह तो लाजवाब सवाल है।

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said...

aapne sirf BACHCHON ki mansikta ko dekhen ka prayas kiya hai, is kaaran aapko lagaa ki ye BAHAANA hai.
waise uske swaasthya ki drishti se BHATIJI BAHAANA hi kar rahi ho......

अजित वडनेरकर said...

पुरानी इस्टाईल में खुद को बड़ा समझने की गलती कभी नहीं करना। इन बच्चों से ऐसी छोटी मोटी बातों पर जबर्दस्ती के पंगे लोगे, तो ऐसा ही होगा।
हम तो बरसों से अपने बेटे से यही कहते आ रहे हैं-बेटे आज स्कूल मत जाओ, मस्ती करेंगे। कभी मान जाता है, कभी इनकार कर देता है। आज तक उससे यह नहीं पूछा कि स्कूल जाने का मूड क्यो नहीं है, या बहाना बना रहे हो। अब तो कॉलेज जाने के दिन आ गए।

दिलचस्प पोस्ट। मज़ा आया।

36solutions said...

बहुत दिनों बाद आज बडे भाई साहब को टिपियाने आये. पर यहां तो सवाल पूछ रहे हैं भाई साहब. अब जवाब मालूम हो तब ना टिपियायें. चलिए रात को टिप्‍पणियों को पढ कर जवाब जानने का प्रयास करते हैं.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

"वो यही पूछती रही आप कैसे जानते हैं '
ये तो दिल की बात थी सो बता देते- ये अंदर की बात है:)

Alpana Verma said...

मैं pahle to यह जानना चाहती हूँ की वाकई युति ने बहाना बनाया था?क्या यह बात उसने खुद स्वीकारी है?अगर हाँ ...तब भी आप को यह जानना चाहिये kiवह स्कूल क्यों नहीं जाना चाहती थी?

आप चाचा हैं उसके ,आप उसे अच्छे से जानते हैं आप के ज्यादा close होगी.aur is incident ko last kahi baton se relate kar rahe hain.
लेकिन कई माता पिता भी यह कहते हैं ki हमें पता चल जाता है kab बच्चा बहाना बना रहा है--मगर मेरी राय में बच्चे कभी भी बहाना बिना किसी कारण के नहीं बनाते [अगर बनाते हैं तो!..अन्यथा bhi कोई कारण ज़रूर होता है उनकी हर बात के पीछे]

आप को अपने विश्वास में ला कर युति से यह ज़रूर जानना चाहिये की वह स्कूल जाने से क्यूँ डर रही है..या उसका मन क्यूँ नहीं है?कोई उसे परेशान करता है या कोई विषय समझ नहीं आता..आदि....और हो सकता है उसकी तबियत भी ठीक न हो लेकिन बाद में उसने कह दिया हो की मैं बहाना बना रही थी.
इसलिए उसके स्वास्थ्य पर कुछ दिन निगरानी भी रखनी आवश्यक है.

मेरे विचार में बच्चे की हर बात को महत्व दिया जाना चाहिये और छोटी सी बात भी जैसे उसकी सहेलियां उसके साथ नहीं खेलती आदि [सामन्य समस्या] को भी बड़ों को बात कर के समझा कर उसे कन्विंस करना चाहिये.यह बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के विकास के लिए भी ज़रूरी है.
आप की इस [post]बात पर यही कहूंगी [बुरा न मानियेगा]...अमूमन हम भारतीय अभिभावक बच्चों को समझने की कोशिश नहीं करते सीधा अपनी राय थोप देते हैं की मेरे बच्चे ऐसे हैं वैसे हैं...बच्चों को इतनी आजादी होनी चाहिये की वह अपने घर में खुल कर अपने दिल की बात कह सकें,खास कर जब स्कूल से आते हैं तब उनकी हर बात को ध्यान से सुनना चाहिये..उनके गुस्से चिडचिडाहट पर कभी गुस्सा नहीं करते हुए उन्हें समझने की कोशिश करनी चाहिये और सही दिशा में मार्गदर्शन ठंडे स्वभाव से करना चाहिये.
अगर वे खुद को बीमार कहते हैं तो एक बार चिकित्सक को दिखाएँ अवश्य.

श्रीकांत पाराशर said...

Anilji, ab lag raha hoga ki oont aagaya pahad ke neeche. hamen aapne anubhav se yah sab maloom hai, yah baat bhi to nahin kah sakte yuti ko. dubara aisi galati mat keejiyega, bachhon ke samne pol khul jayegi ki aap bhi vahi karte the.

Alpana Verma said...

युति का यह पूछना कि "आपको कैसे पता चला कि मैं बहाना कर रही हूं?"

-यह उसकी खीझ भी हो सकती है..
for example -जैसे हम भी जब कभी कोई सच बात कहते है और सामने वाला माने नहीं ....तब खीझ कर हम भी यही सवाल करते हैं की आप को कैसे मालूम की मैं झूट बोल रही हूँ?
इसलिए उसके ऊपर लिखे प्रश्न से यह समझ लेना की 'वह सच में बहाना ही बना रही थी' ..बहुत गलत है.

शरद कोकास said...

मै फिलहाल जॉन होल्ट की किताब "बच्चे असफल क्यों होते हैं?" पढ रहा हूँ । 283 पेज की किताब है । अगर इसे मै पूरी पढ़ लूँ और इसमे उत्तर मिल जाये तो मै अपको बता दूंगा ।

संजय बेंगाणी said...

अनुभव से जाना. जब युति भी आप जैसे बड़ी हो जाएगी, वह भी समझने लगेगी.

M VERMA said...

आपको बता देना चाहिये कि आपको कैसे पता चला. आखिर आपको पता चला है

डॉ .अनुराग said...

लम्बी छुट्टी के बाद .....ऐसा अक्सर होता है जी

रमेश शर्मा said...

bachche man ke sachche saaree jag kee aankh ke taare geet isee lie rachaa gayaa thaa Anil bhaaee.

Anonymous said...

अरे! आपने तो लिखा ही हुया है कि ...दिमाग मे तत्काल दो दिनो से चल रही उसकी बातचीत घूम गई।वो दो दिनो से कह रही थी कि मेरा स्कूल जाने का मूड नही होता आजकल!

बी एस पाबला

VIJAY ARORA said...

आप कह देते , ऐसे बहाने बनाने में तो हम उस्ताद रहे है . जिस स्कुल में युति आप बहाने सीख कर आये हो हम वहां के प्रिंसी पल रह चुके है

राज भाटिय़ा said...

अरे अनिल जी आप को , मुझे, हम सब को इस लिये पता है कि हम सब ने भी कभी ना कभी ऎसे बहाने बानाये होते है, दुसरा आप ने उस की दो दिन से सुनी बातो को सोच कर उन सेआप को विचार आया.



लेकिन बिटिया को बोलो जबभी कोई बहाना बनाता है तो उस की नाक थोडी लम्बी हो जाती है, ओर सच बोलने पर फ़िर से ठीक हो जाती है बस

Udan Tashtari said...

अब तो जमाना बदल गया मेरे भाई..जबाब तलाशना ही पड़ेगा.

हमारे जमाने में तो इस सवाल के जबाब में पिता जी से दो थप्पड़ मिलते. :)

Smart Indian said...

आपने कहा, "वो दो दिनो से कह रही थी कि मेरा स्कूल जाने का मूड नही होता आजकल्।" यही वजह है कि आपको लगा कि वह बहाना बना रही है.

विवेक रस्तोगी said...

मैं भी इसी सवाल का जबाब बहुत दिनों से ढ़ूँढ़ रहा हूँ।

Khushdeep Sehgal said...

युति बिटिया के इस मासूम सवाल का जवाब आप और हम तो क्या भगवान भी नहीं दे सकते...वैसे कभी हमें बच्चों की जगह खुद को रख कर भी सोचना चाहिए...नन्ही सी जान...वजन से ज़्यादा बस्ते...सर्दी-गर्मी सुबह उठना ही उठना...होमवर्क...प्रोजेक्ट...हर हफ्ते टेस्ट...अच्छे नंबर लाने का दबाव...बात-बात पर दूसरे बच्चों से तुलना...और आज हम बड़े होकर कितने भी तीसमारखां बन रहे हों....क्या बचपन में होमवर्क पूरा न किए होने पर स्कूल जाने से बचने के लिए हम एक से एक यूनिक बहाने इजाद नहीं किया करते थे....मुझे याद है हमारे दोस्त हमे सलाह दिया करते थे बगल में प्याज छिपा लो, इससे बुखार आ जाएगा...लेकिन ये टोटके भी काम नहीं आते थे...वैसे जैसे युति बिटिया ने सवाल पूछा है, ऐसे ही एक बच्चे ने टीचर से सवाल पूछा था कि मैडम...मैडम...सेब में क्या बहुत ताकत होती है....मैडम ने कहा...हां बेटे....बच्चे ने फिर पूछा....क्या हमसे भी ज़्यादा ताकत होती है....मैडम ने जान छुड़ाने के इरादे से कहा...हां भई हां...हमसे भी ज़्यादा ताकत होती है...बच्चे का अगला सवाल था...अगर मैडम हमसे भी ज़्यादा ताकत होती है तो सेब हमें क्यों नहीं खा जाता...

जय हिंद...

बाल भवन जबलपुर said...

ये आत्मानुभव से हुआ . आपने अपना बचपन याद किया फिर लगातार जारी दो तीन दिन की छुट्टी याद की फिर क्या फिर समझ गए गुरु

Gyan Darpan said...

अनुभव मनोविज्ञान सिखा ही देता है इसी अनुभव के सहारे आपको लगा कि युति बहाना कर रही है |

Unknown said...

स‌वाल वाकई में बहुत कठिन है।

दिगम्बर नासवा said...

सच है ....... बच्ची अक्सर चुप करा देते हैं ......