लकड़ी आंध्रप्रदेश की,ढोने वाला ट्रक हरियाणे का और रास्ता व्हाया छत्तीसगढ-बिहार नेपाल का।पता नही कब से ये सिलसिला चल रहा है।इस बार भी पता नही चलता अगर पुलिस सिर्फ़ वन विभाग के भरोसे रहती तो।वो तो भला हो आमानाका के तेज़तर्रार थानेदार शमशीर खान का जिसने शक़ के आधार पर दो ट्रको को रोका और उसमे छुपाकर नेपाल ले जा रही रक्त चंदन की चौदह टन लकड़ियां पकड़ने मे सफ़लता हासिल की।
रक्त चंदन की लकड़ियों का इस्तेमाल आमतौर पर भारत मे नही किया जाता।यंहा सफ़ेद चंदन का ही इस्तेमाल ज्यादा होता है।रक्त चंदन की लकड़ियां विस्फ़ोटक सुरक्षित रखने के लिये बनाये जाने वाले केबिन मे इस्तेमाल की जाती है लिहाजा रक्त चंदन की लकड़ियों की आंध्र से नेपाल तस्करी किसी और मामले की ओर भी इशारा करती है।वैसे ये बौद्ध धर्मावलंबियों द्वारा वाद्ययंत्र बनाने मे भी प्रयुक्त होती है लेकिन दो ट्रक यानी चौदह टन लकडियों की तस्करी सीधे-सीधे विस्फ़ोटको से जुड़ी दिखाई दे रही है।
इस मामले मे पुलिस ने आधा दर्जन लोगों को पकड़ा हैं जो ट्रक के चालक-परिचालक और खलासी हैं।ट्रांसपोर्टर राजू फ़रार होने मे सफ़ल हो गया है।उसके निवास से दूसरे प्रदेशों के परिवहन विभाग के सील-ठप्पे मिलना इस बात का संकेत है की मामला कई दिनों से चल रहा है और सब कुछ सुनियोजित है।राजू मूलतः हरियाणा का रहने वाला है और उसके बारे मे जिस तरह पुलिस से खोज़-खबर ली गई उससे लगता है कि उसकी पहुंच बहुत ऊंची है।
खैर ये चिंताजनक बात है कि आंध्र से जिस रास्ते से रायपुर तक़ लकड़ी लाई गई उस रास्ते मे वन विभाग के बहुत से बैरियर और चेक पोस्ट हैं।उसके बावज़ूद ट्रकों का यंहा तक़ आ जाना ये भी बताता है कि सबको सब कुछ मालूम है खासकर जंगल विभाग वालों को जो जंगल मे रहकर नक्सलियों से बैर नही ले सकते।वरना क्या मज़ाल है कि वन विभाग को पूर्व सूचना देने के बावज़ूद ट्रक जंगल के रास्ते राजधानी तक़ आ गया।
इस प्रकरण को अगर महज़ लकड़ियों की तस्करी का प्रकरण माना जाता है तो फ़िर ये जानबूझकर आंख मूंदने वाली बात होगी।वरना भागलपुर के ज़रिये नेपाल उन लकड़ियों की तस्करी जो विस्फ़ोटक सुरक्षित रखने के काम आती है,खतरे का संकेत दे रही है।रेड कारीडोर रेड सिग्नल दे रहा है,ज़रूरत है समय रहते संभल जाने की,वरना उसी रास्ते से आ रहे हथियार हमारे जवानों को असमय मौत के मुंह मे धकेलते रहेंगे,जैसा कि कल मलकानगिरी उडिसा मे दस जवानों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।
21 comments:
This is a very serious matter... Thanks for this report...
रेड कारीडोर रेड सिग्नल दे रहा है,ज़रूरत है समय रहते संभल जाने की,वरना उसी रास्ते से आ रहे हथियार हमारे जवानों को असमय मौत के मुंह मे धकेलते रहेंगे।
बहुत अच्छा आलेख।
"ज़रूरत है समय रहते संभल जाने की .."
बिल्कुल सही कह रहे हैं आप!
"रेड कारीडोर रेड सिग्नल दे रहा है
ज़रूरत है समय रहते संभल जाने की"
बिलकुल आप सही कह रहे हैं।
कौन समझाएगा छत्तीसगढ़ के नेताओं को जो इन राजमार्गों को मजबूत बनाने में लगे हैं .जहाँ सुरक्षा कड़ी करनी चाहिए बेरियर लगाने चाहिए उन्हे और खोला जा रहा है .
आज रायपुर शहर में बाहर से आए एक वर्ग के लोगों का औटो व्यवसाय में कब्जा है और ये स्थानीय नागरिकों से बत्तमीजी करने से भी नहीं चूकते.
अवैध कमाई की भूख सरकारीतंत्र को संभलने दे तब तो कुछ हो। जिन स्रोतों से नक्सलियों को पोषण प्राप्त होता है, उ,बन्हीं स्रोतों से अधिकारियों व नेताओं की तिजोरियां भरती हैं। जंगल से नक्सलियों को लेवी मिलती है, तो वन विभाग के ओहदेदारों को वहां से रिश्वत भी खूब मिलती है। सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं, कोई सरकारी वर्दी पहनकर लूट रहा है तो कोई लाल झंडे फहराकर। यह लूट न होती, यह शोषण न होता तो वामपंथ और जनवाद की बात करनेवाले बुद्धिजीवियों का पेट भी नहीं भरता।
"।रेड कारीडोर रेड सिग्नल दे रहा है,ज़रूरत है समय रहते संभल जाने की,वरना उसी रास्ते से आ रहे हथियार हमारे जवानों को असमय मौत के मुंह मे धकेलते रहेंगे,जैसा कि कल मलकानगिरी उडिसा मे दस जवानों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।"
bilkul sahi or jaruri si baat jo aapne to keh di hai.ab is par aage hota kya hai wo dekhte hai.....?
यक़ीनन, उस ट्रक के रास्ते मे वन विभाग के जितने भी बैरियर और चेक पोस्ट हैं उन सब पोस्ट पर काम करने वाले लोगो के घर पर भी अगर छापा पड़े तो सब घर पर, लालू यादव की तरह, आय से अधिक सम्पति निकलेगी इसमें कोई संदेह नहीं है. क्या कहे अंधेर नगरी चौपट राजा..
भ्रष्टता रूपी घुन, देश रूपी गेहूं पर बुरी तरह चिपक गया है अनिल जी, इन चेक बैरियर्स पर बैठे सरकारी चौकीदारों का आलम ये है कि अभी कुछ समय पहले हमारा एक ट्रक माल कर्नाटक से दिल्ली सभी वैध डोक्युमेन्ट्स के साथ आ रहा था ! बिल पर माल भेजने वाले ने ड्राइवर की सुविधा के लिए मेरा मोबाइल नंबर लिखा था! एक दिन सुबह-सबेरे मेरे पास फोन आया कि मैं फला-फला चौकी इंचार्ज बोल रहा हूँ आपका ये माल जो इस इस नंबर के ट्रक से आ रहा था पूरे डोक्युमेंट न होने की वजह से डिटेंन कर लिया गया है ! काफी बहस और बहुत झख मारने के बाद वह बोला कि अगर ट्रक छोड़ना है तो १२००० का इंतजाम कीजिये, मैंने पहले तो काफी विरोध किया, मगर मैं यह भी जानता था कि ये सरकारी पावर वाले कहाँ तक जा सकते है अगर एक हफ्ते भी ट्रक खडा रहा तो २००००/- ट्रक वाले को हर्जाना देना पडेगा अत मैंने कहा कि भैया , हम यहाँ से यह पैसा कैसे भेजेंगे जबलपुर ? तो वह झट से बोला कि मैं अपने असिस्टेंट का आईसी आई सी ई बैंक अकाउंट नंबर देता हूँ आप उसमे डलवा दीजिये दिल्ली में ! मैं बिफरा पडा था मैंने कहा कि १५ मिनट बाद फोन करो मैं आपको बताता हूँ ! इस बीच मैं ट्रक के मालिक से ट्रक का मोबाइल नंबर लिया और उससे बात की तो उसने बताया कि वह उस चेक पोस्ट से तो कल रात ही निकल गया था और इस समय वहाँ से ८० किलोमीटर आगे पहुँच चुका है ! १५ मिनट बात उस जनाव का फिर से फोन आया और बस यही मैं चूक गया, बजाये उससे प्यार से उसका एकाउंट नंबर की डिटेल लेने के मैं उस पर बरस पडा ! तो कहने का मतलब यह है कि इन लोगो ने कैसे-कैसे भ्रष्ट तरीके निकाल लिए है !
जागरूक करने वाला लेख ....जागरूकता लाने का प्रयास सराहनीय है
....जिस व्यक्ति की सूचना पर ये सफ़लता मिली तथा पुलिस स्टाफ़ जिसने इस कार्यवाही में सफ़लता प्राप्त की है निश्चिततौर पर बधाई के पात्र हैं, बहुत बहुत बधाई!!!
शमशीर खान का बड़ा काम .आपकी रिपोर्ट भी भरपूर है -कोई अब भी तो चेते !
रक्त चंदन की लकड़ियों का इस्तेमाल आमतौर पर भारत मे नही किया जाता।यंहा सफ़ेद चंदन का ही इस्तेमाल ज्यादा होता है।रक्त चंदन की लकड़ियां विस्फ़ोटक सुरक्षित रखने के लिये बनाये जाने वाले केबिन मे इस्तेमाल की जाती है लिहाजा रक्त चंदन की लकड़ियों की आंध्र से नेपाल तस्करी किसी और मामले की ओर भी इशारा करती है।वैसे ये बौद्ध धर्मावलंबियों द्वारा वाद्ययंत्र बनाने मे भी प्रयुक्त होती है लेकिन दो ट्रक यानी चौदह टन लकडियों की तस्करी सीधे-सीधे विस्फ़ोटको से जुड़ी दिखाई दे रही है।
अनिल जी !
बेहद चिन्ताजनक साक्ष्य आपने प्रस्तुत किये है ।
सत्य के लिए जिस तरह आप द्वंद्व के मूड में आए हैं वह सबके बस का नहीं है।
मुंह छुपाकर मीठे भविष्य के साथ अभिसार वालों को पहले पता नहीं चलता। शर्म तब आती है जब झुर्रियां भी उसे ठीक से प्रस्तुत नहीं कर सकती।
नमन
बड़े भाई, एक चीज बिल्कुल स्पष्ट है वह यह कि पूरे देश को गृहयुद्ध जैसे हालात में, हमारे धूर्त राजनीतिबाजों और भ्रष्ट अधिकारियों ने पहुंचा दिया है. ईमानदार वकीलों और जजों के पास अभी भी देश को बचाने का समय है..
अन्यथा तस्वीर बड़ी भयावह है...
बेहद चिंताज़नक विषय है ।
इस तस्करी को तो रोकना चाहिए ।
अच्छा जागरूक करने वाला लेख।
अनिल भाई
आपकी रिपोर्ट सामयिक है...लाख चाहा कि आपकी तारीफ और रेड कारीडोर की चिंता करके निकल लूं पर अपनी भी जुबान काबू में कहां है अब देखिये ना टिप्पणी भी कैसी बन पड़ी है...
"शमशेर खान की सजगता को साधुवाद जो उन्होंने विस्फोटकों को सुरक्षित रखने वाली लकड़ी पकड़ ली ...क्या ऐसा भी संभव है कि इंसानी दिमागों में भरे पड़े विस्फोटकों को सुरक्षित रखने वाले रसायनों / विचारों को भी कोई पकड़ ले...विश्वास कीजिये ये कारीडोर सबसे ज्यादा संवेदनशील , घातक , भयावह और लम्बी दूरी तक मार करने वाला है और...इसके सामने रेड कारीडोर तो कुछ भी नहीं है "
स्थिति चिंता जनक है। बीमारी को मिटाना पड़ेगा और उस के कारणों को भी।
अनिल जी इन मजदुरो , ट्रक डारीवरो ओर चोकी दारो को पकडने से क्या लाभ... अगर इसे रोकना ही है तो इस के गुरुओ तक पहुचना बहुत जरुरी है, ओर वो गुरु कोन है यह सब जानते है, ओर समय रहते इन्हे ना रोका गया तो...रजल्ट आप ने बता ही दिया है.
आप का धन्यवाद
अनिल भाई, जानकारी का शुक्रिया. वैसे भी लाखों निर्दोषों की हत्याओं के बाद किस सबूत की ज़रुरत बची है? माओवाद का नाम दें चाहे लेनिनवाद या सिर्फ जिहादवाद, हत्यारों के पाप का नाला तो उफनकर बह रहा है. यह तथाकथित विद्रोह और सशस्त्र क्रान्ति एक बहुत बड़ा अंतर्राष्ट्रीय काला धंधा है.
द्विवेदी सर,
ये सही कहा आपने एकता कपूर की सीरियल वाली अदालत होती तो झटपट तलाक तो क्या एक-दो पीढ़ियां ही निपटा देती...
वैसे मुझे लगता है कि इस केस में पत्नी की तरफ से तलाक के लिए इतना उतावलापन जो दिखाया जा रहा है, या तो वो विदेश सैटल होना चाहती है या फिर कहीं और शादी करना चाहती है...
जय हिंद...
बहुत ही अच्छा प्रयास है आपका, समय रहते हमें संभल जाना होगा.ये बहुत ही गंभीर विषय है और जरूरत है की इस विषय पे कुछ ढोस कदम लिए जाये.पुलिस ऑफिसर शमशीर खान ने अच्छा काम किया
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