नक्सलियों से निपटने के मामले मे सेना का उपयोग करेंगे,ऐसा कहना है हमारे विद्वान गृहमंत्री चिदंबरम साहब का।उन्होने ऐसा करना नैतिकता के खिलाफ़ माना है।तो चिदंबरम जी नक्सली कौन सा नैतिक काम कर रहे हैं ये भी बता दिजिये।क्या घात लगाकर पुलिस या सीआरपीएफ़ के जवानों को बारूदी सुरंगो से उड़ा देना नैतिकता की श्रेणी मे आता है?क्या स्कूल,अस्पताल और सड़कें उड़ाना नैतिकता के उदाहरण है?क्या भरे बाज़ार निरीह,निहत्थे आदिवासियों की नृशंस हत्या करना नैतिकता का तक़ाजा है?आखिर नक्सलियों के खिलाफ़ सेना के इस्तेमाल से परहेज क्यों?जब ये समस्या आपको देश की सबसे बड़ी और गंभीर समस्या लगती है तो इसके निराकरण मे इतनी देर क्यों?क्या सरकार एक छोटी सी फ़ुंसी को फ़ोड़े और फ़ोड़े को नासूर मे बदलते देख कर भी चेती नही है?क्या अभी भी लगता है कि इस समस्या को जड़ से मिटाने का सही वक़्त नही आया है?क्या आपको लगता है कि बस्तर मे जवानों की और बलि चढानी चाहिये?क्या आपको लगता है महुये की मादक खूश्बू से सराबोर रहने वाली बस्तर की वादियों मे अभी खून की बदबू कम फ़ैली है?क्या आपको लगता है कि हरा-भरा बस्तर निर्दोष लोगों के खून से और लाल होना चाहिये?आखिर चाह्ते क्या है आप?
एक तरफ़ आप कहते हैं नक्स्लियों से डरेंगे नही,झुकेंगे नही उन्हे बख्शेंगे नही और दूसरी तरफ़ आप उनके खिलाफ़ सेना का इस्तेमाल नही करने का खुले आम ऐलान करते हैं।तो फ़िर जो स्थानीय पुलिस और सुरक्षा बल उनसे निपटने में अभी तक़ कामयाब नही हो पा रहा है,वो क्या करे?मरते रहे रोज़ उनके जवान वंहा?आप लिट्टे के खिलाफ़ सेना के इस्तेमाल करने वाले श्रीलंका के उदाहरण को साफ़-साफ़ नकार कर क्या साबित करना चाहते हैं चिदंबरम जी?क्या आपको अपनी अंतर्राष्ट्रीय छबि की चिंता तो नही हो रही है?
फ़िर एक बात समझ नही आती कुछ बातें अगर नही भी कही जाये तो क्या फ़र्क़ पड़ता है?अगर आपको नक्सलियों के खिलाफ़ सेना का इस्तेमाल नही करना है मत करिये लेकिन चिल्ला-चिल्ला कर बताईये तो मत?क्या आपका ये बयान सेना से खौफ़ खाने वाले नक्सलियों का मनोबल बढाने वाला नही है?क्या मदद के लिये सेना की ओर उम्मीद से देख रहे जवानो का मनोबल तोड़ने वाला नही है आपका बयान?
आप नैतिकता की दुहाई दे रहे हैं और खुले आम बता रहे हैं कि हम सेना नही भेजेंगे!बहुत अच्छी बात है!आप की मर्ज़ी!आप राजा हैं,जैसा चाहे करिये!लेकिन ये बताईये क्या आपकी नैतिकता का असर उन नक्सलियों पर पड़ेगा क्या?क्या वे भी बता कर हमला करेंगे क्या?क्या वे छिप कर हमला करना बंद कर देंगे क्या?क्या सालों पहले बिछा कर रखी गई बारूदी सुरंगो का इस्तेमाल नही किया जायेगा?
पता नही कैसे इतना घातक बयान सत्ता मे बैठे लोग दे देते हैं।बिना इस बात की परवाह किये कि उसका असर क्या होगा?इतना तो बच्चे भी समझते हैं कि दुश्मन को अपनी रणनीति नही बताना चाहिये।गोपनीयता भी कुछ चीज़ है!
पता नही क्या चाहती है केन्द्र सरकार!छत्तीसगढ राज्य सरकार को अगर नक्सलियों से निपटने के मामले मे फ़ेल साबित करना ही अगर उसका उद्देश्य है तो इस सडियल राजनीतिक दांव-पेंच मे बहुत से लोगों को बेवजह अपनी जान गवानी पड़ रही है और गंवानी पड़ेगी।मत भेजो सेना!दुनिया को बताओ हम नही भेजेंगे सेना!दुनिया को क्या नक्सलियों को जाकर बता दो कि आप लोग निश्चित रहिये हम लोग नैतिकता के पुजारी है,हम सेना नही भेजेंगें?मरने दो पुलिस और सुरक्षा बल के जवानो को जंगल में।जिन्हे जंगल वार-फ़ेयर की स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है वे सीमा पर तैनात है,पता नही कब युद्ध होगा और कब अपना कौशल दिखायेंगे और यंहा जिन्हे जंगलवार के बारे मे ऐबीसीडी नही पता वे लड़ रहे जान हथेली पर लेकर।
ऐसे समय मे जब नक्सलियों के हमले तेज़ हो गये हैं और जवानो के लगातार शहीद होने से राज्य सरकार भी हैरान-परेशान है तब केन्द्र सरकार के ज़िम्मेदार मंत्री का ऐसा बयान समझ से परे है।अगर छत्तीसगढ की जगह कांग्रेस शासित महाराष्ट्र मे नक्सली इतना उत्पात करते तो क्या तब भी चिदंबरम खामोश रहते?क्या लालगढ की तरह छत्तीसगढ मे नक्सलियों से निपटने के लिये कठोर कदम उठाने की ज़रुरत नही है?वैसे एक सवाल और छ्त्तीसगढ के बस्तर मे हाहाकार मचाने वाले आंध्रा कैडर के नक्सली आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र मे क्यों खामोश है?उन्हे अन्याय और शोषण क्या सिर्फ़ गैर कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ,उडीसा और झारखण्ड मे ही नज़र आता है?कहने को बहुत है मगर अफ़सोस है गंदी राजनीति के कारण बेगुनाह लोगों को बेवजह अपनी जान गंवानी पड़ रही है।पता नही कब जागेगी केन्द्र सरकार और कब पता चलेगा चिदंबरम साहब को कि नैतिकता की बातों से नक्सली समस्या का हल होने वाला नही है!
24 comments:
इन बिना रीढ़ के लचीले नेतावो की जुबान भी लचीली ही है अनिल जी , इन्हें तो बस सजे हुए ताबूत (कौफिन) देखने में मजा आता है !
सार्थक पोस्ट.....सब अपने दांव पेंच खेलते हैं...कहाँ कौन सी सरकार है...इसीके आंकड़े देखते हैं...कब किस दल को नीचा दिखाना है और वहाँ की सत्ता हथियानी है इसी का जुगाड करते हैं....लानत है ऐसी सरकार और ऐसी सोच पर....
आपकी चिन्ता और आक्रोश जायज़ है...
सही लिखा आपने .
देखिये जी , जिस पुलिस बल को सेंट्रल को रिजर्व रखना चाहिए था
उसे चिदंबरम ने एक साथ हवन करवा दिया . जब दुखी हुए तो
लोगों ने टीवी पर, अखबार में, ब्लॉग में, पूछ लिया कि ''जवान को
भेजा ही क्यों था ? मतलब तब जरुरत नहीं थी जवान भेजने की ,फिर सेना
भेजने की जरूरत क्यों होगी .जब सवाल उठाने वालों की सहमति होगी तो
सेना जाएगी नहीं तो नहीं ...
सियासी खेल ही ऐसा है भैया ... सियासतदार खुद को बड़ा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है..फिर जनता जाए भाड़ में .. अब यहीं देख लिजीये जो कभी महिला आरक्षण बिल का विरोध करते रहे आज पारित करा रहे है .. सिद्धांत और जन सेवा की राजनीति अब बची कहाँ है .........
जवाब तो आपने दे ही दिया है अनिल भाई........चूँकि कांग्रेस शाशित प्रदेश नहीं है इसलिए राजा जी को केवल बयानों की राजनीती करना है यहाँ के वास्तविकता से उनका कोई लेना देना नहीं है....कोई मरे तो अपनी बला से....
बुद्धिजीवियों से प्रभावित लगते हैं
जब राजा कमजोर होता है तो मंत्री खेल खेलते हैं
कभी थरूर कभी जयराम कभी राजा कभी चिदम्बरम
ये बार बार कहते हैं की हम बात करने को तैयार हैं लेकिन बात क्सिसे करेंगे क्या पहचानते हैं नक्सलियों को .
कहाँ गए दिग्विजय सिंह
और तो और देश चलाने वाले गठबंधन के नेता और उनके पुत्र की जबान किसने सी रखी है .जवान तो उनके क्षेत्र के भी मारे गए .
फुर्सत कहाँ वो तो बिल गेट्स के साथ व्यस्त हैं ग्राम सुधार करने में न जाने किसका सुधार हो रहा है ?
एक सवाल और छ्त्तीसगढ के बस्तर मे हाहाकार मचाने वाले आंध्रा कैडर के नक्सली आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र मे क्यों खामोश है?उन्हे अन्याय और शोषण क्या सिर्फ़ गैर कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ,उडीसा और झारखण्ड मे ही नज़र आता है?
ने सबकुछ बता दिया... उस दिन का इन्तजार करें जब इन राजनीतिबाजों का शिकार खुद यहां के ही सुरक्षाबल करने लगेंगे तभी इनकी नींद खुलेगी...
sahi hai bhaya asal bat to ye hai ki in swarthi netao ke napunsak rawaye ki wajah se aaj chhattisagarh maut ki bhathhi ban gayee hai jisme ye neta jawano ko dalte hai aur jab naxali unka mans jalakar haddiya bahar fenk dete hai to use ye neta tiranga pahnakar salute karke fir se apne ac ghar aur daftaro me jakar bayanbaji shuru kar dete hai.....naxai samsya ye log khatma karna hi nahi chahte kyoki kai netao ke ghar aur karobar inhi naxalio ke nam se aane wale fund se aabad hai..har koi raag alap kar apna ullu seedha karne me lage hai
sab raajniti hai...
पुसादकर साहब, बहुत दर्द होता है जब सोचता हूं कि बस्तर में ऐसे हालात हैं।
आज मैं भी एक भविष्यवाणी करता हूं, देख लेना ये शत-प्रतिशत सच निकलेगी।
सरकार को नक्सल समस्या को खत्म करने के लिये एक ना एक दिन सेना तो जरूर भेजनी पडेगी।
बिना सेना के नक्सलवाद खत्म नहीं हो सकता।
आपकी चिन्ता और आक्रोश जायज़ है...घटिया और स्वार्थपरक राजनीति के अलावा और हमारी सरकारी करती ही क्या है.?
मेरे भाई जो सरकार खुद भारत विरोधी आतंकवाद की जननी व पोषकरता हो वो भला आतंकवादियों को मारने के लिए सेना क्यों भेजेगी ये आतंवादी चाहे चीन समर्थक बांमपंथी आतंकवादी हों या फिर पाक समर्थक मुसलिम आतंकवादी।
आतंकवादियों की इस सरकार को तो सिर्फ सुरक्षाबलों को मारने वाले देशभक्तों व उनके समर्थकों को जेल में डालकर सबक सिखाना है
देखा नहीं आपने किस तरह आतंकवादियों को मारने वाले सुक्षावलों जेल में डालकर यातनायें देकर वाकी सैनिकों को संदेस दिया जा रहा है आतंकवादियों से न लड़ने का
राजनीति से प्रेरित है. धिक्कार है.
जब इन नेताओ की ओलाद इन नकसलियो के हाथो मेरेगी तब देखे केसे लगती है इन्हे.... अजी मुझे तो लगता है यहां भी वोट ही वोट है इन नेताओ के लिये, बहुत अच्छा लिखा आप ने धन्यवाद
'किसी बड़े पेड़ के गिरने पर धरती कांपती ही है’ जिनका ध्येय वाक्य हो, उनसे आशा भी क्या कर सकते हैं?
जो शहीद हो रहे हैं, वो इनके लिये न सही, किसी के लिये तो बड़े पेड़ थे।
aapne sahi kaha sir.....aakhir kab tak hamare jawan aur aam insan aise hi bemaut marte rahenge....aur kab tak ye neta sirf aur sirf uspe mala dalte rahenge....
sarkar apni naitik jimmedari bhul gayi hai...
सोचना होगा भैया..
यह तो शुरूआत है, अभी तो गुमराह (हत्यारों) को बातचीत, माफी और करदाताओं की जेब से पुनर्वास पॅकेज की भी बात आ सकती है. जब कश्मीर में बन्दूक चलाने के पैसे मिलते हैं तो और तरफ क्यों नहीं?
बहुत ही उम्दा व सटीक लिखा है आपने ।
भला हार्वर्ड डिग्री धारी चिदंबरम जैसे नेताओं को मासूम जवानों के जान की चिंता क्यों हो ? ये नक्सली यदि सोनिया मैडम के किसी चहेते नेता पे धावा बोल दे तो देखिये यही चिदंबरम जी कैसे सेना लेकर आ जायेंगे |
सार्थक लेखन |
Y Samuel Reddy की जंगल में धुंडने के लिए हाजारों की संख्या में सेना, पुलिश, अर्धसैनिक बल लगाया गया था | मैडम के चहेते मुख्यमंत्री जो ठहरे | अब छत्तीसगढ़ में बेचारा जवान मारे तो मरे इन्हें क्या चिंता ... |
अनिल जी दोष तो अपणु जनता का भी है की सब कुछ जानते हुए भी इन्हें गद्दी सोंप दी है |
नक्सली मुद्दे के निपटारे की बजाय राजनीति हो रही है। दुखद।
bilkul sahi kaha aapne anilji,in jimmedar mantriyon ke bayano se sabhi trast hai.pata nahi kaise abhi sharad panwarji khamosh hai.bas ek PM hi hai jo kuchh nahi bolate baki kasar unake mantri nikal dete hai.aur rahi bat samasya ke nivaran ki to usme to kisi ki dilchaspi hi nahi hai.
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