एक बहुत छोटी सी पोस्ट जिसमे बहुत बड़ी बात छीपी हुई है।ये बात मेरा अपना अनुभव नही है मगर मुझे मिले इस एसएमएस ने मुझे भी सोचने पर मज़बूर कर दिया है।मुझे जो एसएमएस मिला उसके अनुसार दिन भर जी तोड़ मेहनत करके घर लौटने के बाद पिता का सवाल-कितना कमाया?पत्नी का सवाल-कितना बचाया?बच्चों का सवाल-क्या लाये?और मां का सवाल -बेटा कुछ खाया या नही?सच मां तो मां है,जय माता दी।
25 comments:
माँ तो माँ ही होती है, उसका स्थान कोई नहीं ले सकता.
संबंधों के बदलते स्वरूप पर अच्छा सन्देश !
जय माता जी की!
कुपुत्रो जायेत, माता क्वचिदपि ............
सत्य मॉं मॉं है भईया.
सभी के सवाल अपनी जगह जायेज हैं, पर सच ही है माँ तो माँ ही है......
regards
वाकई में मां तो मां ही है
माँ तो माँ ही है......सुन्दर लेखन.
मां निस्वार्थ प्रेम की सबसे बेहतर मिसाल है. http://aqyouth.blogspot.com/2010/04/blog-post_4894.html
माँ के सामने तो हम नतमस्तक हैं. हमारी अर्धांगिनी को यही रास नहीं आता.
तभी तो वो माँ है ..जिसका स्थान सर्वोपरि है .
यही होती हैं माँ की भावनाएं..रिश्तों के अनुसार प्रश्न भी बादल जाते हैं
...माँ दा रिश्ता सब ते ऊंचा,
माँ है रब दा रूप.
gaagar
me
SAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAGAR
रिश्तों की सही पहचान दिखा दी ।
जय माता दी ।
वाह जी बिलकुल सही कहा. धन्यवाद
सटीक अवलोकन ।
very true bhaiya, very true
'' बालक दुखी , दुखी महतारी ! '' ( कबीर )
मां तो मां है जी।
दुनिया की एक ही कोर्ट है जहां हर गुनाह के बदले मिलती है माफी और शुभ दुआयें
जय माता दी
सही ही है।
गुरु-चेला युग्म को बधाई।
नियमित लिखने से अलग कैसे रहे इतने दिन भाई! लिखते रहना चाहिये। ब्लॉग जगत न लिखने से अच्छा हो जायेगा क्या?
खुश रहा जाये।
गुरु-चेला अपना गृह-लक्ष्य कब हासिल करेंगे।
jaandar post..
माँ-बाप की याद आती है उस वक़्त ज़ेयादह
जब कोई नहीं पूछ्ता - "खाया? नहीं खाया?"
(नामालूम)
अच्छी पोस्ट हेतु आभार!
आज भी पूछी थी.. और आज भी झूठ बोल दिया..
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