Thursday, July 8, 2010

माता-पिता,पत्नी और बच्चों मे फ़र्क़!

एक बहुत छोटी सी पोस्ट जिसमे बहुत बड़ी बात छीपी हुई है।ये बात मेरा अपना अनुभव नही है मगर मुझे मिले इस एसएमएस ने मुझे भी सोचने पर मज़बूर कर दिया है।मुझे जो एसएमएस मिला उसके अनुसार दिन भर जी तोड़ मेहनत करके घर लौटने के बाद पिता का सवाल-कितना कमाया?पत्नी का सवाल-कितना बचाया?बच्चों का सवाल-क्या लाये?और मां का सवाल -बेटा कुछ खाया या नही?सच मां तो मां है,जय माता दी।

25 comments:

Udan Tashtari said...

माँ तो माँ ही होती है, उसका स्थान कोई नहीं ले सकता.

उम्मतें said...

संबंधों के बदलते स्वरूप पर अच्छा सन्देश !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

जय माता जी की!

36solutions said...

कुपुत्रो जायेत, माता क्‍वचिदपि ............

सत्‍य मॉं मॉं है भईया.

seema gupta said...

सभी के सवाल अपनी जगह जायेज हैं, पर सच ही है माँ तो माँ ही है......
regards

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

वाकई में मां तो मां ही है

arvind said...

माँ तो माँ ही है......सुन्दर लेखन.

S.M.Masoom said...

मां निस्वार्थ प्रेम की सबसे बेहतर मिसाल है. http://aqyouth.blogspot.com/2010/04/blog-post_4894.html

P.N. Subramanian said...

माँ के सामने तो हम नतमस्तक हैं. हमारी अर्धांगिनी को यही रास नहीं आता.

shikha varshney said...

तभी तो वो माँ है ..जिसका स्थान सर्वोपरि है .

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

यही होती हैं माँ की भावनाएं..रिश्तों के अनुसार प्रश्न भी बादल जाते हैं

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

...माँ दा रिश्ता सब ते ऊंचा,
माँ है रब दा रूप.

Unknown said...

gaagar

me

SAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAGAR

डॉ टी एस दराल said...

रिश्तों की सही पहचान दिखा दी ।
जय माता दी ।

राज भाटिय़ा said...

वाह जी बिलकुल सही कहा. धन्यवाद

प्रवीण पाण्डेय said...

सटीक अवलोकन ।

Sanjeet Tripathi said...

very true bhaiya, very true

Amrendra Nath Tripathi said...

'' बालक दुखी , दुखी महतारी ! '' ( कबीर )

नीरज मुसाफ़िर said...

मां तो मां है जी।

अन्तर सोहिल said...

दुनिया की एक ही कोर्ट है जहां हर गुनाह के बदले मिलती है माफी और शुभ दुआयें
जय माता दी

अनूप शुक्ल said...

सही ही है।

अनूप शुक्ल said...

गुरु-चेला युग्म को बधाई।

नियमित लिखने से अलग कैसे रहे इतने दिन भाई! लिखते रहना चाहिये। ब्लॉग जगत न लिखने से अच्छा हो जायेगा क्या?

खुश रहा जाये।

गुरु-चेला अपना गृह-लक्ष्य कब हासिल करेंगे।

CARTOON CHHATTISI said...

jaandar post..

Himanshu Mohan said...

माँ-बाप की याद आती है उस वक़्त ज़ेयादह
जब कोई नहीं पूछ्ता - "खाया? नहीं खाया?"
(नामालूम)
अच्छी पोस्ट हेतु आभार!

PD said...

आज भी पूछी थी.. और आज भी झूठ बोल दिया..