Friday, August 6, 2010

लो अब तो मशीन भी करप्ट होने लगी

एक छोटी सी पोस्ट।आज आफ़िस देर से पंहुचा।दोपहर को ला मेग्नस स्कूल आफ़ बिज़नेस मैनेजमैंट के कामन रूम के उद्घाटन मे ही देर हो गई थी।आफ़िस पंहुचते ही मैने अपने डेस्क टाप का हाल-चाल पूछा।मेरे सहयोगी गौरव और ॠषी ने बताया कि सब ठीक है आप काम कर सकते हैं।मैने सोचा पहले गेम खेल लूं और उसके बाद शूरू हुई गडबड़ियां।गेम ज़ुमा,स रिवेन्ज लाख कोशिशों के बाद शुरू नही हो पाया।बताया गया कि नया एण्टी वायरस इन्स्टाल करने से प्राब्लम आई है।मैने जब दोनो को हड़काया तो उन्होने कहा कि सर कम्प्यूटर करप्ट हो गया है,फ़ार्मेट करना पड़ेगा।उनका जवाब सुनकर मेरे मुंह से सिर्फ़ इतना ही निकला हे भगवान क्या होगा इस देश का?आदमी तो आदमी अब मशीन भी करपट होने लगी है।ये सुनते ही वंहा हंसी का जो फ़ौव्व्वारा उठा उसने काफ़ी देर तक़ थमने का नाम ही नही लिया।उस हंसी मे हितेश,शेरी उर्फ़ बख्शिश सिंह कलसी,इंजिनियर प्रदीप मिश्रा,चावड़ा जी और बाकी साथी शामिल थे।बात निकली तो मज़ाक में थी मगर थी बहुत सच,क्या कहते हैं आप?

20 comments:

Sanjeet Tripathi said...

hmm, baaki sab to thik hai boss, lekin ye batao ki office ke computer me games khud kheloge to juniors ko kaise manaa karoge in sab baaton ke liye......

javab maangta apan to

;)

अनूप शुक्ल said...

मशीन महाजनो येन गत: स: पन्था: के सिद्धांत पर चलती होगी और आदमी को देखकर करप्ट होती होगी।

Girish Kumar Billore said...

jee
dour hee hai kya karen.....?

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

आदमी की बनाई हुई चीज है भईया. बिलकुल अपनी ही तरह बनाई हुई है. मौका लगते ही करप्ट हो जाना इनकी भी फितरत है. दिक्कत यह कि मशीन को तो आदमी रिफार्मेट कर लेता है पर आदमी को रिफार्मेट कौन करे?

उम्मतें said...

भाई मशीन करप्ट हुई तो रिफार्मेटिंग कर लेंगे पर इंसान... :)

समय चक्र said...

यदि मशीन करप्ट हो गई है तो सुधार संभव है पर बिगड़े इंसान को सुधारना कुछ कठिन होता है ...... काफी दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़ने मिली.....आभार

संगीता पुरी said...

मशीने भी तो मनुष्‍य की बुद्धि के अनुसार काम करती है .. उसकी मानसिकता भी तो बदलेगी !!

شہروز said...

आदमी तो आदमी अब मशीन भी करपट होने लगी है।

हा हां हां ...


क्या बात है !! सुन्दर !!
समय हो तो अवश्य पढ़ें और अपने विचार रखें:

मदरसा, आरक्षण और आधुनिक शिक्षा
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_05.html

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मशीन के माध्यम से इंसानों पर करारा व्यंग है ..

Satish Saxena said...

इंसान का असर पड़ना स्वाभाविक है आखिर धरती के जीवों में सबसे शक्तिशाली है सो असर तो आएगा ही ..

Anonymous said...

हा हा हा

यही मशीनें भविष्य की खेवनहार हैं, आगे आगे देखिए होता है क्या

Unknown said...

sir..virus to sabko barbad kar deta hai.... o to sirf ek machine hai..
aaj puri dunia me ..CURUPTION KA VIRUS SABSE JYADA HAI JO NETA KARTE HAI...

कडुवासच said...

... रोचक पोस्ट !!!

हरि said...

इंसान की ईजाद इंसान से कैसे अलग हो सकती है।

डॉ टी एस दराल said...

इस मशीनी युग में कलयुगी आदमी का असर मशीन पर आ सकता है भाई ।
कोई आश्चर्य नहीं ।

ताऊ रामपुरिया said...

काश करप्ट मशीन की तरह करप्ट आदमी को भी फ़ार्मेट करने की सुविधा होती.

रामराम

प्रवीण पाण्डेय said...

गहरी बात बोल दी गयी पर सत्य भी तो है।

शरद कोकास said...

इंसान की बनाई हुई हर चीज़ करप्ट हो सकती है प्रोग्राम फाइल मशीन और इंसान खुद ।

PN Subramanian said...

अली ने एक मार्के की बात कही है. कंप्यूटर क्योंकि सॉफ्टवेर से चलता है, करप्ट हो सकती है. उसके लिए निदान भी है. फॉर्मेट कर लो. परन्तु इन नेताओं का, मंत्रियों का, नौकर शाहों का क्या किया जाए?

P.N. Subramanian said...

शरद कोकास जी को मै जवाब देना चाहूँगा: इंसान को तो भगवान् ने ही बनाया है, फिर ससुरा क्यों करप्ट हुआ जा रहा है.