छत्तीसगढ सरकार अप्रेल से शराब की 250 दुकाने बंद करने जा रही है।केबिनेट ने भी इस फ़ैसले पर मुहर लगा दी है।शराबखोरी मे सारे देश में तीसरे स्थान पर पहुंच चुके छत्तीसगढ के लिये एक अच्छी खबर है।राज्य बनने के बाद से यंहा शराबखोरी में तेजी से इज़ाफ़ा हुआ है और शराब की गांव-गांव मे दुकाने खुल गई हैं।जंहा दुकान नही है वंहा कोचियों (अवैध बेचने वाले)के ज़रिये शराब मिल जाती है।ऐसी स्थिति मे छत्तीसगढ सरकार का ये कदम शराबबंदी की ओर एक ईमानदार कदम कहा जा सकता है।
छत्तीसगढ सरकार ने दो हज़ार तक़ की आबादी वाले गांवों मे अब शराब दुकानों का ठेका नही देने का फ़ैसला किया है।फ़ैसले पर केबिनेट ने मुहर लगा दी है और सरकार ने इसकी घोषणा भी कर दी है।यानी ढाई सौ गांव और उनके आसपास के सैकड़ो गांवो के लोगों को सरकार ने शराब से बचाने की दिशा में एक सार्थक पहल की है।वर्तमान मे पूरे राज्य में 1054 शराब दुकाने हैं।
शराब के कारोबार में छत्तीसगढ सरकार को भरपूर लाभ मिलता है।यंहा बार की लायसेंस फ़ीस ही दस लाख रूपये सालाना है,जो काफ़ी ज्यादा है इसके बावजूद यंहा बार धड़ाधड़ खुल रहे हैं।शराब दुकानों का हर साल ठेका होता है और ठेके के लिये निविदा प्रपत्र यानी टेण्डर फ़ार्म की बिक्री से सरकार को करोड़ो रूपये मिल जाते हैं।
सौ करोड़ रूपये का नुकसान उठा कर 250 शराब दुकाने बंद करने का फ़ैसला काफ़ी कठीन काम है क्योंकि हर राज्य की तरह यंहा भी शराब लाबी काफ़ी ताक़तवर मानी जाती है।दरअसल इस बारे में पहल की है भाजपा के युवा विधायक देवजी पटेल ने।सरकार को आये दिन परेशानियों मे डालने वाले देवजी को सरकार ने इस बार ब्रेवरेज़ कार्पोरेशन का अध्यक्ष बना दिया है।अध्यक्ष बनते ही उन्होने कार्पोरेशन का मुनाफ़ा बढाने के लिये नई शराब दुकाने खोलने की सरकारी स्कीम को कैंसल किया और तेजी से नशे कि गिरफ़्त मे जकड़ते जा रहे प्रदेश के ग्रामीण लोगों को इससे दूर करने के लिये ग्रामीण इलाकों मे खुली शराब दुकानो को बंद करने का फ़रमान जारी किया।सौ करोड़ के राजस्व की हानी अफ़सरों के साथ-साथ शराब ठेकेदारों के लिये भी आसानी से पचने वाली बात नही थी सो इसका विरोध होना शुरू हुआ और देवजी भाई पटेल ने सीधे मुख्यमंत्री डा रमन सिंह से इस बारे में बात की और उन्होने भी शराबबंदी की ओर बढने वाले कदम को हरी झण्डी दिखा दी।
गांवो को शराब की लत से बचाने की शुरूआत तो हो गई है अब इंतज़ार है कस्बों और शहरों को भी इससे बचाने य मुक्त कराने का।शराबखोरी इस राज्य मे इस कदर बढी है कि गांव के गांव नशे की चपेट मे हैं।दर्ज़नों गांवों मे बहनें शराब दुकान के खिलाफ़ मोर्चा खोले हुये है।परिवार को बचाने के लिये बहुत से गांव की पूरी महिलायें धरना देने से लेकर शराब दुकानों मे तालाबंदी और तोड़-फ़ोड़ तक़ कर देती है।ऐसी स्थिति मे रमन सिंह सरकार का ये कदम निश्चित ही सराहनीय है।
10 comments:
सार्थक और सराहनीय कदम......ऐसे ठोस प्रयास जब समाज को सुधारने की दिशा में दृढ़ता से किये जायेंगे तब जाकर इस देश और समाज का असल विकास होगा.......छतीसगढ़ में भ्रष्टाचार शर्मनाक स्तर पर है तथा जनजातियों की दशा दयनीय है इस ओर भी रमण सिंह जी को ध्यान देना चाहिए इसी दृढ़ता के साथ......बहरहाल इस उपयोगी और प्रेरक कदम के लिए रमण सिंह जी धन्यवाद के पात्र हैं.......
एक अच्छी शुरूआत तो है पर गाँव गाँव में बिक रहे अवैध शराब और उससे भी ज्यादा तेजी से फैलते गुटखे के चलन को भी लगाम लगाये जाने की बेहद जरुरत है .
कौन जाने, इससे सच में शराब पर बंदिश लगेगी या प्रशासन तंत्र को काली कमाई का एक जरिया और मिल जाएगा।
दो उदाहरण है- पहला, गुजरात में वहां की सरकार ने शराबबंदी कर रखी है। सूखा प्रदेश है लेकिन वहां दारू की हरियाली हर जगह है। अभी कुछ समय पहले राजस्थान उदयपुर जाते जाते अहमदाबाद से गुजरना पडा, हमारे कुछ साथियों का कोटा रेल में ही खत्म हो गया था, उन्हें ऐसा लगा मानों अब उदयपुर के पहले कुछ नसीब नहीं लेकिन दोस्तों को उस वक्त आश्चर्यजनक खुशी मिली जब उन्हें अहमदाबाद के पान ठेलों के जरिए दारू मिल गई।
दूसरा हमारे प्रदेश का ही मामला है। छत्तीसगढ सरकार ने कुछ शहरों को धार्मिक नगरी घोषित कर वहां से शराब दुकानें बाहर करने का फैसला लिया है। इसके तहत राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ से भी शराब दुकानों को बाहर किया गया, लेकिन डोंगरगढ को जानने वाले अच्छी तरह जानते हैं कि पहले डोंगरगढ में सिर्फ दो दुकानों में शराब मिलती थी अब हर गली मुहल्ले में शराब बिकने लगी है।
अनिल जी, ये सब अब चोचले लगते हैं। आपको याद होगा कुछ समय पहले गुटखा पर प्रदेश में प्रतिबंध लगा था, यह भी याद होगा, उस समय चुनाव थे, बाद में उस प्रतिबंध का क्या हुआ। ऐसे कई मामले हैं।
खैर ... सबका पेट !
हमारे आंध में तो दुकाने बढाई जा रही है बंधु :(
bhai ap ne hi likha hai ki" ।जंहा दुकान नही है वंहा कोचियों (अवैध बेचने वाले)के ज़रिये शराब मिल जाती है।".....sir main problum dukane nahe ye "kochiye" he hai.jo in sarkar ke numaindo ke sahayog ke bina kya apna kam kar sakte hai?.
Sarkar ki ye acchi pahal hai swagat honi chaheye...........(Swagat hai bheeeeeee)....
per ye na ho ki dukan band aur kochiye chalu.. yani dudh bhe gaye aur dohani se bhi haath dho baite..Anurag Agrawal
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bhai ap ne hi likha hai ki" ।जंहा दुकान नही है वंहा कोचियों (अवैध बेचने वाले)के ज़रिये शराब मिल जाती है।".....sir main problum dukane nahe ye "kochiye" he hai.jo in sarkar ke numaindo ke sahayog ke bina kya apna kam kar sakte hai?.
Sarkar ki ye acchi pahal hai swagat honi chaheye...........(Swagat hai bheeeeeee)....
per ye na ho ki dukan band aur kochiye chalu.. yani dudh bhe gaye aur dohani se bhi haath dho baite..Anurag
अच्छे प्रयासों की सराहना भी हो।
क्या बात है.. बहुत ही अच्छी खबर पढ़ी काफी दिनों बाद सरकार के लिए.
हरियाणा और राजस्थान सरकार को भी इससे सीख लेनी चाहिए..
आशा है की अब ऐसी ही अच्छी खबरें पढने, देखने और सुनने को मिलेंगी..
आभार
अवैध बिक्री न हो तो बहुत ही अच्छा कदम है..
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