Tuesday, March 15, 2011
धोनी क्या लेने आया है?तुझे कैसे पता मैं धोनी हूं?अबे मैं नेहरा हूं,नेहरा!
साऊथ अफ़्रीका से रोमांचक मैच मे हार के बाद पता नही क्या-क्या हुआ?देश भर के क्रिकेट के कथित ठेकेदार जिन्होने कभी गली-मुहल्ले लेवल का क्रिकेट भी नही खेला होगा उस हार की समीक्षा करते नज़र आये।ऐसे में उस हार पे एसएमएस ना चले ऐसा इस देश मे हो ही नही सकता।उस हार पर एक एसएमएस मुझे भी मिला डा सक्सेना से।उसे जस क तस पेश कर रहा हूं आपके लिये। हार के बाद धोनी के माताजी ने उसे फ़ोन कर कहा कि आते समय सब्ज़ी लेकर आना।धोनी ने कहा की अम्मा लोग हार से बहुत नाराज़ है।अगर मैं बाज़ार गया और किसी ने मुझे पेहचान लिया तो शामत आ जायेगी।इस पर उसकी माताजी ने कहा कि बेटा मेरी साड़ी पहन कर जा, तुझे कोई नही पेहचान पायेगा! धोनी अपनी मम्मी की साड़ी पहन कर बाज़ार गया और सब्ज़ी खरीदने लगा।तभी एक महिला ने उससे पूछा कि धोनी क्या लेने आया है?इस सवाल पर धोनी बहुत हैरान हुआ और उसने उल्टे सवाल किया कि तुम्हे कैसे पता चला लि मैं धोनि हूं?इस पर उस लड़की ने जवाब दिया अबे मैं नेहरा हूं,नेहरा,आशिष नेहरा।अब बताईये ऐसे ऐसे एसएमएस चलने लगे हैं,भारत की हार के बाद्।गनिमत है कि वो मैच नाक-आऊट राऊण्ड का नही था,वरना धोनी-नेहरा की तो खैर नही थी।आप को क्या लगता है कि क्रिकेट के जुनून मे ये सब जायज है।मुझे भी बताना क्या सही है,क्या गलत है?
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8 comments:
kaam to aise hi kiye hain..
हार और जीत तो लगी रहती है, हमारा उन्माद पीड़ा बढ़ा देता है।
नालायकों ने जीता हुआ मैच हरा दिया।
वैसे अभी यह एसएमएस बना काफी पहले कपिल देव, रवि शास्त्री ओर अन्य पुराने प्येयरों को लेकर नायकर की मिमिक्री आ चुकी है।
उस समय धोनी शायद पैदा भी नहीं हुआ था।
खेल खेल में मेल :)
कोई बात नहीं . अब छाछ भी फूंक कर पिएंगे
Bharat me cricket junoon hai isliye hum istarah ke comment dete hai.vernq desh me kai khel khele jate hai jiske harne jitne se hamaari bhavna ko koi fark nahi parta.aisa lagta hai ki hum pehle se maan chuke hai ki hum harenge hi!!!!
ये लोगो की बेवकूफी के सिवा कुछ नहीं है
और भी गम है ज़माने में क्रिकेट के सिवा
क्रिकेट की सिर्फ एक ही बात जो मुझे पसंद आती है वो ये है की जब ऐसे मैच होते हैं तो देश हिंदू -मुस्लिम, बिहारी-मराठी, उंच- नीच की गन्दगी से ऊपर उठ जाता है और हर क्रिकेट भक्त सिर्फ हिन्दुस्तानी बन जाता है और हारने पर तो ये हिंदुस्तानियत और ज्यादा समय तक टिकी रहती है
कुछ लिखने की कोशिश की थी कुछ दिन पहले
http://antarawaj.blogspot.com/2011/02/blog-post_19.html
चाहे राज्य सरकार बनाये या केन्द्र सरकार बनाये,विकास तो बस्तर का हो ही रहा है ना?और फ़िर नक्सलियों की लड़ाई भी तो इसी बात की है कि वंहा विकास नही हुआ है।एक और कहते हैं विकास नही हुआ और दूसरी ओर विकास के तमाम रास्तों पर बारूदी सुरंग बिछा रहे हैं,आखिर उनके विकास की परिभाषा है क्या?ये तो समझ में आये,मुझे तो समझ में नही आया इस तरह मशीनों को जलाना और स्कूल,अस्पतालों को उड़ाना?आपको क्या लगता है?mili juli sarkar....rajya ki aur naxalvadiyon ki......
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