Saturday, May 21, 2011
जितना बुरा होता है,वो अच्छे लोगों के साथ ही क्यों होता है?
कल भरी दोपहरी कुछ काम किया और लगभग चार बज़े थोड़ा फ़ुरसत मिली।पांच बज़े भिलाई जाना था।एक घण्टे का समय मेरे पास था सो कचहरी के पास से अपने वकील दोस्त दिलीप क्षत्रे को फोन लगायाम्वो भी खाली ही बैठा था।उसने बुला लिया और वंहा पार्किंग की समस्या को ध्यान में रख कर कार दूर ही पार्क की और पैदल ही निकल पड़ा।सालों बाद,पहली बार लगा कि सूरज में अब भी वही दम है और हम लोग सुविधाभोगी होने के कारण बेहद कमज़ोर हो गये हैं।पसीना सारे शरीर पर ठण्ड़ी-ठ्ण्ड़ी लकीरें बनाता जा रहा था,अगर पसीना रंगीन होता तो मेरा शरीर ज़रुर मेरे नन्हे भतीजे की ड्राइंग कापी का फ़टा हुआ पन्ना नज़र आता।खुद को गालियां बकता हांफ़ते-हांफ़ते दिलीप के पास पंहुचा।कुछ इधर की और कुछ उधर की हांकने के बाद उसे अपनी नई स्फ़टिक की माला दे दी।उसने भी माला अपने हाथ में ली और पता नही आंखे बंद करके उसे कैसे चार्ज किया।मैने भी पूरे विश्वास के साथ उस माला को धारण किया और वापस हो गया किसी अच्छी खबर की उम्मीद से। पसीने ने एक बार फ़िर शरीर पर रिवर सिस्टम का डायग्राम बनाना शुरू कर दिया था।मैं कचहरी के गेट के पास ही पंहुचा था कि सामने खड़ी एक स्कार्पियो की ड्राईविंग सीट पर बैठा शख्स नीचे उतरा और उसी के साथ ही दूसरी तरफ़ से बैठ रहा शख्स भी वापस उतर गया।दोनो ही मेरे अच्छे मित्र हैं।दोनो ने अपने अपने दरवाज़े बंद कर दिये थे लेकिन मुझे अंदाज़ हो गया था कि कोई अंदर बैठा है।मैने दोनो से पूछा,कैसे?तुम लोग कचहरी मे कैसे?दोनो के पास कोई जवाब ही नही था शायद।उनमे से जयजीत ने कहा कि देवा को लाये हैं,और सुबीर ने कहा कि उसकी कुछ फ़ारमेलिटी रह गई थी उसे पूरा कराना ज़रुरी था,इसलिये यंहा आये है? मेरे मन में फ़ौरन आशंका का तूफ़ान उठा।देवा यानी देवाशिष।मेरा स्कूल का जूनियर और कालेज का भी।वो डायबीटिज़ का काफ़ी पहले शिकार हो गया था।देवा खाने का बेहद शौकिन खासकर नान-वेज का।देवा खाना खाने के बाद बुज़ुर्ग बंगालियों की तरह शर्त लगाकर रसगुल्ले फ़ांकते जाने वाला देवा।देवा जो भ्रष्टाचार के जंगल मे भी सालों रहकर खुद को बेदाग बचाने मे सफ़ल रहा था।देवा जो सिस्टम को फ़ालो करने की सलाह देते ही भड़क जाता था।देवा जो बढिया से बढिया मलाईदार पोस्टिंग को ठुकरा कर लूप लाईन में ही पड़ा रहना पसंद करता था।देवा जो स्कूल से लेकर कालेज तक़ अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराने मे सफ़ल रह्ता था।देवा जो जूनियर होने के बाद भी किसी भी गंभीर से लेकर बकवास विषय पर बराबरी से हिस्सा लेता था और हमेशा टक्कर देता था।देवा जिसके नाम में ही देवों का आशिष था। मगर देवा को जिस हालत में मैने देखा,मुझे नही लगा कि किसी भी देव का आशिष उसे मिला हो।एक बेहद ईमानदार फ़ारेस्ट रेंजर की बेबसी का मैं बयान भी नही कर पा रहा हूं।उसके साथ जो सुबीर और जयजीत थे,वे भी उसी की केटेगरी के सनकी,(ऐसा उनके डिपार्टमेंट वाले कहते हैं मैं नही)हैं।जयजीत ने दरवाज़ा खोला,दे्वा जिसे सब मोटू भी कहा करते थे,अंदर बैठा था।उसने मुझे देखते ही कहा कि क्या अनिल भैया?देखो ना।और उसके बाद उसके मुंह से कोई शब्द नही निकले और मुझे तो जैसे सांप सूंघ गया था।पता नही क्या-क्या बड़बड़ाने लगा था मैं,फ़िर खुद को संभाला और देवा से कहा कि भगवान सब अच्छा ही करेंगे।तुम चिंता मत करो भगवान सब ठीक करेंगे,फ़िर तुमने तो कभी किसी का बुरा किया ही नही तो तुम्हारा बुरा कैसे होगा?बुरे तो हम लोग हैं,और हमसे भी बहुत ज्यादा बुरे लोग हैं दुनिया में।तुम तो अचछे हो,तुम्हारे साथ अच्छा ही होगा। मैं कह तो रहा था मगर मेरी ज़ुबान लड्खडाने लगी थी।बोलने मे हासिल महारथ पता नही कंहा गायब हो गई थी।वो खामोश बैठा मुझे ताक़ता रहा।उसकी खमोशी और आंखे मे तैरती मायूसी सैकड़ों सवाल दाग रही थी?ऐसा लगा कि वो पूछ रहा हो अगर मैं अच्छा हूं तो फ़िर ये सब मेरे साथ ही क्यों?उसकी आंखों में उमड़ते-घुमड़ते सवालों के तूफ़ान का समान मैं नही कर पा रहा था।उसकी चिंता में सूख कर कांटा हो चुकी उसकी पत्नि बैठी थी।वो खामोशी से सब सुन रही थी और शायद मन ही मन यही दुआ कर रही थी कि जैसा भी हो जो भी हो इस आदमी के दुआ उसके पति के काम आ जाये।सुबीर ने बताया कि देवा को उसकी पत्नी डोनेट कर रही है।फ़ोर्टिस दिल्ली ले जा रहे हैं,कुछ फ़ार्मेलिटी बच गई थी वो सब पूरा कराने आये थे।मैने उनसे भरे मन से कहा निकलो और एक बार फ़िर वे देव मेरी ज़ुबान पर आ गये जिन्होने देवाशिष को कभी कोई आशिष दी ही नही थी।मैनें एक बार फ़िर कहा कि भगवान सब अच्छा करेगा। इससे ज्यादा मैं कुछ नही कह पाया और तत्काल आगे बढ गया।मुझे लगा कि मेरी और देवा दोनो की आंखों में बड़ी मुश्किल से थमे सैलाब के बह निकलने से शायद सबकी हिम्मत को धक्का लगेगा।सो मैं तेज़ कदमों से आगे निकल गया।चिलचिलाती धूप से ज्यादा मुझे देवा की नज़रों मे तैर रहे सवाल चुभ रहे थे।्जैसे वो पूछ रहा हो,अनिल भैया जब मैनें सब अच्छा ही किया तो मेरे साथ ही बुरा क्यों?मैं भी मन ही मन देवा को आशिष देने मे कजूसी करने वाले देवों से यही सवाल करते हुये ज़िंदगी की रेलमपेल मे शामिल हो गया।मैं चाह कर भी देवों कू गाली नही बक़ पा रहा था क्योंकि अभी उनसे देवा के लिये फ़िर से दुआ करनी है,मुझे विश्वास है कि उसे अपने सत्कर्मों का फ़ल ज़रूर मिलेगाओ सकता है भगवान मेरी दुआ कबूल कर ले,और अगर उसे मुझसे ज्यादा अच्चे लोगों की दुआ की ज़रुरत चाहिये तो मेरी आप लोगों से भी करबद्ध प्रार्थना है कि अच्छे इंसान देवा के अच्छे हो जाने की आप लोग भी दुआ करिये।
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17 comments:
इश्वर उन्हे जल्द ही स्वस्थ करे
मैं स्तब्ध हूं ... विश्वास रखता हूं कि, दुआंए दिल से मांगी जाएं तो खाली नही जाती, दुआ है ..ईश्वर उन्हे जल्द स्वस्थ्य करे।
देवाशीष जी को देवो का आशीष मिले .... हे भगवान् दुआ कबूल करना
मैं भी यही महसूस किया हूं अच्छे लोगो के साथ क्यो बुरा होता है। कहीं न कहीं चूक हो जाती है। शायद भगवान से , लेकिन भैय्या जो भी हो मैने एक बात पर हमेशा गौर किया है। आप बहुत ज्यादा संवेदनशील हैं। मै भी हूं लेकिन यह महसूस करने वाली बात है। मैने गौर किया है पहली बार जब आपने फोटोग्राफी के एक कार्यक्रम में स्व बंसत दिवान जी को याद किया था। आपकी आंखे नम हो गई थी। इसके बाद मै एक बार फिर गौर किया मधु भैय्या को देखकर होली में लिखा आप का ब्लांग, आप ऊपर से भले ही अपने अन्दर की कमजोरी छुपाते हो लेकिन अन्दर से आपकी संवेदनशीलता कभी दबती नहीं वह किसी न किसी बहाने बाहर आ जाती है। इसका अभास आप को भी नहीं हो पाता है।
अच्छे लोगों के साथ होने वाला बुरा ज्यादा दिखता है, जैसे उजली कमीज पर दाग.
मलाईदार पोस्टिंग पर बने रह कर सिद्धांतों पर टिके रहना कठिन होता है, लूप लाइन पर निभा लेना सहज.
हमारी दुआ उनके साथ है।
भगवान अच्छे लोगों की ही परीक्षा लेता है...
क्योंकि भगवान को मालूम होता है कि अच्छे लोग ही परीक्षा में सफल हो पाते हैं...
शुभकामनाएं देवाशीष जी को....
वो ठीक हों...
बुरे का और क्या बुरा होगा!!!!
yhi dua rhegi ki khuda unko jald hi swasth kr de...AMIN...
Allah,Ishwar ya Bhagwan hai aur vahi DEWA sahit hum sab ki pariksha leta hai.DEWA bhi es pariksha me zaroor paas honge,Unke saath sabhi achhe logo ki duayen rahengi---Aameen.
मेरी मंगलकामनायें। देवा को क्या हुआ है? उसकी पत्नी क्या डोनेट कर रही है? कुछ विस्तार से बतायेंगे?
देवा को देव अवश्य ठीक करेंगे...
जय हिंद...
ऐसे कई अच्छॆ लोगों के साथ बुरा होता देखा है, भगवान से प्रार्थना है कि देवा को जल्दी ठीक कर उन्हें अपना आशीष प्रदान करें।
मेरी दुआ आपके मित्र के साथ है।
ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान ने बुराई को शायद अच्छे लोगों के लिए ही बनाया है।
इसीलिए तो अपना पूरा राज्य दान में दे देने वाले राजा हरिश्चन्द्र को डोम का सेवक बनना पड़ा, माता-पिता की सेवा करने वाले श्रवण को पशु की मौत मिली, राम को चौदह वर्ष वन में व्यतीत करना पड़ा, दुराचारी दुर्योधन राज्य का सुख भोगते रहा और पाण्डवों को कष्टमय जीवन मिला, और आज, भ्रष्टाचारी ऐश कर रहे हैं जबकि मेहनतकश अभाव झेलते हैं।
आप्म सभी का बहुत-बहुत शुक्रिया,हो सकता है कि आप की दुआ ही देवाशिष के काम आ जाये, ॰ अनुराग जी देवा की पत्नी उसे किडनी डोनेट कर रही है,ईश्वर उसके पवित्र रिश्ते को और मज़बूती दे,उसका देवा के प्रति समर्पण शायद देवों को देव को आशिष देने पर मज़बुर कर दे।
अच्छे लोगों के साथ शायद इसलिए बुरा होता है कि वे बुरे न बनें !
फिर भी,आखिरी बाज़ी अच्छों के ही हाथ लगेगी,यकीन मानिये !
सर्वज्ञदेव ने देवा के साथ ऐसा क्यों किया इस पर कुछ कहना ईश्वरीय विधान में हस्तक्षेप होगा. हाँ ! यह अवश्य है कि ऐसे लोगों को लम्बे समय तक रहने की आवश्यकता है ...सो ईश्वर से उनके स्वास्थ्य के लिए मंगलकामनाएं .
Anil ji..jinke sath app jaise dosto ki dua hai unhe kabhi kuch nahi hoga.Dekhiyega wo jarur thek ho jaenge..Meri bhi Ishwar se prarthana hai wo jyald hi swast ho jae..Ameen
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