Tuesday, June 7, 2011
इससे अच्छा तो रिश्वतखोरी को भी टैक्स पटा्ने पर वैध घोषित कर दो,जैसे आयकर चोरी को किया हुआ!
सरकार को देख रहा हूं,बहुत परेशान हो गई है भ्रष्टाचार के नाम से।जो देखो ऐरा-गैरा नत्थू खैरा मुंह उठा कर पेल रहा है सरकार को।और इस मामले में देश की भेड़चाल जनता को भी सिर उठाते देख परेशानी और बढ गई है।उसे कुचलने के लिये अंग्रेज़ो के बर्बर जनरल डायर को भी टक्कर देकर पीछे छोड़ दिया सरकार ने मगर,ये साला जन आंदोलन का जिन्न बोतल से बाहर निकल आया है और अब वो वापस जाने का नाम ही नही ले रहा है।कुछ रुदालियां छाती पीट-पीट कर रो रही हैं जैसे सच में उनका कोई सगा मर गया हो।रोने मे भी कम्पीटिशन शुरू है।एक से एक डायलाग सामने आ रहे हैं।और आरएसएस को कोसने से लेकर असीमानंद तक़ को घसीटा जा रहा है।कई बार तो लगने लगा कि ये आंदोलन शायद हिंदू है और भ्रष्टाचार अल्पसंख्यक।भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आंदोलन को अगर रुदालियां साम्प्रदायिक ताक़तों का जमावाडा कहेंगी तो यही नई परिभाषा सामने आती है। खैर इसमे कोई बुराई भी नही है,हर कोई मैच जीतना चाहता है,और वो अपनी टीम के बेहतर से भी बेहतर खेल दिखाने की कोशिश कर रहा है।मगर अफ़सोस की बात है कि ये मैच फ़ुटबाल का है और जनता बेचारी कभी इस पाले में तो कभी उस पाले में नज़र आ रही है।दोनो ओर से उसे जमकर किक किया जा रहा है और वो बेचारी उफ़ भी नही कर पा रही है।बस गरीब की फ़ुटबाल हो गई है।कई जगह से पंक्चर बन चुके है और अब तो बारी गेटर लगाने की आ गई है। सारे देश मे एक अजीब सा तमाशा चल रहा है।हमारी जात वालों की तो हालत और खराब है।भूखे सांप सी हालत है छ्छूंदर को न छोड़ पा रहे हैं और ना निगल पा रहे हैं।छोड़ते हैं तो टीआरपी चली जायेगी और पकड़े रह्ते है तो भारत निर्माण के सहभागी ज्यादा दिनो तक़ रह पायेंगे।और फ़िर सरकार,उसने तो रात को उनके सामने ही पब्लिक को पीट कर ये जता दिया है कि ज्यादा इतराओ मत उनकी परवाह नही है किसी को और फ़िर आज इनकी तो कल तुम्हारी बारी है।फ़िर सेल्फ़ रेग्यूलेटरी बिल का भूत तो है ही डराने के लिये। खैर जाने दिजीये।सब कुछ बताना ज़रूरी नही है।राजेश खन्ना सालों पहली रोटी के लिये गाना गा चुके है ये तो पब्लिक है,सब जानती है। इसलिये सीधे मुद्दे की बात पर ही आया जाये।दुनिया भर की परेशानी,और रोज़ रोज़ की किरकिरी को देखते हुये सरकार को चाहिये कि एकाध बिल लाकर रिश्वतखोरी को एक निश्चित राशी बतौर टैक्स पटाने पर वैध घोषित कर दे।इससे कोई फ़र्क़ नही पड़ने वाला है सभी खुश हो जायेंगे।भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आवाज़ उठा रहे लोगों को रेल कि टिकट ब्लैक मे लेने पर भ्रष्ट राजा और कलमाड़ी,मधु कोड़ा,कन्नीमोज़ी जैसे शारीफ़ लोगों के बराबर ठहराने की जी तोड़ कोशिश करने वालों को भी राहत मिल जायेगी।दोनो और के कागज़ी शेरों को बेवजह अपने ही बिल मे बैठे-बैठे गरज़ने से मुक्ति मिल जायेगी।आरएसएस वाले भी खुश हो जायेंगे कि चलो झंझट बंद हुई वरना क्या भरोसा कोई नई नई रुदाली फ़िर से गोड़से को खींच लाये,कोई गोधरा तो दिल्ली के दंगो पर दंगल मचा दे। और फ़िर इसमे बुराई भी क्या है?क्या सि देश मे लाखों-करोड़ों रुपये की आयकर चोरी करने वालों को कभी कोई सज़ा हुई है?क्या करोड़ो की आय कर की चोरी पकड़ाने के बाद उससे आय सरेंडर करा कर उसकी काली कमाई को सफ़ेद करने का काला धंधा नही चल रहा है।वो भी तो काला धन ही है।और फ़िर इससे एक फ़ायदा और भी है कि काला धन विदेशों से वापस लाने -लेजाने का झंझट ही नही रहेगा।क्योंकि जब यंही ब्लैक का व्हाईट हो जायेगा तो कौन मूर्ख विदेश मे जमा करायेगा।फ़िर इसी बहाने काला धन सफ़ेद होकर बाहर आयेगा और चमचायेगा।नेता भी खुश,जनता भी खुश,बाबा भी खुश और सरकार की परेशानी भी दूर्ओ सकता है कि इस सुझाव मे कंही कोई कमी रह गई हो तो मैं सभी सुधी पाठकों से सरकार और भ्रष्टाचार के हित मे और ठोस सुझाव चाहूंगा ताकी जल्द से जल्द इस नौटंकी से देश को मुक्ति मिले।और भी कई गम है ग़ालिब भ्रष्टाचार के सिवाय।
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11 comments:
क्या बात कही है.. हैट्स आफ...
बहुत सटीक बात कह गये आप: और भी कई गम है ग़ालिब भ्रष्टाचार के सिवाय।
बड़ी ही कठिन राह से गुजर रहा है देश।
ऐसा चिदमबरम ने सुंयक्त मोर्चा सरकार के समय किया था| वीडीआईएस| कुछ खास फर्क नहीं पड़ा| प्रश्न सिर्फ टैक्स चोरी का नहीं है| गलत ढंग से कमाए गए धन का स्रोत भी पता चलना चाहिए ताकि गलत कामों को रोका जा सके|
क्या ए. राजा ने जितना भ्रष्टाचार किया है उस पैसे पर टैक्स लेकर उसे छोड़ा जा सकता है? सरकार को टैक्स मिल जाएगा| लेकिन अनुचित कार्यों की सजा से राजा बच जाएगा| फिर तो खुल्लम खुल्ला लूटो और बाद में टैक्स दे दो, यानी अपनी चोरी का थोड़ा हिस्सा सरकार को दे दो|
हितेन्द्र भाई कटाक्ष किया है मैने सरकार पर,जरा भावनाओं को समझो भाई।
आपकी सलाह नेक है और समयोचित भी ऐसा टैक्स वसूलने वाली सरकार के पास अपार पैसा फ़िर से आ जायेगा आम के आम गुठली खर्चा करने जायेंगे तो फ़िर उसमे से कमीशन का आम मिलना ही है ।
'इस सुझाव मे कंही कोई कमी रह गई हो तो मैं सभी सुधी पाठकों से सरकार और भ्रष्टाचार के हित मे और ठोस सुझाव चाहूंगा ताकी जल्द से जल्द इस नौटंकी से देश को मुक्ति मिले'
कैसी बात करते हैं आप!अपना मौलिक विचार हम यूँ ही जग जाहिर कर देंगे? पेटेंट करेंगे, कौपीराईट मिलेगा तब बताएँगे.
तब तक देश आपके विचारों से भी बढ़िया तरीके से कम चला सकता है.:)सही लिखा है आपने.किन्तु हम अभी भी आशावान हैं.कुछ न् कुछ तो हो ही जाएगा हजार दो हजार सालों में.
घुघूती बासूती
टैक्स बसूल के समय भी लेने के देने पड जायेंगे ! क्यों की मामला टैक्स बचाने का है ! बहुत बढ़िया लिखा !
sarkaar samajh jaegi kya.......dada sarkaar kuchh bhi samajhna nahi chahti....baharhaal is chintniya post hit saadhuwaad swikaren...
भैया, आपने तो कटाक्ष ही किया है :-)| क्या करें जहां मौक़ा मिले इस चोर-सरकार पर गुस्सा निकालने का जी करता है|
भैया, आपने तो कटाक्ष ही किया है :-)| क्या करें जहां मौक़ा मिले इस चोर-सरकार पर गुस्सा निकालने का जी करता है|
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