राजा कह रहा लोगों से कि मैं सच में राजा हुं,मुझमें बहुत ताक़त है,मुझे कमज़ोर मत समझना!बात कुछ हज़म नही हुई!
राजा कह रहा लोगों से कि मैं सच में राजा हुं,मुझमें बहुत ताक़त है,मुझे कमज़ोर मत समझना!बात कुछ हज़म नही हुई!आखिर ज़रूरत ही क्यों पड़ी एक राजा को ये बताने की,कि वो ही राजा है।अगर कोई राजा ये कह्ता फ़िर्रे कि वो सबको नचाता है तो समझ मे आता है लेकिन अगर वो ये कहे कि उसे कोई नही नचा रहा है,तो बात कुछ हज़म नही होती।
आनन-फ़ानन देश भर के हज़ारों अखबारों मे से गिनती के आधा दर्ज़न से भी कम के अपने समान राजाओं को बुलाकर ये कहना कि प्रजा को बता दो कि मैं ही असली राजा हूं,कंही से भी जायज नही लगता।अगर अपनी ताक़त की नुमाईश करनी भी थी तो सभी राजाओं या अधिकांश राजाओं के सामने करते तो किसी को कहने का मौका भी नही मिलता।अब इसे कोई क्या कहे कि बंद कमरे में विज्ञापन की नोक पर तो कुछ भी लिखवाया जा सकता है।और फ़िर अगर ज़रूरी ही था तो सिर्फ़ अपने जैसों को ही क्यों बुलाया गया,बाकी को क्यों नही।
फ़िर सच को जस का तस लिखने का दावा तो कभी भी खरा नही होता ,लेकिन सच को जस का तस यानी लाईव दिखाने वाले भी तो हैं इस देश में उन्हे क्यों नही बुलाया गया?क्योंकि लाईव में कोई एड़िटिंग नही हो सकती इसलिये?उन लोगों को बुलाया जिनसे बात कुछ भी करो,छपेगा प्रेस नोट ही,इस बात की गारंटी रहती है। फ़िर आपकी ताक़त की नुमाईश के साथ-साथ एक और खबर ने राजा की ब्रीफ़ की गई खबर की पोल खोल दी। राजा अपनी इमेज बिल्डिंग प्रोसेस पर करोड़ो रूपये खर्च करने वाले हैं,इस खबर का राजा के शक्ति प्रदर्शन के साथ ही सामने आना किस बात का संकेत है।इस बात का कि राजा के गुण गायेगा,वही माल उड़ायेगा।एडवांस बुकिंग शुरू।कुछ को मिल गया और कुछ को और मिलेगा।सीमित लोगों के लिये बाकी।पहले आओ-पहले पाओ।सिर्फ़ राजा का गाओ,बाबा का भजन मत सुनाओ।
इतने सालों में एक बार भी दरबारियों की ज़रुरत ही नही पड़ी थी दरबारी टाईप राजाजी को।अब क्यो ज़रुरत पड़ गई है?इसलिये कि पन्द्रह अगस्त को झण्डा-वंदन के सरकारी कार्यक्रम के साथ-साथ दूसरी आज़ादी के प्राईवेट आयोजन की घोषणा हो गई है।क्या उस आयोजन को फ़ेल करने और बाबा और अन्ना से ज्यादा ताक़तवर हूं,ये बताने के लिये हो रहा है तमाम ड्रामा?और सही भी है उनकी पब्लिसिटी रोक तो नही सकते,कम से कम अपनी ही बढा लो।फ़िर कितनी बार पुलिस के सहारे जनता को कुचलोगे?अगर जनता पलट गई तो? मान गये राजा जी,आप ताक़तवर हो या नही ये तो नही पता चला,आप कठपुतली हो या नही ये भी नही पता चला,हां मगर ये ज़रूर पता चल गया कि कोई आप से भी ताक़तवर सामने आ रहा है।जनता जनार्दन की बढती ताक़त को कम तो नही दिखा सकते सो अब चिल्लाओ मैं ताक़तवर हूं,मैं कठपुतली नही हूं।जनता सब जानती है,आपको भी और आपका गाना गाने वालों को भी।
10 comments:
ज्यादा चीखने की जरूरत उसे ही होती है जो वास्तव में कमजोर हो। पुराने जमाने में राजा महाराजा ये काम चारण-भाण्डॊं से करवाते थे, उनकी स्तुतियां गवाते थे। अब सम्पादक भाण्ड बन कर यही कामकर रहे हैं।
:)
सहमत हूं आपसे नाहर जी,शत प्रतिशत्।
कहना पडता है।
राजा की रज़ा मायने रखती है।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा कल शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!
यह राजा पक्का झुठा हे, कमजॊर हे... ओर अपनी कमजोरिया छुपाने के लिये अब झुठ भी बोल रहा हे
BHAIYA... YOU described the naked truth. superb post.
SANJAY VARMA
ये अपने प्रचार मे कितना भी खर्च कर ले पढ़े लिखे लोग ही पढ़ेंगे और उन पर कोई असर होने वाला नही है
मान गये राजा जी,आप ताक़तवर हो या नही ये तो नही पता चला,आप कठपुतली हो या नही ये भी नही पता चला,हां मगर ये ज़रूर पता चल गया कि कोई आप से भी ताक़तवर सामने आ रहा है।जनता जनार्दन की बढती ताक़त को कम तो नही दिखा सकते सो अब चिल्लाओ मैं ताक़तवर हूं,मैं कठपुतली नही हूं।जनता सब जानती है,आपको भी और आपका गाना गाने वालों को भी
बहुत सुन्दर लिखा है आपने मज़ा आ गया... बधाई
हां मगर ये ज़रूर पता चल गया कि कोई आप से भी ताक़तवर सामने आ रहा है ... जब कोई कमज़ोर होता है वही ढोल पीटता है की मुझमे ताकत है ...
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