Thursday, July 21, 2011

कांग्रेसियों पर हमला हुआ तो छत्तीसगढ में राष्ट्रपति शासन चाहिये और मुम्बई में आतंकवादियों का हमला हुआ तो?

छत्तीसगढ में एक बार फ़िर नकसलियों ने वारदात की है।चार लोगों की मौत हो गई है और दर्ज़न भर घायल हुये हैं।इस वारदात के बाद सवाल ये भी उठता है कि अगर नक्सली कांग्रेस नेताओं पर हमला करना चाह्ते थे तो गाड़ियों के काफ़िले के बीच चल रही सरकारी गाड़ी को उन्होने क्यों उड़ाया?क्या उन्हे पता था कि सरकारी गाड़ी भी काफ़िले में चल रही है?और अगर हां उन्हे ये पता था तो  उन्हे ये भी पत होगा कि किस गाड़ी में कौन नेता बैठा है?फ़िर उन्होने नेताओं की गाड़ी छोड़ सरकारी गाड़ी को ही निशाना क्यों बनाया?                                                              खैर जाने दिजीये।ये नक्सलियों की मर्ज़ी है किसे भुने,किसे चुने,और किसे बख्शे।लेकिन इस वारदात के तत्काल बाद कांग्रेस के रविंद्र चौबे ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की मांग कर डाली है।यानी कांग्रेस पर हमला हुआ तो स्थिति इतनी बिगड़ गई।चार लोगों की मौत हुई है और राष्ट्रपति शासन की मांग उठ गई।और मुम्बई में हुये हमले में तो कई गुना ज्यादा लोगों की जानें गई तो वंहा कौन सा शासन लगाना चाहिये इस बारे में शायद ही कुछ बोल पाये कोई।                                                                                                                                                                अफ़सोस की बात है कि नक्सल जैसी गंभीर समस्या पर भी कांग्रेस राजनीति से बाज़ नही आती।उन्ही की पार्टी के नेता महेन्द्र कर्मा आदिवासियों के नक्सल विरोधी सलवा-जुडुम के घोर समर्थक थे तो बाकी कांग्रेसी उनका विरोध करने से नही चूकते थे।ये प्रदेश सबका है और सिर्फ़ नक्सलियों के मामले एकजुट होकर लड़कर सारे देश में मिसाल कायम करने की बजाय,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तो बाकायदा बस्तर को अलग राज्य बनाने की मांग ऊठने पर उसका समर्थन करने की बात कहकर एक नई समस्या के बीज़ बोने से पीछे नही हटे।                 अब तो उनके ही काफ़िले पर हमला कर दिया है नक्सलियों ने।अब क्या कहेंगे?इस बार तो हमला रायपुर ज़िलें मे हुआ है।तो क्या रायपुर को भी अलग राज्य बनाने की मांग का समर्थन करेंगे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल?                                                                                                                                                 पूर्व डीजीपी विश्वरंज़न पर हमेशा आरोप लगाते रहने के बाद उन्हे हटाये जाने के कदम का स्वागत करने वाले कांग्रेस के नेताओं अब किस पर आरोप लगायेंगे?विश्वरंजन के हटने के एक सप्ताह के भीतर ही नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफ़िले पर हमला कर दिया।दरअसल जिस इलाके में हमला किया गया है उस इलाके में हीरे और एलेक्ज़ेंड्राईट की खदाने हैं और नक्सली उस इलाके मे किसी की भी आमद पसंद नही करते।वे उस इलाके पर अपना एकाधिकार चाहते हैं,अन्य कमाऊ और उपजाऊ इलाकों की तरह।उनका ना कोई धर्म है और ना कोई मक्सद्।उनकी ना कोई विचारधारा है और ना ही कोई उद्देश्य्।बस भटका हुआ एक गिरोह है जो अब लूट-पाट पर विश्वास करता है।

8 comments:

abhishek verma said...

anil ji,
it seems that you only go
after congress in this blog.can you explain why is it so?
anyone who will go through your blog can conclude that you are clearly biased.putting bluntly you are not nuetral.
why journalists of chhattisgarh do not find anything wrong with bjp govt.
it seems chhattisgarh journalists have decided on an agenda to support bjp .why do you people write like you
are sold out.may be that is why
you get elected by writing the bjp line.all your blog entries reflect that.moreover if this comment is moderated out it will
proove my point.

Ratan Singh Shekhawat said...

इन कांग्रेसियों को सिर्फ राजनीती से मतलब है भाड़ में जाये देश व देश की समस्याएँ |
way4host

अमिताभ said...

ये जो अभिषेक भैया हैं, ये कोई कांग्रेस के प्रवक्ता तो नहीं. सच्चाई लिख दी तो खिसिया गये. बात यह हो रही है कि मुम्बई हमले में इस्तीफा मांगना चाहिये कि नहीं. उसका जबाव न देकर लूप लाइन पर चले गये. जय हो अभिषेक जी की. या यह हो सकता है कि अभिषेक जी भी दिग्विजय जी की तरह जानते हों कि हमला किसने किया है, या फिर मुम्बई हमले को यह एक धर्मनिरपेक्ष हमला मानते होंगे.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

तब तो उन्हें ३१ महीने तक विस्फोटों को रोके रखने की बात याद आती है, और तो और सारे देश को भी वे याद दिलाते हैं...
फिर भी आतंकी गतिविधि हर स्तर पर निंदनीय है...

Arunesh c dave said...

आठ साल तक कांग्र्सियो पर कोई हमला न हुआ 99% हमले रोके जा सकते हैं 1% की संभावना तो बनी ही रहती है । खुफ़िया विफ़लता नही है ऐसी कोई सूचना ही नही थी बड़े गुप्त तरीके से काम किया नक्सलियों ने । और आखिर मे


सालो इतनी बार सही निशाना लगाते हो कामचोर नकारे इस बार लगा लेते तो तुम्हारे बाप का क्या जाता

Anil Pusadkar said...

arunesh ye bhi sale afzal guru ke bhai hi hain,sirf janta kohi marenge.

Banti Nihal said...

भैया जी, आपने बहुत ही अच्छा लिखा है. एक दुसरे से राजनीती के बजाए आज सभी को एकजुट होकर इस गंभीर मुद्दे का सामना मिलजुलकर करना चाहिए.
आदरणीय एक अपना बहुमूल्य समय मे से मेरे ब्लॉग - http://bantinihal.blogspot.com/ के लिए थोडा समय निकल कर मुझे मार्ग दर्शन देने की कृपा करे शुक्रिया

Udan Tashtari said...

भटका हुआ एक गिरोह....एकदम यही मै कहना चाहता हूँ...