मेरी पहली किताब,"क्यों जाऊं बस्तर?मरने"छपकर तैयार हो गई है।
मेरी पहली किताब छप कर आ गई है.किताब का शीर्षक है क्यों जाउं बस्तर?मरने!किताब में ढेरों सवाल है,व्यवस्था पर,सरकार पर,मीडिया पर और मानवाधिकार पर भी सवाल उठाये गये हैं.किताब में बस्तर का नक्सलवाद और उससे जूझते पुलिस वालों की स्थिती का हाल सामने रखा गया है.किताब में है क्या ये तो पढने पर ही पता चलेगा.विमोचन की तैयारी शुरु है तारीख तय होते ही आप सब को बताऊंगा और निमंत्रण भी दूंगा.फिलहाल किताब का कव्हर सबके सामने रख रहा हूं.कैसा लगा आपको राय जरुर दिजियेगा.
18 comments:
एक ही सिक्के के दो पहलू .
व्यग्रता से प्रतीक्षा रहेगी, अतिशय बधाईयाँ
बधाई. पूरी पुस्तक इंटरनेट पर पठन-पाठन के लिए रखें तो उत्तम.
यदि कोई समस्या हो तो -
इसकी पेजमेकर फाइल मुझे भेजें. इसे यूनिकोड में बदल कर तथा इसकी पीडीएफ ईबुक बनाकर इंटरनेट पर भी प्रकाशित करेंगे ताकि दुनिया भर के लोग अंदर की असलियत पढ़ सकें.
UN LOGO KA HAL BHI RAKHE JO BASTAR SE NAHI ANA CHAHATE.
SOME POLICE OFFICERS DO NOT WANT ANY KIND OF CHANGE ..IN THE FORM OF TRANSFER OR PUNISHMENT, WHY? PLEASE DROP SOME WORDS.
किताब छपने की बधाई!
कवर पेज अच्छा है।
विमोचन का हमें भी इंतजार है। किताब का भी! :)
बधाई हो!
कव्हर ही बहुत कुछ कह रहा है,आकर्षक है।
शुभकामनाएं एवं बधाई
हमारी टिप्पणी माडरेशन में अटकी है या स्पैम में ?
बहुत बधाई।
हम फेसबुक से होकर इधर आए हैं:)
Ratlami ji ki baat se sehmat hun bhaiya....
वाह जी बहुत बढ़िया. कवर अकार्ष्रक है. शुभकामनाएं.
बहुत बधाई अनिल भाई, कवर तो बेहतरीन है, दास्तां को बयां करता हुआ ।
अनिल जी, विमोचन तो कायदे से दिल्ली में होना चाहिए। बताइये, करें तैयारी।
अजय शर्मा, नई दिल्ली
अनिल भाई,
बहुत बहुत बधाई, बाकी अजय शर्मा जी की बात को मेरा अनुमोदन...विमोचन तो दिल्ली मे ंही होना चाहिए...
जय हिंद...
बधाई हो भैया।
विमोचन की तारीख का इंतजार है अब बस।
बधाई ढेर सारी!
जय जय रवि जी की सलाह से सर्वसुलभ हो सकेगी?
किताब छपने की बधाई!
कवर पेज अच्छा है।
विमोचन का हमें भी इंतजार है। किताब का भी!
hkk
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