कितनी संस्थायें बनाओगे?कितने नाटक करोगे?कितने पाखण्ड करोगे?ये सब करते रहोगे तो आतंकवाद से कब लडोगे?
कमाल है आतंकवाद से लडने के लिये बनाया है एनसीटीसी और उसके बनने के पहले ही आपस में लड रही है राजनैतिक पार्टियां.और लडाई काहे के लिये अपने हक़ के लिये.देश का किसी को खयाल ही नही.और फिर वैसे भी आंतकवाद से लडने के लिये कानून की नही इच्छाशक़्ती की जरुरत होती है.अमेरिका से कानून की नकल कर रहे हैं,अरे नकल करना ही था तो उसकी बदला लेने की भावना का करना था.कितने कानून बनाओगे?कितनी संस्थायें बनाओगे?कितने नाटक करोगे?कितने पाखण्ड करोगे?ये सब करते रहोगे तो आतंकवाद से कब लडोगे?
2 comments:
टाडा और पोटा तो खत्म कर दिया तो फिर अब इस की क्या जरूरत आ गई. गुजकोका पर आजतक चुप्पी है.
कानून तो थे ना टाडा और पोटा पर क्या हुआ । कानून होना या संस्था होना काफी नही है उसका कारगर होना जरूरी है ।
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