Friday, July 31, 2015
जन्म दिन आता है और ये बता कर चला जाता हैकि ज़िंदगी का एक और बेहतरीन साल खर्च हो गया।
अभी अभी एक करीबी रिश्तेदार ने बताया कि कि 12 बज़ गये है और गुरु पूर्णिमा शुरु हो गई है।उसके बाद बधाई भी मिल गई गुरु पूर्णिमा की और साथ में जन्म दिन की भी।दरअसल आई यानी माताजी शुरु से ही अंग्रेज़ी तारीख याद करने की बजाये तिथी के अनुसार गुरु पूर्णिमा को मेरे जन्म दिन के रुप में ही याद रखती आ रही है और सालों से बिना नागा इसी दिन तिलक लगाकर जन्म दिन मना लेती है।उनसे कैलेण्डर की बात कहो तो बस एक ही जवाब मुझे तिथी के अनुसार यही दिन याद रहता है।कल भी सुबह आई तिलक लगायेगी और एकाध नोट पकडायेगी खर्चे के लिये या पार्टी के लिये।ज़माने के लिये मैं कितना भी बडा हो जाऊं,उनके लिये तो आज भी छोटा सा बच्चा ही हूं।सच मां तो मां होती है,मेरी दुनिया है मां तेरे आंचल में।बचपन में खुराफ़ाती होने के कारण आये दिन मार खाने की नौबत आती थी,तब आई का आंचल ही बचने के काम आता था।बाऊजी जब भी पीटने के लिये उठते थे आई ही ढल बन कर सामने आती थी और आज भी शायद हर संकट में उनकी दुआयें ही ढाल बनकर रक्षा करती है।आई के आशीर्वाद के साथ कल का दिन शुरु होगा।जन्म दिन आता है और ये बता कर चला जाता हैकि ज़िंदगी का एक और बेहतरीन साल खर्च हो गया।
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