Saturday, August 1, 2015

नदी/नाले/पहाड/जंगल सबके सब हरे/भगवा में बंट जायेंगे?आखिर किस दिशा में ले जा रहे हैं देश को ये बहसबाज़?

लो अब बहस के लिये लेटेस्ट तापिक ले आये हैं देश के स्वयंभू ठेकेदार टीवी चैनल वाले.आतंकवाद में जातिवाद ढूंढ रहे है.हदहै मूर्खता की.विभाजन के बाद पैदा हुई जातिवाद की खाई को पाटने की बजाये वोट लूटने वालो ने खोद खोद कर उसे और गहरा कर दिया है.और अब उस खाई को और गहरा कर रहे है टीआरपी के लिये गर्मागरम बहस करने वाले.आतंकवाद की जात पर बहस हो रही है.हिंदू आतंकवाद,मुस्लिम आतंकवाद भला ये बहस साम्प्रदायिक सद्भाव बढायेगी या ज़हर घोलेगी?क्या आने वाले दिनो में भूख भी हिंदू या मुस्लिम हो जायेगी?बेरोजगारी अल्पसंख्यक/बहुसंख्यक हो जायेगी?गरीबी सवर्ण/दलित हो जायेगी?नदी/नाले/पहाड/जंगल सबके सब हरे/भगवा में बंट जायेंगे?आखिर किस दिशा में ले जा रहे हैं देश को ये बहसबाज़?क्यों इस तरह के भडकाऊ/ज़हरीले बयानो का बहिष्कार नही किया जाता?क्यों बंद कमरे में एक माईक आईडी पर उगला गया जातिवाद का ज़हर बहस के जरिये सारे देश में फैलाया जा रहा है.इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिये,ऎसे बकवास करने वाले नेताओं का बहिष्कार होना चाहिये,और उसके प्रसारण से अशांति की आग को हवा देने वालो का भी.हद है आज़ादी के इतने सालो बाद भी हम आज भी जातिवाद पर ही अटके हुयें है,क्या इसी का नाम तरक़्क़ी है?क्या इसे ही पढा/लिखा और समझदार होना माना जा सकता है?क्या देश में जातिवाद के अलावा और कोई समस्या नही रह गई?हैरान हूं मै इस तरह की ज़हरीली बहसबाजी के खतरनाक दौर से.

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