एक छोटी सी पोस्ट बहुत कुछ कहती हुई।सुबह-सुबह एक एसएमएस मिला अंजान नम्बर से।सीधे डीलिट कर रहा था कि उस छोटे से एसएमएस को पढे बिना रहा नही गया।एसएमएस भी बहुत ही छोटा सा था।
अगर आपको रक्तदान की इच्छा हो तो,
यंहा सड़क पर मत करिये,
कृपया ब्लड बैंक मे करिये।
रोज़ सड़क हादसों की खबरों से अख़बार अटे पडे रहते हैं,रोज़ हाईवे पर खून बहने की बात सामने आती है,ऐसे मे इस एसएमएस ने बहुत कुछ सोचने पर मज़बूर कर दिया।इसे मैने डीलिट करने की बजाय फ़ारवर्ड करना शुरू किया और अब इसे आप लोगो से बांट रहा हूं।सड़को पर जितना खून हादसों मे बह जाता है उससे बहुत की जान बचाई जा सकती है।बस ज़रुरत है रफ़्तार की दिवानगी पर ब्रेक लगाने की।
29 comments:
सही है..
बिल्कुल सही !!
bilkul sahi likha hai aapne. bas thde se dhairya ki jarurat hai ki kam raftar se vehicle chalaaye. yeh soche ki tej chalana hamaari bahaaduri nahi balki accelerator kaa kamaal hai..
जितने लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं उतने तो बीमारियों से भी नहीं मरते..
एक छोटी सी पोस्ट बहुत कुछ कहती हुई।
bahut sahi farmaya
इसीलिये मै ब्लड बैंक मे ही जाता हूं
इसीलिये मै ब्लड बैंक मे ही जाता हूं
इसीलिये मै ब्लड बैंक मे ही जाता हूं
बिलकुल सही जी !!!
chhattisgarh me sadak hadso ki sankhya me baadh si aa gai hai, har roj 3-4 ghatnayein.
sadko ka haal sudharne aur 2 lane, 4 lane sadkein badhne ke baad hi aisa ho raha hai. log gati par se niyantran jyada kho rahe hain.
एक बड़ी छोटी सी बात सोचने की है। आपके आसपास अपने बचपन से कितने लोगों को आपने सिगरेट पीते देखा है? कहते हैं की तम्बाकू का सेवन करने से फेफड़े का कैंसर हो जाता है मगर अपनी ज़िन्दगी में कितनों को सिगरेट पीकर कैंसर से मरते देखा है? जिन्हें देखा है उनमे से युवा पीढ़ी के कितने थे? अब ये सोचिये कि जवानी के जोश में फुल स्पीड में मोटरसाइकल चलाते हुए एक्सिडेंट की घटनाएँ और उससे युवाओं की मौत का कितना उदहारण आप दे सकते हैं। बस सोचिये और फिर ये भी सोचिये कि तम्बाकू उन्मूलन कार्यक्रम के लिए हम और सर्कार दोनों परेशां हैं मगर रोड एक्सिडेंट की तरफ किसी का ध्यान क्यूँ नहीं जाता?
"बस ज़रुरत है रफ़्तार की दिवानगी पर ब्रेक लगाने की।"
कह तो आप सही रहे हैं किन्तु देखने में तो यही आता है कि ब्रेक लगने के स्थान पर दीवानगी दिनों दिन बढ़ते ही जा रही है।
कई बार कम शब्दों में पूरे लेख की बात हो जाती है अनिल भाई !
कई बार कम शब्दों में पूरे लेख की बात हो जाती है अनिल भाई !
एकदम सही बात!
एस एम एस छोटा ज़रूर है पर विचार बहुत बड़ा है.
सुन्दर संदेश
रक्तदान स्वैच्छिक होता है , लेकिन सड़क पर नहीं ।
अच्छा सन्देश ।
सटीक....विचारणीय पोस्ट
speed thrills but it kills
सही एसएमएस !
जिस किसी ने भी यह संदेश लिखा है वह बहुत ही प्रतिभाशाली है उस अज्ञात व्यक्तित्व को नमन।
यह संदेश हर स्तर पर कारगर है अच्छी मुहीम चलाई है आपने अनिल भैय्या ॰॰॰॰॰
मैं तो बस इतना कहना चाहुंगा ॰॰॰॰॰॰॰॰
देश के लिये रक्त नहीं बहा सके, तो क्या
देश वासियों को ही दे दो रक्त की कुछ बूंद
यूं बिखेर राहों में रक्त कुछ ना मिलेगा
जो सुकून तुझे रक्तदान कर के मिलेगा
सांसे दे सकती है रक्तदान की दो बूंदे
इससे तेरे रक्त का, मोल तो मिलेगा
राजेश बिस्सा
यह बहुत कुछ कह गयी
अनिल भाई,
रक्तदान से बड़ा दान और कोई नहीं है...
पहले अमर उजाला में था तो वहां हर साल रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता था...सारा स्टॉफ रक्त देता था...ऐसे शिविर हर संस्थान में लगने चाहिए...होता ये है कि व्यस्तता की वजह से हम चाह कर भी खुद से ब्लड बैंक जाकर रक्तदान नहीं कर पाते...अगर ऑफिस में ही छह महीने-साल में ऐसी व्यवस्था हो जाए तो किसी को भी रक्त देने में खुशी होगी...
जय हिंद...
छात्र जीवन में मैं नियमित सालाना ब्लड डोनर हुआ करता था। कालान्तर में डक्टर मना करने लगे। अब भी पांच साल में एक बार डोनेशन हो जाता है।
आपने अच्छे विषय पर ध्यान दिलाया अनिल जी।
अगर आपको रक्तदान की इच्छा हो तो,
यंहा सड़क पर मत करिये,
कृपया ब्लड बैंक मे करिये।
बहुत अच्छा पैग़ाम है लेकिन भाई सड़कों पे खून बहने से बहुतों के पेट भरते हैं और आज पैसा ही धर्म है, ईमान है. जब तक इंसानियत नहीं होगी , सड़कों पे खून बहता रहेगा
सुन्दर एस.एम.एस. बढ़िया पोस्ट! जय हो।
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