Wednesday, February 9, 2011

पुलिस चौकी उड़ाई अच्छा किया,मगर रेल पटरियां,सामूदायिक भवन और फ़िर स्कूल इन्हे उड़ाकर क्या मिला नक्सलियों को?

नक्सलियों ने तीन राज्योम में बंद के दौरान जमकर तोड़-फ़ोड़ की।उन्होनें छत्तीसगढ में एक निर्माणाधीन पुलिस चौकी उड़ाई।झारखण्ड मे रेल पटरियां उड़ा दी और बिहार में एक सामूदायिक भवन और स्कूल को ढहा दिया।अब अगर ये कहा जाये कि उन्हे गिरफ़्तार करने वाली पुलिस की चौकी अगर नक्सलियों ने उड़ा दी तो इसे लड़ाई का एक हिस्सा मान कर कहा जा सकता है कि ठीक किया,मगर रेल पटरियां,सामूदायिक भवन और स्कूल की बिल्डिंग!इन्हे गिराना कौन सा बहादुरी का काम है?और फ़िर बार-बार ये कहना कि शोषण के खिलाफ़ उनका ये संघर्ष है,समझ से परे है?समझ में नही आता कि सामूदायिक भवन और स्कूल बनाना शोषण है या सालों से स्कूल और सामूदायिक भवन को तरसते इलाकों में स्कूल और सामूदायिक भवन को उडाना?
बहरहाल बचपन में गर्मी की छुट्टियों मे नानी के घर जाते समय रेल मे सफ़र के दौरान डिब्बों मे जगह-जगह लिखी चेतावनी आज भी याद आती है।तब भी समझ मे नही आता था कि रेल्वे की सम्पत्ति राष्ट्रीय सम्पत्ति है और उसे नुकसान पहुंचाना अपराध है।तब लोग शायद नल,बल्ब या पंखे ही चुरा पाते रहें होंगे मगर अब तो रेल पटरियां उड़ाई जा रही है,क्या ये राष्ट्रीय सम्पत्ति नही रही?क्या उन्हे नुकसान पहुंचाना राष्ट्रीय सम्पत्ति को नकसान पहुंचाना नही है?क्या उसे नुकसान पहुंचाने वाले उसे अपने राष्ट्र की सम्पत्ति नही मानते?या फ़िर वे इस राष्ट्र को ही अपना राष्ट्र नही मानते?
रेल पटरियों को उड़ाने से आखिर मिलता ही क्या है?खुदा ना खास्ता रेल पटरियों को उड़ाने की खबर ना लगे और धोके से कोई रेल उस मार्ग पर जाये तो?या उस हादसे की कल्पना करते है उन पटरियों को उड़ाने वाले?लगता है उन्हे तो मानव रक्त की गंध से प्यार हो गया है?उन्हे मानव मांस के लोथड़े देखने की आदत हो गई है? अगर ऐसा नही होता तो ये जिस भी अन्याय और शोषण की बात कर रहें है उसे मिटाने के लिये उससे ज्यादा अन्याय,शोषण और रक्तपात नही करते।

6 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

जब दिमाग में बारूद भरा हो तो हृदय भी चुप रहता है।

G.N.SHAW said...

sir phiro ke lakshan hai. inhe samajh kab aayegi...?

jayesh kavadya said...

यह लड़ाई शोषण के विरुद्ध नहीं है वरन राष्ट्र का शोषण करने का एक तरीका है I सत्ता में लोग अलग ढंग से देश का शोषण कर रहे है और सत्ता के बाहर अलग ढंग से

jayesh kavadya said...

यह लड़ाई शोषण के विरुद्ध नहीं है वरन राष्ट्र का शोषण करने का एक तरीका है I सत्ता में लोग अलग ढंग से देश का शोषण कर रहे है और सत्ता के बाहर अलग ढंग से

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

चारों तरफ मेस है..

Smart Indian said...

लगता है उन्हे तो मानव रक्त की गंध से प्यार हो गया है?उन्हे मानव मांस के लोथड़े देखने की आदत हो गई है?
सत्ता पाने का आसुरी तरीका है बस्स!