अपने देश मे क्रिकेट का बुखार फ़ैला हुआ है।जो देखो क्रिकेट की बात करता है,चाहे क्रिकेट खेला हो या नही खेला हो।फ़िर टीवी वालों के पास भी निट्ठलों की फ़ौज़ है,जो मैच खतम होने के पहले कुछ और बद मे कोई और राग आलापती है।अलग-अलग टीवी वालों के प्रचारकों मे आपस में मतैक्य ना हो तो समझ में आता है एक ही टीवी वालो की फ़ौज़ भी आपस मे कभी एक नज़र नही आता।यानी हर किसी की अपनी ढपली है और हर किसी का अपना राग है।ऐसे में मुझे भी एक पुराने क्रिकेट प्रेमी मित्र विश्वजीत का वर्ल्ड कप पर भेजा हुआ एक गीत आपसे शेयर करने का मन हुआ है,सो पेश कर रहा हूं। थोड़ा संशोधित है।
एक लड़की थी दीवानी सी,
सचिन पे वो मरती थी,
चोरी-चोरी,चुपके-चुपके,
भज्जी को खत लिखा करती थी,
आंख चुराके,थोड़ा शरमा के,
गंभीर से बाते करती थी,
ज़ुल्फ़ बिखरा के,थोड़ा मुस्कुरा के,
वीरू के गलियों से गुज़रती थी,
कहना था कुछ रैना से उसको,
पर धोनी से वो डरती थी,
जब मिलती थी युवी से ,
बस एक ही बात पूछा करती थी,
गधों कब लाओगे तुम लोग वर्ल्ड कप॥
12 comments:
ये क्या बात हुई, अंत तक पहुंचते ही मामला बदल गया..
हा हा!! बढ़िया वर्ल्ड कप का ऑफीशियल गीत कर देना चाहिये इसे.
ये एसएमएस खूब चल रहा है।
मेरे मोबाइल के इनबाक्स में भी है।
अच्छी प्रस्तुति।
सार्थक प्रस्तुति, बधाईयाँ !
झकास गीत.
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पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
अब तो ले ही आओ वर्डकप।
वाह बेहतरीन गीत है...पढ़कर मजा आया !!
भारत विश्वकप जरुर जीतेगी...!!
:)
de ghuma ke...se zyada accha geet hai apka.....ham ummed krte hain ki hamare ye gadhe WC zaroor le ayenge...
गधों कब लाओगे तुम लोग वर्ल्ड कप!
gadho pr bharosaa naa karo
gadho pr bharosa ho kyo karate ho
saara desh gadho ke bharose hi chal rha hi
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