Saturday, July 16, 2011
अब क्रिकेट की भी खैर नही!सरकारी खज़ाना लूटने के बाद अब नज़र क्रिकेट के खज़ाने पर!
जिस तरीके से क्रिकेट के मक्का लार्ड्स में एक नही तीन-तीन शतक जमाने वाले भारत के पूर्व कप्तान दिलीप वेंगसरकर को राजनीति में अंदर बाहर होते रहने वाले विलासराव देशमुख ने क्लीन बोल्ड किया है वो हैरान करने वाला नही है बल्कि संकेत है देश के लिये खेल चुके क्रिकेटरों के लिये कि अब बोरिया-बिस्तर बांध लो।राजनीति के रिजेक्टेड,सेलेक्टेड सभी टाईप के लोगों की क्रिकेट मे दिलचस्पी जाग गई है।अकेले विलास राव ही नही,लालू प्रसाद,हमारे छत्तीसगढ में इंजीनियर अजीत जोगी से लेकर डाक्टर रमन सिंह तक क्रिकेट संघ की राजनीति में घुस गये हैं।शरद पवार तो खैर अब आदर्श ही हो गये हैं।सब क्रिकेटरों को अब इस बारे में ध्यान से सोचना होगा। हो सकता है आने वाले समय में देश की क्रिकेट टीम में सिर्फ़ केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों के रिश्तेदारों को ही जगह मिले।क्रिकेट को आब आधुनिक कारू का खज़ाना समझा जा रहा है।आफ़ीशियल एमाऊण्ट अलग और अनाफ़ीशियल अलग और उस पर से सट्टा तो पूछो ही मत।हो सकता है आने वाले दिनों मे जब सारे क्रिकेट संघों पर नेता काबिज़ हो जायें तो क्रिकेट पे सट्टे को लिगल कर दिया जाये।और फ़िर अभी ये लोकपाल-जोकपाल की नज़रों मे भी नही है।कंट्रोल्ड बाई आईसीसी।हाहाहाअहाहा उसका भी हेडक्वार्टर अब ब्रिटेन से हटाकर दुबई कर दिया गया है याने सट्टे के लिये कोई प्राब्लम ही नही।लगता है इस के फ़्यूचर और अंधाधुंध कमाई के स्कोप को देखते हुये अब केंद्रीय मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक़,इसमे इंट्रेस्ट लेने लगे हैं।बताईये भला दिलीप वेंगसरकर जिसने लार्डस पर जंहा अभी सचिन भी शतक़ नही लगा सका है,जंहा शतक लगाना हर बड़े बल्लेबाज़ का सपना होता है,वंहा उसने लाईन से तीन शतक ठोके थे और लार्ड्स का बाद्शाह कहलाये थे।उन्हे क्या पता था कि फ़िल्मों के कामेडियन टाईप हीरो के बाप राजनीति में हीरो से लेकर खलनायक तक़ का रोल निभा चुके विलास राव से इस तरीके से हार जायेंगे।अभी-अभी निपटे हैं केंद्रीय मंत्रीमंडल से।कहते हैं के बिना पद का नेता भरी जवानी में विधवा हुई लडकी जैसा होता है,इसिलिये विलास राव ने मराठा-मराठा भाई-भाई का नारा लगाते हुये,अपना पद खुद ही ढूंध लिया।अब हटाकर दिखाये कोई,कंही भी जा सकते हैं,ब्लास्ट के बाद ताज़ भी,हाहाहाहाहा।अब दम है तो हटाये कोई।
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विलास राव देशमुख
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3 comments:
मेरे विचार में खेल संघों के पदाधिकारियों के चुनाव की शर्त में खिलाडी होने की शर्त भी जोडी जानी चाहिए।
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जीवन का सूत्र...
NO French Kissing Please!
जहां हड्डी की खुशबू आयेगी सारे डागी (प्रोटोकाल) वहीं नजर आयेंगे
क्रिकेट भी देश की दिशा पकड़ेगा।
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