ताब उनपर उनके जन्म दिन के अवसर पर प्रकाशित करवा कर बहती गंगा में से टीआरपी के पांच दस बैरल भर ही लूं.मटेरियल तैयार है.शीर्षक भी बडा ही धांसू टाईप का सूझा है."बापू!कमीनो ने आपको चौक चौराहों पर होर्डिंग्ज़ की तरह लटका दिया है".कैसे रहेगा भाईयो?बताईयेगा ज़रा.वैसे किताब के कुछ अंश इस प्रकार है."""बापू कल आपका हैप्पी बड्डे है। इसलिए आज आपको नहला-धुलाकर कल के लिए तैयार किया जा रहा है। आप सोचते होंगे कि आपको देश के लोग कितना प्यार करते हैं, कितना सम्मान करते हैं, जो चौक-चौराहों पर आपको बिठाकर रखा है। बापू आपको गलत फहमी है। इन कमीनों ने आपको अपनी विचारधारा बेचने के लिए और नेतागिरी की दुकान चलाने के लिए होर्डिंग की तरह इस्तेमाल किया है। आप नेताओं के लिए मॉडल से ज्यादा कुछ नहीं हैं। सॉरी बापू आपको ये खरी-खरी खराब लग रही होगी, लेकिन क्या करूँ मजबूरी में आपको बता रहा हूं।
""""""तो बापू सबसे पहले आप ईश्वर अल्लाह तेरो नाम का ही हाल जान लो। आप चिल्लाते रह गये और भगवान आपकी बात मान कर सबको सन्मति देने को तैयार भी हो गया मगर सन्मति किसी ने नही ली।सबने अपने-अपने हिसाब से ईश्वर-अल्लाह को बांट लियां केवल ईश्वर अल्लाह को बांटा बल्कि उनके नाम पर देश को भी अघोषित रूप से बांट दिया।और तो और जुम्मे-जुम्मे आठ दिन हुये पैदा हुये ब्लाग को वंहा भी बंटवारा हो गया ईश्वर-अल्लाह के नाम पर ।ये तू क्या कह रहा है?बापू ने मुझसे पूछा।सच कह रहा हूं।बड़ा शौक था ना सच सुनने का तो लो सुनो।
खुब् भजन करते थे ना,क्या सोचा था,सब समझ जायेंगे?अरे बापू ये कुत्ते की दुम है जिसे अंग्रेज़ सीधा नही कर पाये वो भला भजन से…।खैर छोडो बापू।पहले ईश्वर अल्लाह के नाम पर लफ़ड़े मेरठ,कानपुर,लखनऊ,भिवंडी,हैदराब ाद तक ही सीमित थे,मगर अब तो आपके स्टेट का अहमदाबाद भी इसमे शामिल हो गया है।इंदौर,मऊ,मालेगांव,मुम्बई और कई नये शहर टाप पर चल रहे हैं।कश्मीर का तो हाल ही मत पूछो।वंहा की हरी वादियों को लाल कर दिया गया है।इतना खून बह रहा है वंहा की चौक लाल हो गये हैं तो सड़क भी लाल है।चारो ओर खून ही खून है बापू,लाल ही लाल्।
"""""बापू खराब लग रहा है ना देश की हालत जान कर।आपके समय ज़रूर ये भूखे-नंगों का देश रहा होगा आज तो ये खूनियों-दंगों का देश हो गया है।चलिये छोडिये खून-खराबे को और क्या बताऊं?आपका दलित प्रेम बापू आजकल हाई-प्रोफ़ाईल ड्रामे मे बदल चुका है।जिन्हे आप हरि का जन कहते थे ना अब कहोगे तो बुक हो जाओगे।उन्के लिये अब आपकी ज़रूरत नही है।
"""""बापू आपका कोई बेटा इस देश का प्रधानमंत्री बना?बापू ने कहा मैने इसलिये………ये डायलागबाजी नही बापू,मैने उनकी बात बीच मे ही काट के कहा।आप तो सिर्फ़ ये बताओ कि क्या आपका कोई बेटा प्रधानमंत्री बना?नही।आपके बेटों मे से किसी का बेटा महामंत्री बना?नही।आप प्रधानमंत्री बने?नही।तो फ़िर आप ही बताओ आप असली कैसे हो सकते हैं।असली तो वो लोग हैं।पहले अम्मा जी बनी,फ़िर भैया जी बने और आप देख लेना कुछ ही दिनो की बात है बाबा भी बन जायेंगे। आखिर इस देश की जनता मूर्ख तो है नही।एकाध बार धोका हो सकता है,मगर तीसरी पीढी तक़्………।
तो कैसा रहेगा किताब का प्रकाशन,सभी चाहने वालो से उनकी बेशकिमती राय जानना चाहता हूं.
""""""तो बापू सबसे पहले आप ईश्वर अल्लाह तेरो नाम का ही हाल जान लो। आप चिल्लाते रह गये और भगवान आपकी बात मान कर सबको सन्मति देने को तैयार भी हो गया मगर सन्मति किसी ने नही ली।सबने अपने-अपने हिसाब से ईश्वर-अल्लाह को बांट लियां केवल ईश्वर अल्लाह को बांटा बल्कि उनके नाम पर देश को भी अघोषित रूप से बांट दिया।और तो और जुम्मे-जुम्मे आठ दिन हुये पैदा हुये ब्लाग को वंहा भी बंटवारा हो गया ईश्वर-अल्लाह के नाम पर ।ये तू क्या कह रहा है?बापू ने मुझसे पूछा।सच कह रहा हूं।बड़ा शौक था ना सच सुनने का तो लो सुनो।
खुब् भजन करते थे ना,क्या सोचा था,सब समझ जायेंगे?अरे बापू ये कुत्ते की दुम है जिसे अंग्रेज़ सीधा नही कर पाये वो भला भजन से…।खैर छोडो बापू।पहले ईश्वर अल्लाह के नाम पर लफ़ड़े मेरठ,कानपुर,लखनऊ,भिवंडी,हैदराब
"""""बापू खराब लग रहा है ना देश की हालत जान कर।आपके समय ज़रूर ये भूखे-नंगों का देश रहा होगा आज तो ये खूनियों-दंगों का देश हो गया है।चलिये छोडिये खून-खराबे को और क्या बताऊं?आपका दलित प्रेम बापू आजकल हाई-प्रोफ़ाईल ड्रामे मे बदल चुका है।जिन्हे आप हरि का जन कहते थे ना अब कहोगे तो बुक हो जाओगे।उन्के लिये अब आपकी ज़रूरत नही है।
"""""बापू आपका कोई बेटा इस देश का प्रधानमंत्री बना?बापू ने कहा मैने इसलिये………ये डायलागबाजी नही बापू,मैने उनकी बात बीच मे ही काट के कहा।आप तो सिर्फ़ ये बताओ कि क्या आपका कोई बेटा प्रधानमंत्री बना?नही।आपके बेटों मे से किसी का बेटा महामंत्री बना?नही।आप प्रधानमंत्री बने?नही।तो फ़िर आप ही बताओ आप असली कैसे हो सकते हैं।असली तो वो लोग हैं।पहले अम्मा जी बनी,फ़िर भैया जी बने और आप देख लेना कुछ ही दिनो की बात है बाबा भी बन जायेंगे। आखिर इस देश की जनता मूर्ख तो है नही।एकाध बार धोका हो सकता है,मगर तीसरी पीढी तक़्………।
तो कैसा रहेगा किताब का प्रकाशन,सभी चाहने वालो से उनकी बेशकिमती राय जानना चाहता हूं.
2 comments:
बापू के पुतले पता नहीं कब से त्यक्तमना हो अपमान सह रहे हैं।
बस उनके पुतले लगा कर 3 अक्तूबर को माला चठा कर इति हो जाती हे फिर हम घूसखोरी, काला बाजारी, मक्कारी चोरी चकारी करने के लिये स्वतंत्र ।
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