Tuesday, September 1, 2015

अब अचानक मुसलमानो का पिछडापन याद आ गया

पटेलों के बाद अब अचानक मुसलमानो का पिछडापन याद आ गया.आखिर ये पिछडापन अभी क्यों याद आ रहा है?क्या बिहार के चुनाव का इससे लेना देना नही है?कैसे कहा जा सकता है कि पिछडेपन का रोना चुनाव में वोटों की लूट के लिये नही रोया जा रहा है?क्यों अचानक याद आ रहा है पिछडापन पटेलों को और उसके बाद अब मुसलमानों को?पटेलों के आरक्षण आंदोलन की हवा से गुजरात को जला कर उस पर बिहार की चुनावी रोटी सेंकने की स्कीम की सफलता के संदिग्ध हो जाने पर अब अचानक मुसलमान के पिछडापन का जिन्न बोतल से बाहर आ गया?जिन्नो की बोतल खोली जा रही है और उन्ही जिन्नो को बाहर निकाला जा रहा है जिससे बिहार के चुनाव में असर पड सकता है.चुनाव के बाद ये सारे जिन्न फिर से बोतल में बंद कर दिये जायेंगे.फिर अगर मुसलमानो के पिछडापन की बात सामने लाना अगर राजनीतिक स्टंट नही है तो फिर अगर कोई हिंदूओ के बारे में बात के बारे में बात करे तो वो साम्प्रदायिक कैसे हो जाता है?क्या इस देश में पिछडापन भी हिंदू और मुस्लिम हो जायेगा,विकास भी हिन्दू या मुस्लिम हो जायेगा?क्या चुनाव में जीत हासिल करने के लिये इस तरह के हथकंडे देश को बांटने की कीमत पर भी अपनाये जा रहे है.आखिर कब तक हिंदू मुस्लिम विवाद की भट्ठी में नेता जनता जो भूनते रहेंगे?आखिर कब तक़?

3 comments:

Madabhushi Rangraj Iyengar said...

क्यों नबृहीं भाई,
इस देश में नेकताओं के लिए सब कुछ ,संभव है. जनता गरीब है, अनपढ़ है इसलिए नेता बरगलाते हैं.. सब कुछ जात पाँत की दौड़ से नापा जा रहा है...वोटों की खातिर.

जसवंत लोधी said...

बढिया लेख है ।Seetamni.blogspot.in

जसवंत लोधी said...

बढिया लेख है ।Seetamni.blogspot.in