Sunday, August 29, 2010

गुजरात जैसे उन्न्त राज्य को पछाडने वाले छत्तीसगढ को क्या अब भी पिछड़ा कहेंगे?

नक्सलवाद से बुरी तरह ग्रस्त छत्तीसगढ विकास की दौड़ मे नये-नये रिकार्ड स्थापित कर रहा है।ये हम नही,छत्तीसगढ सरकार नही बल्कि केन्द्र सरकार का सांख्यिकी विभाग कह रहा है।विकास की दौड़ मे उसने गुजरात और महाराष्ट्र जैसे उन्न्त और विकसित कहलाने वाले राज्यों को पछाड कर जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद मे देश का अव्वल राज्य होने का खिताब भी अपने नाम कर लिया है।अब शायद राज्य के विपक्ष यानी कांग्रेस के नेताओं को समझ मे आया होगा कि दिल्ली से आने वाला हर केंद्रीय मंत्री छत्तीसगढ और मुख्यमंत्री डा रमन सिंह की तारीफ़ ही क्यों करता है।

छत्तीसगढ राज्य बनने के साथ ही समस्याओं से ग्रस्त एक अति पिछ्ड़े राज्य के रूप मे पहचाना जाता रहा।शुरू के ढाई साल कांग्रेस ने शासन किया और उसके बाद जनता ने उन्हे दोबारा मौका ही नही दिया।भाजपा ने सत्ता मे आने के बाद जिस तरह विकास के मोर्चे पे काम किया उसी तरह नक्सलवाद से जूझने मे उसने कोई कसर नही छोड़ी।मुख्यमंत्री पार्टी के अंदर के छिट्पुट असंतोष के साथ-साथ केन्द्र की यूपीये सरकार और उनकी पार्टी कांग्रेस से राज्य मे एक साथ जुझते रहे।इसी बीच उनके बेहद सरल व्यक्तित्व ने भी उनके लिये जनमानस मे अच्छी छवि बना दी और उनके नेतृत्व मे लड़े गये चुनाव मे जनता ने उन्हे दोबारा राज करने का मौका भी दिया।इस मौके को डा रमन सिंह ने बेकार नही जाने दिया और विकास के मामले मे उन्होने जमकर काम कराया जिसका नतीजा आज सकल घरेलू उत्पाद के मामले मे राज्य न केवल देश के अन्य सभी राज्यों से बल्कि देश के औसत भी बेहतर है ।
सच मे ये डा रमनसिंह के लिये अद्वितीय उपलब्धि ही है।राज्य बने हुये अभी मात्र दस साल ही हुये हैं और उन्हे सत्ता मे आए हुये सात साल।इतने कम समय मे सालों से और मीलों आगे दौड़ रहे विकसित राज्यों के न केवल बराबर पंहुचना बल्कि उन्हे पीछे छोड़ देना मामूली उपलब्धी नही है।इस उपलब्धि पर राज्य के लोग भी खुश हैं और मुख्यमंत्री को बधाई दे रहे हैं।
छत्तीसगढ की जिस तरह एक बेहद पिछड़े राज्य के रूप मे छ्द्म छवि बनाई गई थी उसे तोड़ने मे डा रमनसिंह सफ़ल रहें हैं।इसमे कोई शक़ नही राज्य का आधे से ज्यादा हिस्सा नक्सलवाद से प्रभावित है।इसमे कोई शक़ नही कि शहरी आबादी के मामले में अकेला मुम्बई छत्तीसगढ से मीलों आगे होगा,लेकिन सीमित साधनो से छत्तीसगढ सरकार्र ने जिस तरह काम किया है उससे विकसित कहलाने वाले साधन-सम्पन्न राज्यों को सीखना चाहिये।

इस उपलब्धि के बाद शायद लोग छत्तीसगढ को पिछड़ा कहने से पहले सोचेंगे।और अगर ये राज्य नक्सलवाद से मुक्त हो जाता है तो प्रचुर वन-संपदा और खनिजों के अकूत भंडारो से लबालब मेरे गरीब लोगों की अमीर धरती को कोई पिछड़ा कहने की हिम्मत नही कर सकेगा।तमाम राजनैतिक मतभेदों और आंदोलनों के बीच रमनसिंह और उनकी टीम ने बढिया काम किया है,वे बधाई के पात्र है और सभी कह रहे है शाबास रमनसिंह,जय छत्तीसगढ।आप क्या कहते हैं ये बताईयेगा ज़रूर्।

16 comments:

Anonymous said...

तारीफ़ेकाबिल

इसके बावज़ूद मैंने अपनी हाल ही की महाराष्ट्र यात्रा में पाया है कि छत्तीसगढ़ का नाम लगभग हर तबके के व्यक्ति के लिए अनजाना है

Anonymous said...

:-)

Anita kumar said...

क्या डा रमण सिंह महाराष्ट्रा को उधार मिल सकते हैं बस सिर्फ़ पांच साल के लिए?…।:)
पाबला जी छत्तीसगढ़ से हमारी पहचान करवाने में ब्लोगर मित्रों का बड़ा हाथ है जो काम राजनेता नहीं कर सकते वो ब्लोगर कर सकते हैं

Anita kumar said...

क्या डा रमण सिंह महाराष्ट्रा को उधार मिल सकते हैं बस सिर्फ़ पांच साल के लिए?…।:)
पाबला जी छत्तीसगढ़ से हमारी पहचान करवाने में ब्लोगर मित्रों का बड़ा हाथ है जो काम राजनेता नहीं कर सकते वो ब्लोगर कर सकते हैं

राज भाटिय़ा said...

एक बार काग्रेस को आने दे..... फ़िर देखे

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़ी अच्छी बात बतायी। नक्सलवाद का अभिशाप ही सभी मंचों में छत्तीसगढ़ की पहचान बताता रहा है।

उम्मतें said...

@ पाबला जी ,
काबिल-ए-तारीफ़ ( काबिले तारीफ़ )

@ अनिल भाई ,
जय हो !

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

जहां आप रहें, वो पिछडा कैसा? :)

P.N. Subramanian said...

निश्चित ही इस उपलब्धि के लिए डा.रमण सिंह के कार्य शैली की सराहना करनी ही होगी.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

एखरेच खातिर नारा बने है भईया...
"छत्तीसगढ़िया- सब ले बढ़िया" जय हो छत्तीसगढ़ दाई, बधाई.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

अगर अनीता जी की मान कर कहीं रमण सिंह महाराष्ट्र हो आए तो लौटने के बाद वे भी उत्तर भारतीयों को पीटने की सी जोकरई न करने लगें :-(

Udan Tashtari said...

उपलब्धि है..

Unknown said...

छत्तीसगढ़ में विकास की अपार सम्भावनाएँ थीं, हैं और रहेंगी। आवश्यकता है तो सिर्फ सही ढंग से विकास करने वाले की।

Shah Nawaz said...

बहुत बढ़िया!

डॉ महेश सिन्हा said...

डॉ रमन सिंह की कार्यशैली ने सबको चकित किया है । एक अनजान सा व्यक्तित्व जिसे बीजेपी ने छत्तीसगढ़ की कमान सौपी थी, जब कई लोग इसके लिए इच्छुक नहीं थे।
जब यह बात आम है की नेता जनता से दूर चला जाता है चुनाव के बाद , रमन सिंह आज भी जनता के पास खुद जाते हैं ।
कुछ दिनो पहले जो घटना लेह में घाटी थी , उसमे प्रदेश के लोगों को वापस लाने का जो काम उन्होने किया किसी और ने नहीं किया ।
एक साक्षात्कार में उन्होने कहा कि कामगार नहीं मिल रहे हैं राज्य में तो अच्छी बात है, उन्हे अब काम चुनने का प्रावधान है ।
राज्य सरकार की अनेकों योजनाओ को केन्द्रीय सरकार ने भी अपनाया है । ज़्यादातर ये योजनाएँ जनसुविधा से संबन्धित है ।
सबसे बड़ी बात है की अभी भी वे संतुष्ट होकर नहीं बैठ गए , अभी बहुत काम बाकी है, ऐसा उनका कहना है ।

शरद कोकास said...

हमारे घर के पास की सडक बन जाये फ़िर सोचेंगे क्या कहना है ..