Saturday, July 2, 2011

क्या भाजपा क्या कांग्रेस!सभी पार्टियां धरना-धरना खेल रही हैं।सब एक दूसरे को चोर कह रह हैं तो फ़िर ईमानदार है कौन?

छत्तीसगढ में भाजपा सत्ता में है और कांग्रेस विपक्ष में,केन्द्र में कांग्रेस सत्ता मे है तो भाजपा विपक्ष में।वंहा भाजपा धरना दे रही है तो यंहा कांग्रेस।और अब तो यंहा भाजपा भी आये दिन धरना देने लगी है।कांग्रेसी भी गला फ़ाड़-फ़ाड़ कर चिल्ला रहे हैं तो भाजपाई भी।ऊधर दक्षिण से अम्मा जब दिल्ली जाती है तो वंहा चिल्लाती है कि पुराने सत्ताधीध चोर हैं और वंहा सत्ता से हटे लोग भी यही चिल्ला रहे हैं।यूपी में कांग्रेसी हल्ला मचाते है कि किसान की ज़मीन हडप रही है सरकार तो बीएसपी वाले चिल्लाते हैं कि दलित का राज पच नही रहा है कांग्रेस को।कोई किसानों के शोषण का रोना रो रहा है तो कोई दलित के शोषण का।गुज़रात में कांग्रेस मोदी को अल्पसंख्यकों का ह्त्यारा बताती है तो भाजपा कश्मीर में कांग्रेस को हिन्दूओं का विरोधी।कोई हिन्दूओं के लिये रो रहा है तो कोई अल्पसंख्यकों के लिये।बंगाल में ममता चुनाव से पहले तक़ चिल्लाती थी गरीबों-मज़दूरों के लिये लाल-झण्डा वोलों मे कुछ नही किया तो वे चिल्ला थे कि सिर्फ़ बंगाल ही नही सारी दुनिया में मज़दूरों के हित का टेण्डर उनका ही खुला है।कोई मज़दूरों के हित के लिये चिल्ला रहा है तो दलित के हित के लिये।यानी सारे देश में गरीबों-मज़दूरों-किसानों-बेरोज़गारों-अल्पसंख्यकों-बहुसंख्यकों और पता नही किस-किस के लिये कौन-कौन क्या-क्या चिल्ला रहा है,और नतीजा,नतीजा देखो तो वही शून्य।                                                     मैं तो हैरान हुं कि इस देश में इतनी भली और कमज़ोर तबके का खयाल रखने वाली राजनीतिक पार्टिया है तो फ़िर ये समाजसेवी अन्ना और सन्यासी रामदेव को धरने की क्या ज़रुरत पड़ गई।कमाल है नेता तो नेता साधू-सन्यासी भी धरना दे रहे हैं।औरतें धरना दे रही हैं,बच्चे धरना दे रहे हैं,छात्र धरना दे रहे हैं,बेरोज़गार धरना दे रहे हैं और यंहा तो सत्ताधारी भाजपा भी रोज़ धरना दे रही है।यानी सारा देश धरना-धरना खेल रहा है।                     कांग्रेसी यंहा कह रहे हैं कि भाजपा घोटालेबाज़ों की पार्टी है तो भाजपाई माईक लेकर महंगाई के लिये कांग्रेस को ज़िम्मेदार ठहरा रही है।वो भी टू जी से शुरु होकर कई कई घोटाले की लिस्ट लेकर चल रही है।कांग्रेसी एक नाम लेते है तो दो वे दो नाम।शोले के जय-वीरू और गब्बर की डायलागबाज़ी फ़ेल है।अखबार धरने से अटे-पड़े हैं।तस्वीरों को ध्यान से नही देखों तो समझ में ही नही आता कि कौन धरना दे रहा है और किसके खिलाफ़ धरना दे रहा है।रोज़ कंही न कही,किसी न किसी का धरना,कर्मचारी क्या,मज़दुर क्या,व्यापारी क्या,सभी धरने की दुकान खोल कर बैठ गये हैं।                                                                                                                           जिस देश में इतने धरनेबाज़ लोग हों,उसके बाद भी अगर नेताओं को कंट्रोल करने के लोकपाल की ज़रुरत पड रही हि तो उन धरनेबाज़ों की क्वालिटी पर सवाल तो उठने जायज ही है।अगर ऐसा नही होता तो दिल्ली जो धरने के लिये देश का सबसे इम्पोर्टेंट स्थान है उस पर समाजसेवियों,सन्यासियों का कब्ज़ा हो जाना समझ से परे है।बस अब इस देश में आतंकवादियों,अपराधियों और भ्रष्टाचरियों के फ़ेवर में ही धरना होना बाकी है।वैसे तो आतंकवादियों और नक्षलियों के फ़ेवर मे आये दिन कुछ न कुछ हो ही जाता है।अब बच गये हैं भ्रष्टाचारी और अपराधी।वैसे तो यंहा उसकी भी शुरूआत के संकेत मिलने लगे हैं।एक आरटीओ के निलंबित करने पर पूरा स्टाफ़ काम छोड़ कर बाहर आ गया था।वो सांकेतिक धरना था इसलिये उसे अभी रजिस्टर्ड धरना नही माना जा सकता लेकिन उसने संकेत तो दे ही दिये हैं आने वाले दिनों में हो सकता है सस्पेंडेड अफ़सरों या टर्मिनेटेड अफ़सरों की भी यूनियन बन जाये।लोकल लुच्चे-लफ़ंगों से लेकर राज्य स्तरीय या राष्ट्र स्तरीय संगठन तैयार हो जाये।कुछ के हक़ की बात तो अभी भी यूएन मे तक़ उठ जाती है,हो सकता है वो भी पार्टी बना कर धरना-धरना खेलने लग जायें।अच्छा है! सारे देश में धरना-धरना खेला जा रहा है उसके बाद भी पता नही चल पा रहा है कौन चोर है कौन ईमानदार है?कौन भ्रष्ट है,कौन नही?कौन गरीबों का मसीहा है,कौन गरीबो का शोषक?चिल्ला रहे है सब चोर है,चोर है,चोर है।ऐसे मे ये कन्फ़ूज़न होना तो तय ही है कि साले सब चोर हैं।और बेचारी जनता भी  कन्फ़्यूज़्ड होकर चिल्लाने लगी है अब तो सब साले चोर हैं।भगवान ही बचाता रहा है और आगे भी भगवान ही बचायेगा गरीबों को,इस देश को।अब अगर जय श्रीराम लिख दूंगा तो बहुत से लोग ये भी चिल्लाने लगेंगे ये भी चोर है।हाहाहहाहा इसलिये जयश्रीम नही जय जनता कह कर निकल लेता हूं पतली गली से नही तो पता चला एक पंडाल मेरे नाम से भी लग गया है।

8 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप के नाम से पंडाल लगा तो आप की भी राजनैतिक हैसियत न बन जाएगी?

DUSK-DRIZZLE said...

THIS POST ARISES VERY SERIOUS MATTER AND BHAIYA YOUR QUESTION IS VERY EASY BUT ANSWER IS SO MUCH HARD. IN THIS POST, YOU SAY IN THE WAY OF MR. PARSAI. THANKS. I WANT TO KISS YOUR PEN.
SANJAY VARMA

Khushdeep Sehgal said...

हम सब चोर हैं...

दीवार के अमिताभ की तरह सब अपनी बांह पर गुदवा लेते हैं...

जय हिंद...

योगेन्द्र मौदगिल said...

ekdum sateek bhai ji....Sabka Kunba Ek....sadhuwaad

शोभना चौरे said...

अब तो धरने पर सभी विश्वास उठ गया है |

Rahul Singh said...

किसकी सुनें, किसकी मानें.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

हमाम में तो सब नंगे ही हैं।

प्रवीण पाण्डेय said...

काश यह पर्दा हटे।