Sunday, September 18, 2011
क्या सिर्फ़ गुज़रात मे ही दगे गुये है?कोई तो बोलो,पंजाब नही तो दिल्ली या आसपास हुये दगों पर ही बोल दो
गुजरात माने दंगे!मोदी यानी नरसंहार!गोधरा रेल कांड का कोई माने नही,बेस्ट बेकरी कांड इंसानियत पर बदनुमा दाग!मोदी का उपवास नाटक!कांग्रेस का अनशन नाटक नही नाटक की पोल खोलने वाला!मोदी यानी राजनैतिक अछूत!और कभी दिल्ली से शुरु हुये राष्ट्रव्यापी दंगे!वो क्या नरसंहार नही थे!उन पर खामोशी के क्या मायने!उन दंगो पर कोई बहस नही!कोई कोर्ट-कचहरी नही!आखिर क्यों?क्या सिर्फ़ गुज़रात मे ही दगे गुये है?कोई तो बोलो,पंजाब नही तो दिल्ली या आसपास हुये दगों पर ही बोल दो।
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5 comments:
भरतपुर के दंगों पर सब चैनल वाले, मीडिया वाले, कांग्रेसी, कम्युनिस्ट, धर्मनिरपेक्षी सब चुपचाप बैठे हैं. शायद ये दंगे धर्मनिरपेक्ष हैं.
सफलता सबको चाहिए...मिलती बिरलों को है...
दम है
AUR ANIL BHAIYA MATLAB .... JARA KISI AKHBAR MALIK SE PUCHHKAR DEKHO
इन सब मसलों को राजनैतिक बनाकर एक कोने में डाल दिया जाता है.. फिर जब जिसकी ज़रूरत हो, उसे उछालकर नाटक शुरू..
हम आम लोगों के लिए जीना ही भारी पड़ रहा है तो इन सब मुद्दों को कहाँ तक सोचें?
आभार
तेरे-मेरे बीच पर आपके विचारों का इंतज़ार है...
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